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कौन है 10 साल का ये बच्चा, जिसमें पाकिस्तान को ढेर करते वक्त की मदद, अब मिला बड़ा ईनाम

पंजाब के फिरोजपुर के तारा वाली गांव में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सैनिकों को चाय, दूध और लस्सी पहुंचाने वाले 10 साल के शवन सिंह की बहादुरी और सेवा को सेना ही नहीं दुनिया भी सलाम कर रही है सेना ने अब ऐलान किया है कि वो 10 साल की शान की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाएगी..

22 Jul, 2025
( Updated: 22 Jul, 2025
05:25 PM )
कौन है 10 साल का ये बच्चा, जिसमें पाकिस्तान को ढेर करते वक्त की मदद, अब मिला बड़ा ईनाम

22 अप्रैल 2025 पहलगाम हमला.. वो काला दिन, जब कायराना आतंकियों ने देश की आत्मा पर हमला किया… लहू बहा, मातम पसरा... लेकिन हिंदुस्तान ने तय कर लिया था..  अब सिर्फ बदला नहीं, विनाश होगा.. और आतंकियों के विनाश बना ऑपरेशन सिंदूर,.  ये सिर्फ एक सैन्य अभियान नहीं था, ये देश के शौर्य और संकल्प का महायुद्ध था… पाकिस्तान और PoK के आतंकी ठिकानों पर जब आसमान से आग बरस रही थी… जैश और लश्कर के अड्डे खाक हो रहे थे, तब सीमा पर एक और युद्ध छिड़ चुका था… दुश्मन बौखलाया, उसने अपनी सारी ताकत झोंक दी. गोलियां बरस रही थीं..  मोर्टार के गोले फट रहे थे, और मुहाने पर भारतीय सेना दुश्मन को चित कर रही थी..

लेकिन इस भयंकर रणभूमि के ठीक दो किलोमीटर दूर,.. 10 साल का एक ऐसा नन्हा शेर खड़ा था.. जिसने अपनी हिम्मत और हौंसले से सेना के बड़े-बड़े अफसरों को हैरान कर दिया… एक ऐसा बच्चा, जिसकी मासूमियत में देशभक्ति का ऐसा ज्वालामुखी धधक रहा था कि उसने जान दांव लगाकर दुश्मन को ढेर करने के लिए खड़े  सैनिकों के दिल में एक नई जान फूंक दी…

नाम है उसका शवन सिंह... उम्र सिर्फ 10 साल... लेकिन इरादे फौलादी

जब 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर के तहत, भारतीय सेना पाकिस्तान के उन नापाक ठिकानों को जमींदोज कर रही थी, जहां से आतंक का ज़हर उगला जाता था… तब सरहद पर पाकिस्तान ने आग उगना शुरू कर दिया…गोलियों की तड़तड़ाहट सुनाई पड़ रही थी..  बारूद की गंध फैल रही थी..  हमारे जवान बिना रुके, बिना थके, दुश्मनों को धूल चटा रहे थे...लेकिन जंग का जुनून ऐसा था कि कोई पीछे हटने को तैयार नहीं था… ऐसे वक्त में जब कोई बाहर निकलने की सोच भी नहीं सकता था,..  तभी एक मासूम साया गोलियों की आवाज़ के बीच, सीमा की ओर बढ़ता दिखा. उसके नन्हें हाथों में पानी की बोतलें थीं… बर्फ थी.. चाय थी... और सबसे बढ़कर, लस्सी के बड़े-बड़े जग थे.. जी हां.. ये कोई सपना नहीं था… ये शवन सिंह था.,.. चौथी क्लास में पढ़ने वाला वो बहादुर बच्चा, जिसने अपनी जान की परवाह किए बगैर अपनी प्यास और भूख मिटाकर, उन वीर जवानों के लिए राहत पहुंचाई… जो देश के लिए अपनी जान हथेली पर लिए खड़े थे.

सोचिए उस पल को..  एक तरफ मौत नाच रही थी.. दूसरी तरफ एक बच्चा निडर होकर अपने देश के रक्षकों के लिए अमृत लेकर पहुंच रहा था.. उसकी मासूम आंखों में कोई खौफ नहीं था…  बस एक ही ख्वाब था - अपने फौजियों को ताकत देना..  शवन ने एक दिन, दो दिन नहीं, बल्कि लगातार कई दिनों तक यही काम किया… जब तक ऑपरेशन सिंदूर चला, जब तक गोलियां बरसती रहीं, शवन सिंह मोर्चे पर तैनात जवानों के लिए एक उम्मीद बनकर पहुंचता रहा. चाय, दूध, लस्सी... उसने सिर्फ ये चीजें नहीं पहुंचाईं, उसने सेना के जवानों के हौसलों को टूटने नहीं दिया… उसने अपनी सेवा से उन जवानों के दिल में एक ऐसी जगह बनाई… जिसकी बराबरी कोई और नहीं कर सकता. उसके पिता गर्व से कहते हैं कि बेटे ने बिना किसी के कहे, ये महान काम किया…

भारतीय सेना, जिसने बड़े-बड़े युद्ध जीते हैं, दुश्मनों को धूल चटाई है, वो भी इस 10 साल के बच्चे के जज्बे को सलाम कर रही है…  गोल्डन ऐरो डिवीजन ने शवन सिंह के इस निस्वार्थ समर्पण और बहादुरी को देखते हुए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है..

सेना ने ऐलान किया है कि वह अब इस नन्हे देशभक्त की पूरी पढ़ाई का खर्च उठाएगी 

वेस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने खुद फिरोज़पुर कैंटोनमेंट में एक सम्मान समारोह में शवन को सम्मानित किया!

शवन सिंह... ये सिर्फ एक नाम नहीं है, ये देश के उन निस्वार्थ नायकों की मिसाल है, जो बिना किसी उम्मीद के देश की सेवा करते हैं… अब सम्मान पाने के साथ साथ शवन सिंह का कहता है कि ‘मैं बड़ा होकर फौजी बनना चाहता हूं. मुझे देश की सेवा करनी है’उसके पिता ने भी बेटे पर गर्व जताया. कहा कि बेटे ने बिना किसी के कहे खुद से सैनिकों को राशन पहुंचाया और सैनिक भी उसे बहुत प्यार करने लगे. 

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तारा वाली गांव अंतरराष्ट्रीय सीमा से महज 2 किलोमीटर दूर है…जहां उसने जवानों की खूब सेवा की.. वहीं सेना ने शवन की इस कहानी को देश के निस्वार्थ नायकों की मिसाल बताया है… जो बिना किसी उम्मीद के देश की सेवा करते हैं और जिनकी सराहना जरूरी है. उसकी ये कहानी हमें सिखाती है कि देशभक्ति के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती, और हौसले बुलंद हों, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहींययय  ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने आतंकियों को तो जहन्नुम पहुँचाया ही, लेकिन इस 10 साल के बच्चे ने दिखा दिया कि भारत का हर बच्चा, हर नागरिक, इस देश की ताकत है! और जब देश पर खतरा आता है.य..तो हर भारतीय सेना का सिपाही बन जाता है.. ये है असली देशभक्ति की कहानी

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