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भारत के विरोध के बाद भी IMF ने पाकिस्तान को दिया 1 अरब डॉलर का कर्ज, यह कर्ज है या खतरे की घंटी?

इस समय जब पाकिस्तान गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने एक बड़ी राहत की घोषणा की है। शुक्रवार को IMF ने पाकिस्तान को एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (EFF) के तहत करीब 1 अरब अमेरिकी डॉलर की तत्काल किस्त जारी करने की मंजूरी दे दी है। इस फैसले की पुष्टि स्वयं पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने की है।
भारत के विरोध के बाद भी IMF ने पाकिस्तान को दिया 1 अरब डॉलर का कर्ज, यह कर्ज है या खतरे की घंटी?
पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था को IMF से एक और जीवनदान मिला है. शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पाकिस्तान को 1 अरब अमेरिकी डॉलर की तत्काल किस्त जारी करने की मंजूरी दे दी है. यह रकम उस विस्तारित निधि सुविधा (Extended Fund Facility) के तहत दी गई है जो जुलाई 2023 में पाकिस्तान और IMF के बीच हुए 7 अरब डॉलर के तीन वर्षीय समझौते का हिस्सा है. इस फैसले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के कार्यालय से एक बयान जारी हुआ जिसमें इसे एक "राष्ट्रीय सफलता" बताया गया और भारत के विरोध को "नाकाम साजिश" करार दिया गया.

भारत की नाराजगी और उसकी वजह

भारत ने इस कर्ज को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है. भारत की चिंता यह है कि पाकिस्तान का पिछला रिकॉर्ड आर्थिक कर्जों के दुरुपयोग से जुड़ा रहा है और यह आशंका जताई गई है कि यह धन सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग किया जा सकता है. भारत का मानना है कि पाकिस्तान को बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों से आर्थिक मदद देना वैश्विक संस्थाओं की साख पर प्रश्नचिन्ह लगाता है. इसके साथ ही यह दुनिया को यह संदेश देता है कि आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों को भी इनाम मिल सकता है.

IMF बैठक में भारत ने क्यों नहीं डाला वोट?

दिल्ली ने IMF की इस अहम बैठक में वोटिंग से खुद को अलग रखा. यह निर्णय प्रतीकात्मक था लेकिन इसके पीछे रणनीतिक सोच थी. भारत ने IMF को यह जताना चाहा कि वह संस्थागत निर्णयों का सम्मान करता है लेकिन साथ ही उसे यह भी दिखाना था कि वह पाकिस्तान को लेकर किसी तरह का समर्थन नहीं देता. भारत के वित्त मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह मदद न सिर्फ गलत संकेत देती है, बल्कि वैश्विक मूल्यों का मजाक भी उड़ाती है.

हालांकि पाकिस्तान सरकार ने IMF की मदद मिलने को एक बड़ा कूटनीतिक जीत बताया है. प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से आए बयान में कहा गया कि भारत हमारे विकास से डर रहा है और वह एकतरफा आक्रामकता के जरिये IMF की मदद को रोकना चाहता था. लेकिन IMF ने पाकिस्तान की आर्थिक योजनाओं और सुधारों पर भरोसा जताते हुए 1 अरब डॉलर की राशि जारी कर दी है.

बयान में यह भी कहा गया कि पिछले 14 महीनों में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में सकारात्मक संकेत दिखे हैं जो सरकार की नीतियों की सफलता का प्रमाण है. सरकार ने कर सुधार, ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और निजी क्षेत्र के विकास को प्राथमिकता दी है. अब पाकिस्तान भले ही आर्थिक सुधारों का दावा कर रहा हो लेकिन अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं उसके पिछले प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हैं. FATF पहले ही पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाल चुका है और उस पर आतंकी संगठनों की फंडिंग रोकने का दबाव बना रहा है.

IMF और पाकिस्तान का समझौता क्या कहता है?

IMF और पाकिस्तान के बीच हुआ यह समझौता 7 अरब डॉलर के कुल सहायता पैकेज का हिस्सा है जिसमें सात समान किश्तों में रकम दी जाएगी. इस किस्त के मिलने के बाद पाकिस्तान को अब तक कुल 2 अरब डॉलर मिल चुके हैं. समझौते के तहत पाकिस्तान को हर छह महीने में समीक्षा प्रक्रिया से गुजरना होता है और सुधारों पर अमल करना होता है. इनमें शामिल हैं कार्बन टैक्स का प्रावधान, बिजली दरों में समय पर संशोधन, पानी की कीमतें बढ़ाना और ऑटोमोबाइल सेक्टर में उदारीकरण.

भारत-पाक तनाव और कर्ज की राजनीति

IMF की यह मदद ऐसे समय आई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव भी बढ़ा हुआ है. LOC पर बढ़ती गतिविधियों और पाकिस्तान की तरफ से आतंकियों की घुसपैठ की खबरों के बीच भारत को आशंका है कि यह आर्थिक मदद आतंकवाद को नई ऊर्जा दे सकती है. भारत के सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान इस रकम का इस्तेमाल हथियारों की खरीद, आतंकियों की ट्रेनिंग और भारत विरोधी साजिशों में कर सकता है.

IMF ने भारत की चिंताओं को सुना जरूर लेकिन अपने निर्णय में प्राथमिकता पाकिस्तान की आर्थिक स्थिरता को दी. IMF का मानना है कि यदि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को स्थिर नहीं किया गया तो दक्षिण एशिया में अस्थिरता और बढ़ेगी. लेकिन विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि अब वैश्विक संस्थानों को अपने फैसलों में सुरक्षा, आतंकवाद और मानवाधिकार जैसे मसलों को भी तवज्जो देनी चाहिए. IMF का यह रवैया भारत जैसे देशों के लिए चिंता का विषय है जो वर्षों से आतंकवाद का शिकार रहे हैं.

ऐसे में हो सकता है कि भारत अब IMF के इस फैसले को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा बनाए. भारत की रणनीति स्पष्ट है किसी भी ऐसे देश को वैश्विक आर्थिक मदद नहीं मिलनी चाहिए जो आतंकवाद को संरक्षण देता हो. भारत न सिर्फ IMF बल्कि FATF, G20 और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर भी यह मामला उठा सकता है ताकि विश्व समुदाय पाकिस्तान की असलियत को समझ सके और जिम्मेदारियां तय की जा सकें.

IMF द्वारा पाकिस्तान को 1 अरब डॉलर की मदद एक आर्थिक फैसला है लेकिन इसके राजनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव गहरे हैं. यह मदद पाकिस्तान को उबार सकती है या फिर उसे आतंक के रास्ते पर और आगे बढ़ा सकती है. भारत के लिए यह एक नई चुनौती है जिसमें उसे न सिर्फ अपने हितों की रक्षा करनी है, बल्कि वैश्विक स्तर पर अपनी आवाज को भी मजबूत करना है. आने वाले समय में यह देखना रोचक होगा कि पाकिस्तान इस रकम का कैसे उपयोग करता है और IMF अपने नियमों का पालन कैसे सुनिश्चित करता है. यह सिर्फ अर्थव्यवस्था की लड़ाई नहीं है, यह अंतरराष्ट्रीय विश्वास और जिम्मेदारी की भी परीक्षा है.
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