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भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर ट्रंप का बड़ा दावा, कहा- 'हमने रोकी तबाही, नहीं तो...'

12 मई 2025 को अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु युद्ध को उनकी मध्यस्थता ने रोका. ट्रंप ने कहा कि अगर संघर्ष जारी रहता, तो अमेरिका व्यापार बंद कर देता. वहीं भारत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कश्मीर जैसे मुद्दों पर तीसरे पक्ष की कोई जरूरत नहीं.

12 May, 2025
( Updated: 12 May, 2025
11:49 PM )
भारत-पाकिस्तान सीजफायर पर ट्रंप का बड़ा दावा, कहा- 'हमने रोकी तबाही, नहीं तो...'
12 मई 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक ऐसा बयान दिया जिसने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में खलबली मचा दी। ट्रंप ने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो हालिया युद्ध विराम हुआ है, वह केवल और केवल अमेरिका की सूझबूझ और उनकी व्यक्तिगत कूटनीतिक पहल का परिणाम है। उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका बीच में नहीं आता, तो यह टकराव एक बड़े परमाणु युद्ध में बदल सकता था। ट्रंप ने कहा कि इस रोकथाम के लिए उन्हें खुद पर गर्व है।

ट्रंप का बड़ा दावा 

व्हाइट हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम में अमेरिका-चीन व्यापार समझौते की घोषणा करते हुए ट्रंप ने मीडिया से कहा, "शनिवार को मेरी सरकार ने भारत और पाकिस्तान के बीच तत्काल संघर्षविराम करवाने में मदद की. मैं समझता हूं कि यह स्थायी हो सकता है." ट्रंप ने यह भी कहा कि दोनों देश युद्ध के कगार पर थे और स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई थी. उन्होंने आगे कहा, "हमने एक परमाणु युद्ध को रोका. यह एक बहुत बड़ा खतरा बन सकता था, जिसमें लाखों लोग मारे जा सकते थे. मैं इस बात को लेकर गर्व महसूस करता हूं."

ट्रंप ने यह भी दावा किया कि उन्होंने युद्ध को रोकने के लिए व्यापारिक प्रतिबंध की धमकी दी थी. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया कि यह धमकी भारत को दी गई थी या पाकिस्तान को. लेकिन उनका यह कथन दर्शाता है कि अमेरिका ने स्थिति को नियंत्रित करने में एक निर्णायक भूमिका निभाई.

भारत की प्रतिक्रिया और सरकारी रुख

हालांकि अमेरिका की ओर से मध्यस्थता के दावों के बीच भारत ने हमेशा यह रुख अपनाया है कि वह किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को स्वीकार नहीं करता, खासकर कश्मीर मुद्दे पर. भारत ने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ बातचीत केवल आतंकवाद के समाप्त होने और पीओके की वापसी तक सीमित रहेगी. इसके साथ ही भारत सरकार के सूत्रों ने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना को स्पष्ट निर्देश दिया था: "वहां से अगर गोली चलेगी, तो यहां से गोला चलेगा." इस निर्देश के बाद भारतीय सेना ने सीमा पार के आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए, जिससे पाकिस्तान में भारी हड़कंप मच गया.

DGMO स्तर की बातचीत, संघर्षविराम की घोषणा

शनिवार की शाम को भारत और पाकिस्तान के डीजीएमओ (Director Generals of Military Operations) के बीच बातचीत हुई, जिसमें दोनों देशों ने भूमि, जल और वायु क्षेत्र में सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई. इस संघर्षविराम की पुष्टि अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने भी की, जिन्होंने बताया कि दोनों देशों ने न्यूट्रल स्थान पर आपसी बातचीत को तैयार किया है.

भारत की ओर से विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस समझौते की घोषणा की और कहा कि बातचीत सिर्फ सैन्य स्तर पर ही सीमित रहेगी. भारत सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि सिंधु जल संधि तब तक निलंबित रहेगी जब तक पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता. यह भारत की सख्त और स्पष्ट नीति को दर्शाता है.

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भले ही कुछ समय के लिए कम हुआ हो, लेकिन यह स्थिति स्थायी नहीं कही जा सकती. भारत ने अपने रुख में स्पष्ट कर दिया है कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते. वहीं अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश की ओर से इस संघर्ष को रोकने का दावा वैश्विक कूटनीति में उसकी भूमिका को भी दर्शाता है. लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि भारत ने अपनी स्वतंत्र नीति के तहत कार्रवाई की और राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोपरि रखा.

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दिया गया यह बयान भले ही अमेरिका की भूमिका को महत्त्वपूर्ण दिखाता हो, लेकिन भारत की नीति, सैन्य कार्रवाई और सख्त रुख यह दर्शाते हैं कि देश अपनी सीमाओं और नागरिकों की सुरक्षा के लिए किसी भी स्तर तक जा सकता है.

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