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अपने एयर डिफ़ेंस सिस्टम की तबाही के बाद पाकिस्तानी PM शरीफ़ ने बुलाई NCA की बैठक, जानिए आखिर क्या है एनसीए

इस्लामाबाद में पाकिस्तान अपनी परमाणु और मिसाइल नीति पर रणनीतिक पुनर्विचार की तरफ़ इशारा कर रहा है. NCA की ये बैठक कई और इशारा कर रही है. ऐसे में क्या है NCA, इस रिपोर्ट में जानिए

10 May, 2025
( Updated: 10 May, 2025
07:58 PM )
अपने एयर डिफ़ेंस सिस्टम की तबाही के बाद पाकिस्तानी PM शरीफ़ ने बुलाई NCA की बैठक, जानिए आखिर क्या है एनसीए
22 अप्रैल को पहलागाम टेरर अटैक का बदला भरत ने 6मई की रात ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर लिया. इस ऑपरेशन के तहत आतंकी ठिकानों और एयर डिफ़ेंस सिस्टम को तबाह कर दिया गया. भारत ने लाहौर में स्थित HQ-9 एयर डिफेंस सिस्टम को भी ध्वस्त कर दिया, जिसके बाद पाकिस्तान में हलचल तेज़ हो गई. अब पाकिस्तान में एक अहम NCA की बैठक हुई. NCA यानी की नेशनल कमांड अथॉरिटी. 9 मई को हुई बैठक ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय का ध्यान अपनी ओर खींचा.

यह बैठक इस्लामाबाद में पाकिस्तान अपनी परमाणु और मिसाइल नीति पर रणनीतिक पुनर्विचार की तरफ़ इशारा कर रहा है. इसके अलावा भारत के सख्त सैन्य जवाब के बाद वह किसी बड़े कदम की तैयारी और भी संकेत कर रहा है. बता दें कि NCA पाकिस्तान की सबसे उच्च नागरिक-सैन्य निर्णय लेने वाली संस्था है, जिसका दायित्व परमाणु नीति बनाना है. इसके अलावा कई महत्वपूर्ण फैसले लेना है, जो इस प्रकार है.

NCA की मुख्य जिम्मेदारियां
- परमाणु और मिसाइल नीति मुद्दों पर निर्णय लेना
- रणनीतिक परमाणु बलों और संगठनों के लिए नीति निर्धारित करना
- परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों की निगरानी करना

कब हुई थी स्थापना?
NCA की स्थापना साल 2000 में की गई. इसका हेडक्वॉटर इस्लामाबाद में है. पीएम इसके अध्यक्ष होते है. तो फिलहाल NCA की बागडोर शहबाज शरीफ के पास है. 

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के अलावा NCA में कौन-कौन सदस्य शामिल?
- विदेश मंत्री: इशाक डार
- गृह मंत्री: मोहसिन रजा नकवी
- वित्त मंत्री: मुहम्मद औरंगजेब
- रक्षा मंत्री: ख्वाजा मुहम्मद आसिफ
- चीफ ऑफ जॉइंट स्टाफ कमेटी: जनरल सहिर शमशाद मिर्जा
- सेना प्रमुख: जनरल असिम मुनीरनौ
- सेना प्रमुख: एडमिरल नवेद अशरफ
- वायु सेना प्रमुख: एयर चीफ मार्शल ज़हीर अहमद बाबर

परमाणु नियंत्रण पर सेना का प्रभाव

NCA की संरचना में नागरिक नेतृत्व प्रमुख रूप से शामिल होता है, लेकिन युद्ध के समय या सैन्य संकट के समय निर्णय लेने में सेना का दबदबा अधिक होता है. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज (IISS) की रिपोर्ट के माने तो युद्ध जैसे हालात में पाकिस्तान की परमाणु नीति पर अंतिम निर्णय सेना के हाथों में ही होता है.

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