'एक पेड़ मां के नाम' से किंग चार्ल्स तक पहुंचा हरियाली का संदेश, पीएम मोदी ने दिया ऐसा खास तोहफा, जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे
ब्रिटेन के सैंड्रिंघम हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और किंग चार्ल्स III की मुलाकात हुई. यह भेंट भारत-ब्रिटेन संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रही. पीएम मोदी ने पर्यावरणीय अभियान ‘एक पेड़ मां के नाम’ के तहत किंग चार्ल्स को 'सोनोमा डव ट्री' भेंट किया. मुलाकात के दौरान व्यापार, निवेश, योग, आयुर्वेद, शिक्षा और पर्यावरण जैसे विषयों पर विस्तृत चर्चा हुई.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूके की यात्रा के दौरान सैंड्रिंघम हाउस में किंग चार्ल्स III से हुई मुलाकात ने भारत-ब्रिटेन संबंधों को नई दिशा देने का काम किया है. यह केवल एक औपचारिक शिष्टाचार भेंट नहीं थी, बल्कि दो देशों के बीच गहराते रिश्तों की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति भी थी. इसी दिन भारत और यूके के बीच बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर भी हस्ताक्षर किए गए, जिससे यह मुलाकात और भी ऐतिहासिक बन गई.
शाही तस्वीरों में दिखी हरियाली की सौगात
ब्रिटिश शाही परिवार ने इस मुलाकात की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर साझा करते हुए बताया कि किंग चार्ल्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत किया और दोनों के बीच विविध मुद्दों पर सकारात्मक बातचीत हुई. इस दौरान पीएम मोदी ने पर्यावरणीय अभियान 'एक पेड़ मां के नाम' से प्रेरित एक विशेष पौधा 'डेविडिया इनवॉलुक्राटा सोनोमा' उपहार में दिया, जिसे शरद ऋतु में सैंड्रिंघम हाउस के बगीचे में रोपित किया जाएगा. यह दृश्य केवल प्रकृति प्रेम की नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की गहराई और संवेदनशीलता का भी परिचायक बना.
PM मोदी ने दिया खास मैसेज
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने एक्स पोस्ट में लिखा, “महामहिम किंग चार्ल्स III के साथ बहुत अच्छी बैठक हुई. हमने भारत-ब्रिटेन संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिसमें सीईटीए और विज़न 2035 के परिप्रेक्ष्य में व्यापार और निवेश की प्रगति भी शामिल थी.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि बातचीत का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा, स्वास्थ्य, योग और आयुर्वेद जैसे विषयों पर केंद्रित रहा. पीएम मोदी ने यह भी बताया कि किंग चार्ल्स पर्यावरण संरक्षण को लेकर अत्यंत जागरूक और प्रतिबद्ध हैं, जिससे दोनों नेताओं की सोच में स्पष्ट साम्य देखा गया.
Had a very good meeting with His Majesty King Charles III. We discussed different aspects of India-UK relations, including the ground covered in trade and investment in the wake of CETA and Vision 2035. Other subjects of discussion included education, health and wellness,… pic.twitter.com/kNnIKF3sCv
— Narendra Modi (@narendramodi) July 24, 2025
कौन-सा पौधा भेंट किया गया और क्यों है खास?
प्रधानमंत्री द्वारा किंग चार्ल्स को जो पौधा भेंट किया गया, वह 'डेविडिया इनवॉलुक्राटा सोनोमा' है, जिसे आम भाषा में 'हैंडकरचीफ ट्री' या 'सोनोमा डव ट्री' कहा जाता है. इसकी सफेद पंखुड़ियां हवा में इस प्रकार लहराती हैं जैसे रूमाल या कबूतर उड़ रहे हों. यह पौधा इसलिए भी खास है क्योंकि इसकी 'सोनोमा' किस्म केवल 2-3 वर्षों में फूल देने लगती है, जबकि इसकी सामान्य किस्म को 15 से 20 साल तक लग जाते हैं. यह उपहार न केवल पर्यावरणीय जागरूकता का संदेश था, बल्कि ‘एक पेड़ मां के नाम’ जैसे भावनात्मक और राष्ट्रीय अभियान की वैश्विक प्रस्तुति भी थी. यह पहल भारतीय समाज में मातृत्व और प्रकृति को एक साथ जोड़ने का एक सुंदर प्रयास है, जो अब एक राष्ट्रीय जनआंदोलन का रूप ले चुका है.
भारत-ब्रिटेन के बीच आर्थिक रिश्तों की नई शुरुआत
इस ऐतिहासिक दिन की दूसरी बड़ी उपलब्धि भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता (FTA) रहा. यह समझौता प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में लंदन में संपन्न हुआ, जिसमें भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार मंत्री जोनाथन रेनॉल्ड्स ने हस्ताक्षर किए. इस एग्रीमेंट के तहत दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार हर वर्ष लगभग 34 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है. यह समझौता केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उद्यमिता, स्टार्टअप्स, टेक्नोलॉजी, शिक्षा और निवेश के क्षेत्र में सहयोग के अनगिनत नए अवसर खोलता है.
सांस्कृतिक समर्पण और वैश्विक नेतृत्व की झलक
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किंग चार्ल्स और प्रधानमंत्री मोदी की यह बैठक जहां औपचारिक राजनयिक संवाद का हिस्सा थी, वहीं इसमें मानवीय मूल्यों और सांस्कृतिक समर्पण की स्पष्ट झलक देखने को मिली. योग, आयुर्वेद और जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर चर्चा से यह साबित हुआ कि भारत और ब्रिटेन केवल व्यापार साझेदार नहीं, बल्कि वैश्विक जिम्मेदारियों के साझेदार भी हैं. इस मुलाकात में न केवल पुराने संबंधों की पुष्टि हुई, बल्कि आने वाले समय के लिए नए दृष्टिकोण भी सामने आए.