ना इस्लामिक एंगल ना सऊदी-जॉर्डन की धमकी...भारत के लिए सबसे लड़ा ये मुस्लिम देश, PM मोदी के दौरे से PAK का चिढ़ना तय
न इस्लामिक एंगल ना सऊदी-जॉर्डन की नाराजगी... वो देश जो 1971 में पाकिस्तान से जंग के वक्त भारत के लिए सबसे लड़ गया वहां जा रहे PM मोदी. खबर बहुत बड़ी है, बहुत बड़ा कुछ होने वाला है.
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प्रधानमंत्री मोदी 17-18 दिसंबर को खाड़ी के अहम मुस्लिम देश, भारत का दोस्त माने जाने वाले ओमान की यात्रा पर जाने वाले हैं. कहा जा रहा है कि उनका ये दौरा महज बैठकों और समझौतों का नहीं बल्कि 54 साल पुरानी अपनी दोस्ती को याद करने और मजबूत करने लिए है. ओमान हमेशा से गल्फ में हिंदुस्तान की आवाज रहा है. जब भी हिंदुस्तान और हिंदुस्तानियों को यहां दिक्कत हुई है, ओमान ही सबसे पहले खड़ा हुआ है. ऐसे वक्त में जब GCC, OIC के साथ भारत के रिश्ते परवान चढ़ चुके हैं, सऊदी-यूएई, बहरीन-कुवैत सहित पूरे मुस्लिम उम्मा के साथ दोस्ती की नई कहानी लिखी जा रही है, ऐसे में उस दोस्त को कैसे भूला जा सकता है जब उसने आपका मुश्किल वक्त में साथ दिया.
ओमान के बारे में कहा जाता है कि जब भारत 1971 में बांग्लादेश की जंग लड़ रहा था, अमेरिका और पूरी मुस्लिम उम्मा भारत के खिलाफ खड़ी थी. इस्लाम और जियो पॉलिटिकल सिचुएशन के कारण पाकिस्तान की पैरोकारी की जा रही थी, उस वक्त ओमान वह एकमात्र मुस्लिम देश था, जिसने अरब, OIC और इस्लामिक दुनिया के दबाव को सिरे से खारिज करते हुए हर जगह मसलन यूएन से लेकर हर कूटनीतिक मंच पर भारत का खुलकर समर्थन किया था. कहा जाता है कि जब सब पाकिस्तान को बचाने में लगे थे तब ओमान भारत की सच्चाई के साथ खड़ा था.
जब भारत के लिए मुस्लिम देशों से भिड़ गया था ओमान!
इतिहास के जानकार बताते हैं कि पाकिस्तान की कोशिश रही है कि वो खुद को इस्लामिक दुनिया का अगुवा के रूप में पेश करे. इतना ही नहीं उसने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के वक्त खुद को ‘इस्लाम के किले’ के रूप में पेश किया था. इसके अलावा उसने अपने हथियारों के नाम भी उसी आधार पर रखे. वहीं अपने परमाणु बम का नाम भी 'इस्लामिक बम' के रख दिया ताकि अरब के देशों की पुश्तपनाही, पैरोकारी और पैसे हासिल किए जा सकें. ऐसे में अरब देशों पर एक मोरल दबाव था कि वे भारत का बायकॉट करें, लेकिन उस वक्त ओमान के सुल्तान कबूस बिन सईद इन प्रेशरों के आगे डट गए. उन्होंने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि उनका देश यानी कि ओमान भारत के रणनीतिक हितों के खिलाफ नहीं जाएगा.
सऊदी अरब और जॉर्डन के आगे नहीं झुका ओमान!
जब अमोन के सुल्तान ने ये साफ कह दिया कि वो भारत के खिलाफ नहीं जाएंगे तब सऊदी अरब और जॉर्डन जैसे देश सुल्तान कबूस से बेहद खफा हो गए, लेकिन सुल्तान कबूस टस से मस नहीं हुए. कहा जाता है कि सुल्तान ने ना सिर्फ भारत को कूटनीतिक समर्थन दिया बल्कि बंदरगाहों और अन्य सुविधाएं भी प्रदान कीं. ऐसे में फिर से प्रधानमंत्री मोदी का ओमान का दौरा करना उसी ऐतिहासिक संबंध को नई ऊंचाई पर ले जाना का मौका है.
ओमान क्यों जा रहे हैं पीएम मोदी, क्या होने वाला है?
मिली जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री का ये दौरा आर्थिक गतिविधि और बाइलेटरल ट्रेड के लिहाज से मील का पत्थर साबित होगा. इस बात की पूरी संभावना है कि प्रधानमंत्री के इसी दौरे में भारत-ओमान के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर हस्ताक्षर हो जाए. इस समझौते के बाद भारतीय सामानों की ओमान में आवाजाही बढ़ जाएगी और पाकिस्तानी सामानों की गुणवत्ता और सप्लाई को देखते हुए उसका पत्ता कटना तय है. FTA के बाद इंडियन प्रोडक्ट्स जैसे कि कपड़ा, जेम्स, ज्वेलरी, मशीनरी बिना किसी टैक्स के ओमान के बाजारों में बिक सकेगा.
भारत से क्यों प्यार करते हैं ओमान के सुल्तान?
ओमान के सुल्तान का भारत के प्रति प्यार की बहुत बड़ी और एक अहम वजह है पुणे. ओमान के मौजूदा सुल्तान हैथम बिन तारिक को भारत के बारे में नेक राय उनके पिता से बनी है. दरअसल सुल्तान हैथम के पिता की शिक्षा-दीक्षा महाराष्ट्र के पुणे से भी हुई थी. इतना ही नहीं ओमान का शाही परिवार भारत को अपना दूसरा घर मानता है. ओमान में शाही परिवारों के इतिहास की जड़ें भी भारत से जुड़ी हुई हैं. माना जाता है कि ओमान के कुछ शाही परिवारों के पूर्वज भारत में गुजरात के कच्छ से जुड़े थे. कहा जाता है कि पीएम मोदी और सुल्तान हैथम के बीच गजब की केमिस्ट्री है. बीते वर्ष ओमान के सुल्तान अपनी पहली भारत यात्रा पर भी आए थे.
#WATCH | Prime Minister Narendra Modi says, "I am happy to welcome you to India. Today is a historic day in Oman-India relations as after 26 years, the Sultan of Oman has come to India on a state visit and I have got the opportunity to welcome you. On behalf of the people of… https://t.co/znODa2xyzp pic.twitter.com/HLKivoXnyn
— ANI (@ANI) December 16, 2023
भारत-ओमान के बीच सिंधु सभ्यता जितने पुराने संबंध
भारत और ओमान के बीच बेहद गहरा संबंध है. दोनों देश एक-दूसरे के साथ भौगोलिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से जुड़े हैं. दोनों देशों के बीच 1955 में राजनयिक संबंध स्थापित हुए थे, जो साल 2008 में रणनीतिक साझेदारी में बदल गए. ओमान का क्षेत्रफल लगभग 309,500 वर्ग किलोमीटर है, और इसकी जनसंख्या कंट्रीमीटर्स के हिसाब से 15 अगस्त 2025 तक 7,910,679 है. ओमान में भारी संख्या में प्रवासी रहते हैं. उनमें भारतीयों की संख्या भी काफी ज्यादा है.
ओमान में 8 लाख लोगों का है भारतीय समुदाय!
ओमान में लगभग सात से आठ लाख भारतीय समुदाय के लोग रहते हैं. ओमान और भारत के बीच समुद्री व्यापार प्राचीन सिंधु-सभ्यता के समय से चला आ रहा है. गुजरात, कच्छ, केरल और महाराष्ट्र के व्यापारी सदियों से ओमान के बंदरगाहों पर आते-जाते रहे हैं. ओमानी लोग भारत में मसाले, वस्त्र, मोती और धातुओं का व्यापार करते थे. ओमान में भारतीय संगीत, फिल्में और नृत्य को भी काफी पसंद किया जाता है. इसके अलावा, यहां भारी संख्या में भारतीयों के रहने की वजह से पर्व-त्योहार भी धूमधाम से मनाए जाते हैं. ओमान के खानपान में करी, मसाले, बिरयानी, चपाती, समोसा जैसी भारतीय चीजें काफी लोकप्रिय हैं.
किन क्षेत्रों में है सहयोग?
दोनों देश सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम (सीईपी) के तहत कला, शिक्षा, विरासत संरक्षण और खेलों में सहयोग करते हैं. वहीं, भारत और ओमान के बीच व्यापार बढ़ाने को लेकर कवायद तेज हो गई है. हाल ही में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इसका संकेत दिया था. ओमान के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने की तैयारी भी चल रही है.
भारत-ओमान के बीच 200 साल पुराने संबंध!
ओमान के साथ व्यापार को लेकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा था, "भारत ऐसे सभी देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है, जिनसे व्यापार के नए रास्ते खुल सकते हैं. ध्यान रहे कि भारतीय समुदाय के लोग करीब 150-200 साल से भी अधिक समय से ओमान में रह रहे हैं. अब ओमान में करीब 7 लाख भारतीय रहते हैं."
भारत-ओमान के बीच ट्रेड को मिलेगा बूम!
उन्होंने बताया कि ओमान के साथ एफटीए पर तेजी से बातचीत हुई है और अब इसे जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा. उन्होंने भरोसा जताया कि यह समझौता भारत और ओमान दोनों देशों के लिए विन-विन डील होगी.
ओमान, भारत के लिए खाड़ी देशों में अहम व्यापारिक भागीदार है. अगर दोनों देशों के बीच यह समझौता हो जाता है तो भारत को अपने प्रोडक्ट्स के लिए ओमान में मार्केट का विस्तार करने को मिलेगा. इससे कारोबारियों को भी काफी फायदा होगा. भारत के निर्यात में तेजी आएगी, निवेश के अवसर बढ़ेंगे और रोजगार के नए अवसर मिलेंगे. इसके साथ ही मिडिल ईस्ट में भारत की आर्थिक पकड़ को भी मजबूती मिलेगी.
दोनों देशों में कितना है द्विपक्षीय व्यापार?
दोनों देशों के बीच वित्तीय वर्ष 2024-2025 में 10.61 बिलियन डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ है. भारत ओमान से कच्चा तेल, एलएनजी, पेट्रोलियम आधारित उत्पाद, एल्युमिनियम, कॉपर, आयरन, फर्टिलाइजर, मशीनपार्ट्स, खजूर, सीफूड, समेत अन्य चीजें आयात करता है.
ओमान को क्या निर्यात करता है भारत?
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भारत ओमान को चावल, अनाज और अन्य खाद्य सामग्री, ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स, लोहा और इस्पात उत्पाद, दवाइयां और फार्मास्यूटिकल्स, टेक्सटाइल, परिधान और कपड़ा उत्पाद, बिजली उपकरण, फर्नीचर और घरेलू सामान निर्यात करता है. भारत और ओमान के बीच ऊर्जा, व्यापार, संस्कृति और सुरक्षा के क्षेत्रों में मजबूत संबंध हैं.ो
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