पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पलटा अपना ही फैसला, भारत से तनाव के बीच आसिम मुनीर की बढ़ी ताकत

भारत के साथ बढ़ते तनाव और चल रही जंग के बीच पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसने पाकिस्तान में में लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों को लेकर चिंता बढ़ा दी है. अदालत ने 7 मई को अपने पुराने निर्णय को पलट दिया है. SC के नए फ़ैसले के अनुसार अब मिलिट्री कोर्ट्स में आम नागरिकों पर मुकदमा चलाया जा सकता है. यहाँ तक की मौत की सजा तक दी जा सकती है. इस फैसले के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को और भी ज़्यादा ताक़त मिल है. मुनीर पहले ही देश की राजनीतिक सत्ता से ऊपर माना जाता रहा है.
यह फैसला ऐसे वक्त पर आया है जब पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध जैसे हालात का सामना कर रहा है, और देश में सेना के खिलाफ कोई बोल भी नहीं सकता. क्योंकि अब जनरल आसिम मुनीर के पास यह अधिकार होगा कि वे जिसे चाहें, 'राष्ट्रविरोधी' घोषित कर मिलिट्री कोर्ट में मुकदमा चला सकता है. यह फ़ैसला विपक्ष और आम नागरिकों दोनों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुका है.
पाक सुप्रीम कोर्ट का यू-टर्न
बता दें कि 7 मई को पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने एक हैरान करने वाला फैसला सुनाया थी. अदालत ने अक्टूबर 2023 में दिए गए अपने ही निर्णय को पलट दिया था. इस निर्णय में कहा गया था कि "सिविलियन्स पर मिलिट्री कोर्ट में ट्रायल चलाना असंवैधानिक है." अब इसी फैसले को रद्द कर अदालत ने नया फ़रमान जारी किया है. उच्चतम न्यायलय ने कहा कि नागरिकों पर भी मिलिट्री अदालतों में मुकदमा चलाया जा सकता है. कोर्ट के इस फैसले ने जनरल आसिम मुनीर की ताकत को और बढ़ा दिया है.
इमरान समर्थकों की बढ़ी टेंशन!
SC का ये फैसला खासतौर पर 9 मई 2023 को इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद भड़के हिंसक प्रदर्शनों को लेकर आया है. विशेषज्ञ मानते है कि अब उन मामलों में पकड़े गए करीब 1000 इमरान समर्थकों पर मिलिट्री कोर्ट में मुकदमा चलाया जा सकता है. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) का आरोप है कि सैकड़ों समर्थकों को बिना किसी सबूत के जेल में डाला गया है.
‘युद्धकाल’ का समय क्यों चुना गया?
विशेषज्ञ मानते हैं कि अदालत से यह फैसला ऐसे समय पर सामने आया है, जब पाकिस्तान भारत के साथ युद्ध जैसे हालात से गुजर रहा है. SC के फैसले के अनुसार इस समय सेना के खिलाफ कोई बयान देना ‘देशद्रोह’ समझा जाता है. ऐसे माहौल में सुप्रीम कोर्ट का यह कदम न सिर्फ विपक्ष को बल्कि आम जनता को भी भयभीत करने की एक सोची-समझी रणनीति प्रतीत होता है. इस फैसले से पाकिस्तान में आम लोगों के बीच डर का माहौल है. क्योंकि किसी को भी देशद्रोही बताकर मिलिट्री कोर्ट में पेश कर दिया जा सकेगा. वहीं मानवाधिकार संगठनों ने इस पर चिंता ज़ाहिर की है और इसे “तानाशाही के युग की शुरुआत” बताया है.