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खामेनेई की सुरक्षा में तैनात 12,000 बॉडीगार्ड्स, फिर भी लोकेशन पता करने में फेल रही मोसाद, ट्रंप के दावे की इजरायली रक्षा मंत्री ने खोली पोल!

डोनाल्ड ट्रंप ने यह बयान देकर सबको चौंका दिया कि उन्हें पता था ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई कहां छिपे हैं और वह जब चाहें, उन्हें निशाना बना सकते थे. ट्रंप के इस बयान के बाद यह सवाल उठने लगे कि यदि खामेनेई की लोकेशन पता थी, तो उन्हें मारा क्यों नहीं गया? क्या इज़रायल और अमेरिका के पास खामेनेई को मारने का मौका था? और अगर ऐसा था, तो उसे छोड़ा क्यों गया?

Created By: केशव झा
28 Jun, 2025
( Updated: 28 Jun, 2025
04:39 PM )
खामेनेई की सुरक्षा में तैनात 12,000 बॉडीगार्ड्स, फिर भी लोकेशन पता करने में फेल रही मोसाद, ट्रंप के दावे की इजरायली रक्षा मंत्री ने खोली पोल!

12 जून को इजरायली डिफेंस फोर्सेस द्वारा ईरानी सैन्य और परमाणु ठिकानों पर किए गए हमले के साथ शुरू हुई ईरान और इज़रायल के बीच जंग थम चुकी है, लेकिन दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सैन्य तनाव अब भी बरकरार है. भले ही युद्धविराम लागू हो गया हो, मगर अब इस संघर्ष को लेकर दावों और अटकलों का नया दौर शुरू हो गया है.

सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस युद्ध में आखिर जीता कौन? क्योंकि जीत के दावे दोनों ओर से किए जा रहे हैं. वहीं, ट्रंप युद्धविराम का श्रेय लेने में व्यस्त हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया कि सबसे पहले इज़रायल ने ईरान को युद्धविराम का प्रस्ताव भेजा, और अमेरिकी मध्यस्थता के बाद यह युद्ध रुका. कई रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि युद्ध के दौरान ईरान, इज़रायल पर भारी पड़ रहा था, और अमेरिका को मजबूरी में बीच में आकर मामला सुलझाना पड़ा.

इस संघर्ष के बाद से दोनों देश खुद को बेहतर रणनीतिक स्थिति में बता रहे हैं. वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने यह बयान देकर सबको चौंका दिया कि उन्हें पता था ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई कहां छिपे हैं और वह जब चाहें, उन्हें निशाना बना सकते थे. ट्रंप के इस बयान के बाद यह सवाल उठने लगे कि यदि खामेनेई की लोकेशन पता थी, तो उन्हें मारा क्यों नहीं गया? क्या इज़रायल और अमेरिका के पास खामेनेई को मारने का मौका था? और अगर ऐसा था, तो उसे छोड़ा क्यों गया?

इन सभी सवालों के जवाब हाल ही में इज़रायली रक्षा मंत्री ने दिए हैं, और उनके बयान ने ट्रंप के दावे पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

खामेनेई की लोकेशन पता होती तो जरूर निशाना बनाते

इज़रायली रक्षा मंत्री इज़रायल कैट्ज़ ने एक इंटरव्यू में स्पष्ट किया कि अगर खामेनेई उनकी नज़रों में होते, तो उन्हें निशाना बनाने में कोई झिझक नहीं होती. उन्होंने कहा कि खामेनेई ने अपनी सुरक्षा बेहद कड़ी कर ली थी और पूरी तरह से अंडरग्राउंड हो गए थे. उन्होंने उन नए कमांडरों से भी संपर्क तोड़ लिया था, जो मारे गए अधिकारियों की जगह तैनात किए गए थे. इससे उनकी सही लोकेशन तक पहुंच पाना लगभग नामुमकिन हो गया था.

इज़रायल के 'कान टीवी' चैनल को दिए इंटरव्यू में कैट्ज ने बताया कि इज़रायल को किसी भी सैन्य कार्रवाई के लिए अमेरिका से अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं है. इस बयान से साफ हो गया कि खामेनेई को मारने का कोई संयुक्त अमेरिकी-इज़रायली प्लान नहीं था.

ट्रंप के दावे की खुली पोल

जब ट्रंप ने दावा किया कि उन्हें खामेनेई की लोकेशन की जानकारी थी और वे जब चाहें, उन्हें मार सकते थे, तो उस वक्त यह बयान दुनिया भर की सुर्खियाँ बना. लेकिन अब इज़रायली रक्षा मंत्री के बयान के बाद यह साफ हो गया है कि ट्रंप का यह दावा सिर्फ राजनीतिक बयानबाज़ी थी. अगर वाकई में खामेनेई की सही लोकेशन की जानकारी होती, तो इज़रायल उन्हें निशाना जरूर बनाता, क्योंकि यह युद्ध की पारंपरिक रणनीति रही है कि जब दुश्मन का सर्वोच्च नेता युद्ध में मारा जाता है, तो उसकी सेना का मनोबल टूट जाता है और वह आत्मसमर्पण की ओर बढ़ जाती है.

खामेनेई का महत्व केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि धार्मिक और वैचारिक भी है. उनकी मौत ईरान के लिए सिर्फ नेतृत्व का नुकसान नहीं होती, बल्कि यह पूरे शासन तंत्र को हिला सकती थी. इसी कारण उनकी सुरक्षा अत्यंत कड़ी है. ईरान की विशेष सुरक्षा इकाई 'सेपाह-ए-वली-ए-अम्र' खामेनेई की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है, जिसमें करीब 12 हजार प्रशिक्षित बॉडीगार्ड्स तैनात रहते हैं. हर एक की जिम्मेदारी तय होती है और खुफिया निगरानी बेहद सख्त होती है.

इसीलिए ट्रंप के दावे और इज़रायली रक्षा मंत्री के बयान में जो विरोधाभास है, वह यह दिखाने के लिए काफी है कि खामेनेई की लोकेशन जानने और उन्हें निशाना बनाने का दावा, हकीकत से बहुत दूर था.

युद्धविराम के बाद भी अनिश्चितता

फिलहाल ईरान और इज़रायल के बीच युद्धविराम लागू है, लेकिन यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि यह स्थायी रहेगा. दोनों देशों के बीच वैचारिक और राजनीतिक दुश्मनी गहरी है, और यह किसी भी वक्त फिर से भड़क सकती है. इज़रायल ने भले ही खामेनेई को निशाना बनाने की कोई ठोस कोशिश नहीं की, लेकिन भविष्य में ऐसा कदम उठाया जाएगा या नहीं, यह कहना अभी मुश्किल है. खामेनेई की सुरक्षा को देखते हुए उन्हें निशाना बनाना आसान नहीं होगा, लेकिन युद्ध की दुनिया में कुछ भी स्थायी नहीं होता. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि युद्धविराम कितने समय तक टिकता है, और क्या इज़रायल खामेनेई को भविष्य में निशाना बनाने की कोई नई योजना बनाता है. 

रिपोर्ट: नेयाज ख़ान

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