Operation Sindoor पर ट्रंप ने तोड़ी चुप्पी, कहा- जैसे को तैसा हुआ, लेकिन अब शांति चाहिए
ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर बड़ी कार्रवाई की, जिससे क्षेत्रीय तनाव चरम पर पहुंच गया. इस घटना पर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए भारत और पाकिस्तान से शांति बनाए रखने की अपील की.

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय वायुसेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पंजाब में किए गए एयर स्ट्राइक के बाद न केवल भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी बढ़ गई है, बल्कि इस मसले पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी आने लगी है. अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पूरे घटनाक्रम पर पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ते हुए शांति की अपील की है. उनका यह बयान तब आया है जब भारत की कार्रवाई के बाद पाकिस्तान के कई शहरों में हड़कंप मचा हुआ है और वहां की सेना हाई अलर्ट पर है.
ट्रंप: “जैसे को तैसा हुआ, लेकिन अब शांति चाहिए”
डोनाल्ड ट्रंप ने इस मुद्दे पर बयान देते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो तनाव बढ़ रहा है, वह बेहद चिंताजनक है. उन्होंने कहा, “यह बहुत भयानक है. मैं दोनों के साथ अच्छा व्यवहार करता हूं. मैं दोनों को बहुत अच्छी तरह से जानता हूं. मैं उन्हें इस पर काम करते हुए देखना चाहता हूं. मैं उन्हें इसे रोकते हुए देखना चाहता हूं. उम्मीद है कि अब वे इसे रोक सकते हैं. उन्होंने जैसे को तैसा किया है. हमारे दोनों के साथ अच्छे संबंध हैं. अगर मैं कुछ मदद कर सकता हूं, तो मैं वहां जरूर रहूंगा.”
डोनाल्ड ट्रंप का बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका, चीन और रूस जैसे वैश्विक शक्तिशाली देश इस संघर्ष को शांत करने की दिशा में सक्रिय हो चुके हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने भी सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. ट्रंप के बयान को भारत के लिए कूटनीतिक समर्थन तो माना जा सकता है, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अमेरिका किसी एक पक्ष के साथ खड़ा नहीं होगा, बल्कि दोनों देशों को संवाद और शांति की राह पर वापस लाना प्राथमिकता होगी.
ऑपरेशन सिंदूर ने मचाई वैश्विक हलचल
भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' नाम से अंजाम दिए गए इस बड़े सैन्य अभियान के बाद न केवल पाकिस्तान के अंदर खलबली मच गई है, बल्कि दुनिया के अन्य देश भी इस पर नजरें गड़ाए हुए हैं. भारत की ओर से की गई इस कार्रवाई में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को टारगेट किया गया था. कुल 9 स्थानों पर एयर स्ट्राइक हुई, जिनमें 26 आतंकी मारे गए और दर्जनों घायल हुए.
भारत की इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान की सेना और सरकार के बीच समन्वय की कमी भी उजागर हुई. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने जहां हमले में 26 लोगों की मौत का दावा किया, वहीं पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता DG ISPR ने यह संख्या 31 बताई. इससे यह संदेह और गहरा हो गया कि पाकिस्तान असली आंकड़े छुपाने की कोशिश कर रहा है.
भारत का आतंकियों को सख्त संदेश
भारत सरकार ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि यह लड़ाई पाकिस्तान के खिलाफ नहीं, बल्कि आतंक के खिलाफ है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हमने सिर्फ उन ठिकानों को निशाना बनाया है जहां आतंकवाद पनप रहा था. उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी धरती पर हुए हमलों का जवाब देने का अधिकार प्रयोग किया है और आगे भी इसी तरह के जवाब दिए जाते रहेंगे अगर पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद को बढ़ावा मिला तो.
इन सबके बीच डोनाल्ड ट्रंप की यह अपील कितनी प्रभावी होगी, यह आने वाले दिनों में साफ होगा. लेकिन यह स्पष्ट है कि भारत अब रक्षात्मक नहीं बल्कि आक्रामक नीति अपना चुका है. पाकिस्तान को यह समझना होगा कि आतंक का समर्थन अब उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग कर देगा. ट्रंप की इस पहल से एक उम्मीद जरूर जगी है, लेकिन क्या यह उम्मीद उस आग को बुझा पाएगी जो 'ऑपरेशन सिंदूर' से भड़की है? यह तो आने वाला समय बताएगा कि भारत और पाकिस्तान के बीच यह टकराव और गहराएगा या डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं की मध्यस्थता से कूटनीति की कोई नई राह खुलेगी.