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ब्रिटेन में बना सत्ता पलट का प्लान, बांग्लादेश में फिर लौटेगी शेख हसीना?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो इस समय भारत में शरण लिए हुई हैं, अब अपनी वापसी की योजना बना रही हैं। वहीं दूसरी ओर, उनकी पार्टी अवामी लीग के वरिष्ठ नेता लंदन में गुप्त बैठकों के जरिए सत्ता पलट की रणनीति बना रहे हैं। इस बीच, नोबेल विजेता मुहम्मद यूनुस की सरकार भारत विरोधी रुख अपनाकर चीन और पाकिस्तान के करीब जा रही है। क्या भारत इस सियासी जंग में कोई भूमिका निभाएगा?

22 Apr, 2025
( Updated: 22 Apr, 2025
01:08 AM )
ब्रिटेन में बना सत्ता पलट का प्लान, बांग्लादेश में फिर लौटेगी शेख हसीना?
भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील पड़ोसियों में से एक — बांग्लादेश — इन दिनों एक बार फिर उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. देश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की प्रमुख शेख हसीना फिलहाल भारत में शरण लिए हुए हैं, लेकिन अब खबरें आ रही हैं कि उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता सत्ता पलट की तैयारी में जुट गए हैं. सवाल यह है कि क्या बांग्लादेश में फिर से शेख हसीना का दौर लौटेगा? क्या भारत इस नए भू-राजनीतिक समीकरण में निर्णायक भूमिका निभाने जा रहा है?

हसीना की विदाई कैसे हुई?

पिछले साल अगस्त 2024 की गर्मियों में, बांग्लादेश की सड़कों पर शुरू हुआ एक छोटा-सा छात्र आंदोलन कुछ ही हफ्तों में एक विशाल जनविरोध में तब्दील हो गया. शिक्षा सुधारों और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर शुरू हुआ यह आंदोलन, देखते ही देखते सरकार विरोधी लहर में बदल गया. कई शहरों में प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें जान-माल का भारी नुकसान हुआ. बढ़ते दबाव और सेना के समर्थन से हाथ खींच लेने के बाद शेख हसीना को सत्ता छोड़नी पड़ी. अपनी जान बचाने के लिए वे भारत आ गईं.

नवीन सत्ता का उदय, मुहम्मद यूनुस का आगमन

शेख हसीना की सत्ता से विदाई के बाद, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अर्थशास्त्री और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाया गया. शुरू में माना गया कि यूनुस निष्पक्ष नेतृत्व देंगे और बांग्लादेश को एक स्थिर शासन की ओर ले जाएंगे. लेकिन उनकी सरकार के शुरू होते ही बांग्लादेश के विदेश नीति में बड़ा बदलाव दिखा.

यूनुस सरकार ने भारत से दूरी बनानी शुरू की और चीन और पाकिस्तान की ओर झुकाव दिखाया. कई महत्वपूर्ण समझौते रद्द किए गए जो भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार, सुरक्षा और नदी जल बंटवारे से जुड़े थे. इससे दोनों देशों के रिश्तों में खटास आने लगी. भारत ने चुपचाप स्थिति का जायजा लिया, लेकिन हाल ही में घटनाओं ने नया मोड़ ले लिया है.

लंदन में चुपचाप हुई मीटिंग

सूत्रों के अनुसार, लंदन में हुई एक शादी अब बांग्लादेश की राजनीति का केंद्र बन चुकी है. दरअसल, ब्रिटेन स्थित अवामी लीग नेता सैयद साजिदुर रहमान फारूक के बेटे की शादी में बांग्लादेश की पूर्व सरकार के पांच वरिष्ठ नेता पहुंचे. इसमें शामिल थे पूर्व विदेश मंत्री हसन महमूद, पूर्व मत्स्य मंत्री अब्दुर रहमान, पूर्व नौपरिवहन मंत्री खालिद महमूद चौधरी, प्रवासी कल्याण मंत्री शफीकुर रहमान चौधरी. बाहरी तौर पर यह शादी समारोह लग रहा था, लेकिन अंदरखाने इस शादी में एक गुप्त राजनीतिक बैठक हुई, जहां यूनुस सरकार को हटाने की रणनीति पर चर्चा की गई. यह खबर जब ढाका पहुंची, तो वहां राजनीतिक हलचल तेज हो गई. मीडिया में कयास लगाए जा रहे हैं कि अवामी लीग ने अपनी खोई हुई ताकत वापस पाने की तैयारी कर ली है.

शेख हसीना जो इस वक्त भारत में हैं, उन्होंने हाल ही में दिल्ली में अवामी लीग समर्थकों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की. इस मुलाकात में उन्होंने एक अहम बयान दिया है, उन्होंने कहा “ईश्वर ने मेरी जान बचाई है. भारत लाकर मुझे एक उद्देश्य दिया है. मैं जल्द ही अपने देश लौटूंगी.”

इस बयान ने बांग्लादेश की राजनीति में हलचल मचा दी है. माना जा रहा है कि लंदन की बैठक और हसीना के इस बयान के बीच कोई सीधा संबंध है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूनुस सरकार ने हसीना का पासपोर्ट रद्द कर दिया है, उनकी राष्ट्रीय वोटर ID भी निलंबित कर दी गई है. उन पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं हत्या, अपहरण, नरसंहार और युद्ध अपराध तक के मुकदमे दर्ज हैं. लेकिन हसीना का आत्मविश्वास दर्शाता है कि या तो उन्हें अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है या फिर वे एक बड़ी राजनीतिक रणनीति पर काम कर रही हैं.

तुलिप सिद्दीक़ को लेकर भी वारंट जारी

बांग्लादेश सरकार ने शेख हसीना की नातिन और ब्रिटिश सांसद तुलिप सिद्दीक़ के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है. यह स्पष्ट संकेत है कि वर्तमान सरकार अपने विरोधियों पर कार्रवाई के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. भारत की भूमिका अब बहुत महत्वपूर्ण हो गई है. एक ओर वह क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना चाहता है, वहीं शेख हसीना की वापसी को लेकर उसे रणनीतिक निर्णय लेना होगा. क्या भारत हसीना को समर्थन देगा? या फिर वह तटस्थ बना रहेगा?

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यूनुस सरकार अब जनता के समर्थन से दूर होती जा रही है. महंगाई, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति ने लोगों में असंतोष पैदा कर दिया है. यदि अवामी लीग सफलतापूर्वक हसीना की वापसी करा लेती है, तो यह इतिहास का सबसे बड़ा सत्ता वापसी का उदाहरण बन सकता है.हीं, भारत को यह तय करना है कि वह बांग्लादेश की इस उथल-पुथल में किन मूल्यों के साथ खड़ा रहेगा.

बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है. भारत में मौजूद शेख हसीना की वापसी को लेकर कूटनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है. लंदन की गोपनीय बैठक, यूनुस सरकार की नीतियों से जनता में नाराजगी और भारत की चुप्पी ये सारे संकेत दिखा रहे हैं कि कुछ बड़ा होने वाला है. क्या हम आने वाले दिनों में बांग्लादेश में एक और राजनीतिक भूचाल देखेंगे, क्या शेख हसीना की वापसी बांग्लादेश की राजनीति में स्थिरता लाएगी या फिर नई संघर्षों की शुरुआत होगी? ये सवाल अब सिर्फ बांग्लादेश नहीं, पूरे दक्षिण एशिया के भविष्य से जुड़े हुए हैं.

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