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YouTube ने AI को लेकर उठाया बड़ा कदम, लाया AI Detection Tool

YouTube ने हाल ही में एक नए AI Detection Tools की घोषणा की है जो क्रिएटर्स जैसे कलाकारों, अभिनेताओं, संगीतकारों और एथलीट्स को उनके चेहरे और आवाज की नकल करके बनाए गए वीडियो से सुरक्षा प्रदान करेगा। यह नई तकनीक YouTube के मौजूदा Content ID सिस्टम के विस्तार का हिस्सा है, जो अब तक कॉपीराइट प्रोटेक्टेड कंटेंट की पहचान करता है

07 Sep, 2024
( Updated: 06 Dec, 2025
08:53 AM )
YouTube ने AI को लेकर उठाया बड़ा कदम, लाया AI Detection Tool

YouTube, हमेशा से ही डिजिटल कंटेंट की दुनिया में नई तकनीकों को अपनाने के लिए जाना जाता है। अब, इस प्लेटफॉर्म ने एक और बड़ा कदम उठाने की घोषणा की है, YouTube का यह नया टूल्स   क्रिएटर्स जैसे एक्टर, सिंगर और एथलीट्स को उनके चेहरे और आवाज की नकल करके बनाए गए वीडियो से सुरक्षा प्रदान करेगा। दरअसल YouTube एआई-डिटेक्शन टूल्स पर काम कर रहा है, जो संगीत और चेहरों की पहचान कर सकेगा। साथ ही, यह टूल्स क्रिएटर्स को उनके कंटेंट के लिए AI प्रशिक्षण को लेकर बेहतर कंट्रोल्स भी प्रदान करेगा। 

क्या है YouTube का नया AI Detection Tool?

YouTube के नए AI Detection Tools का उद्देश्य कंटेंट की पहचान और सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाना है। इन टूल्स के जरिए YouTube पर अपलोड किए गए वीडियो में मौजूद म्यूजिक और चेहरों की पहचान की जा सकेगी। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे कॉपीराइट और प्राइवेसी के मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी।

1. Music Detection: YouTube का यह टूल अपलोड किए गए वीडियो के बैकग्राउंड में चल रहे म्यूजिक को पहचानने की क्षमता रखेगा। यह तकनीक क्रिएटर्स को कॉपीराइट म्यूजिक के इस्तेमाल पर अलर्ट करेगी और उन्हें लाइसेंसिंग नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित करेगी। इससे क्रिएटर्स के लिए सही म्यूजिक चुनना और कंटेंट को सुरक्षित रखना आसान हो जाएगा।

2. Face Detection: YouTube के नए टूल्स में फेस रिकग्निशन तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे वीडियो में दिखाई देने वाले चेहरों की पहचान की जा सकेगी। इसका फायदा यह होगा कि क्रिएटर्स और व्यूअर्स की प्राइवेसी की सुरक्षा की जा सकेगी। यह तकनीक सुनिश्चित करेगी कि किसी व्यक्ति की इमेज या वीडियो उसके अनुमति के बिना इस्तेमाल न हो।

Creator को AI मॉडल्स के प्रशिक्षण में इस्तेमाल पर कंट्रोल:

YouTube का यह कदम क्रिएटर्स की उन शिकायतों का जवाब है, जिनमें उन्होंने कहा है कि बड़ी कंपनियों जैसे Apple, Nvidia, OpenAI, और Google उनके कंटेंट को बिना अनुमति के AI मॉडल्स के प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। YouTube अब क्रिएटर्स को यह विकल्प देने की दिशा में काम कर रहा है कि वे अपने कंटेंट के AI मॉडल्स के प्रशिक्षण में इस्तेमाल पर नियंत्रण रख सकें।

कैसे काम करेगा यह फीचर?

नोटिफिकेशन और अलर्ट: क्रिएटर्स को इस बात की नोटिफिकेशन मिलेगी कि उनका कंटेंट AI मॉडल्स के लिए उपयोग हो रहा है या नहीं।

AI ट्रेंनिंग की अनुमति: क्रिएटर्स के पास यह ऑप्शन होगा कि वे अपने कंटेंट को AI प्रशिक्षण के लिए अनुमित दें या उसे ब्लॉक कर दें।

कस्टमाइजेशन और सेटिंग्स: क्रिएटर्स अपनी सुविधानुसार कस्टमाइजेशन कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके कंटेंट को सही तरीके से इस्तेमाल किया जा रहा है।

क्रिएटर्स और व्यूअर्स को होंगे क्या फायदे?

म्यूजिक और फेस रिकग्निशन के जरिए कॉपीराइट इन्फ्रिंगमेंट्स की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।

फेस रिकग्निशन तकनीक प्राइवेसी सुरक्षा में भी मदद करेगी, जिससे चेहरों का गलत इस्तेमाल रोका जा सकेगा।

क्रिएटर्स का कंटेंट AI प्रशिक्षण में सही ढंग से इस्तेमाल होगा, जिससे AI मॉडल्स की गुणवत्ता में सुधार आएगा।

YouTube का यह कदम न केवल प्लेटफॉर्म की सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि क्रिएटर्स को भी सशक्त बनाएगा। AI Detection Tools के जरिए क्रिएटर्स अपने कंटेंट पर बेहतर नियंत्रण पा सकेंगे और AI प्रशिक्षण की दिशा में योगदान कर सकेंगे। आने वाले समय में यह फीचर क्रिएटर्स और व्यूअर्स दोनों के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है।


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