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बलूचिस्तान से लेकर कैलासा तक, ये देश खुद को कर चुके हैं आज़ाद घोषित

बलूच नेता मीर यार बलोच द्वारा बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने के बाद दुनियाभर में एक बार फिर उन क्षेत्रों की चर्चा हो रही है जो खुद को देश मानते हैं लेकिन जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिली.

25 May, 2025
( Updated: 03 Jun, 2025
10:32 AM )
बलूचिस्तान से लेकर कैलासा तक, ये देश खुद को कर चुके हैं आज़ाद घोषित
पाकिस्तान के सबसे बड़े और खनिज संपन्न प्रांत बलूचिस्तान ने एक बार फिर खुद को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया है. बलूच नेता मीर यार बलोच ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर यह घोषणा की थी कि बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं रहा. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से बलूचिस्तान को मान्यता देने और भारत सहित वैश्विक समुदाय से समर्थन की अपील की. इसके साथ ही उन्होंने बलूचिस्तान के लिए अलग करेंसी, पासपोर्ट और शांति सेना की मांग करते हुए पाकिस्तान पर मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप लगाए.

मीर यार बलोच ने बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा करते हुए यह भी कहा कि वे भारत की राजधानी दिल्ली में बलूचिस्तान का दूतावास खोलना चाहते हैं. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से अरबों डॉलर के आर्थिक फंड की मांग की ताकि बलूचिस्तान अपनी प्रशासनिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चला सके. यह ऐलान पाकिस्तान के लिए एक कूटनीतिक झटका माना जा रहा है, क्योंकि बलूच विद्रोह दशकों से पाकिस्तान की सबसे बड़ी आंतरिक चुनौती रहा है.

वैसे आपको बता दें कि बलूचिस्तान अकेला इलाका नहीं है जिसने खुद को एक स्वतंत्र देश घोषित किया हो. दुनिया में कई ऐसे क्षेत्र हैं जो वर्षों से अपनी स्वतंत्रता की मांग करते आ रहे हैं और कुछ ने तो खुद को बाकायदा 'देश' के रूप में घोषित भी कर दिया है. इनमें सबसे चर्चित नाम सोमालीलैंड और कैलासा का है.

1991 से आज तक पहचान की तलाश में- सोमालीलैंड 

सोमालिया के उत्तरी हिस्से ने 1991 में खुद को 'सोमालीलैंड' नामक देश घोषित कर दिया था. इस क्षेत्र की अपनी सरकार, संसद और प्रशासन है. सोमालीलैंड शांतिपूर्ण तरीके से चलाया जा रहा है और उसकी अर्थव्यवस्था भी धीरे-धीरे विकसित हो रही है. फिर भी संयुक्त राष्ट्र और अधिकांश देशों ने अब तक इसे एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता नहीं दी है. इसे आज भी सोमालिया का ही हिस्सा माना जाता है.

एक विवादित 'धार्मिक राष्ट्र' का दावा- कैलासा
कैलासा नामक 'देश' की घोषणा एक और विवाद से जुड़ी है. यह दावा विवादास्पद भारतीय गुरु नित्यानंद ने किया, जो भारत से फरार होकर 2019 में एक अज्ञात द्वीप पर जाकर बस गया. उसने वहां खुद को राष्ट्र प्रमुख घोषित किया और 'यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ कैलासा' नामक एक देश बना लिया. कैलासा की वेबसाइट, पासपोर्ट, करेंसी और यहां तक कि 'संयुक्त राष्ट्र में भागीदारी' के दावे भी किए गए. हालांकि, विश्व स्तर पर इसे एक फर्जी और प्रतीकात्मक प्रयास के रूप में देखा गया है.

एक स्वतंत्र देश बनने की कानूनी शर्तें

अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक, किसी भी क्षेत्र को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता पाने के लिए चार प्रमुख शर्तों को पूरा करना होता है – स्थायी आबादी, निश्चित सीमा, प्रभावशाली सरकार और संप्रभुता. यदि इन चारों में से किसी एक की भी कमी हो, तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय आमतौर पर उस क्षेत्र को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं देता. बलूचिस्तान, सोमालीलैंड और कैलासा – इन सभी को अंतरराष्ट्रीय मान्यता की कमी है, जो इन्हें वैश्विक राजनीति में एक अस्थिर स्थिति में रखता है.

बलूचिस्तान पर क्या है भारत का रुख?

बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की मांग पर भारत ने आधिकारिक रूप से कोई बयान नहीं दिया है. लेकिन 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लाल किले से बलूचिस्तान का जिक्र किए जाने के बाद यह मुद्दा अंतरराष्ट्रीय फलक पर तेज़ी से उभरा. भारत के लिए यह एक कूटनीतिक अवसर भी है और चुनौती भी. पाकिस्तान का आंतरिक विघटन क्षेत्रीय स्थिरता को प्रभावित कर सकता है.

बलूचिस्तान हो, सोमालीलैंड हो या कैलासा – इन सभी क्षेत्रों की खुद को आजाद घोषित करने की कोशिशें एक बड़ी वैश्विक बहस का हिस्सा हैं. यह बहस सिर्फ भूगोल की नहीं, बल्कि मानवाधिकार, आत्मनिर्णय और अंतरराष्ट्रीय कानून की भी है. आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये क्षेत्र सिर्फ प्रतीकात्मक स्वतंत्रता तक सीमित रहेंगे या वास्तव में एक दिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता प्राप्त करेंगे.

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