पहलगाम हमले के बाद क्या कश्मीर दोबारा अपने टूरिज्म को संभाल पाएगा?
पहलगाम के बैसारण में हुए भयानक आतंकी हमले ने न केवल 28 निर्दोष पर्यटकों की जान ले ली, बल्कि कश्मीर की टूरिज्म और हवाई यात्रा पर भी बड़ा संकट ला दिया है। श्रीनगर एयरपोर्ट से फ्लाइट कैंसिलेशन शुरू हो गए हैं और होटल इंडस्ट्री को भारी नुकसान हो रहा है।

यह एक सपनों जैसा सफर होना चाहिए था. अहमदाबाद के रहने वाले 60 वर्षीय पंकज सोनी अपने परिवार और दूर के रिश्तेदारों के साथ चार दिन पहले श्रीनगर पहुंचे थे. मन में पहलगाम की हरी-भरी वादियों को देखने का उत्साह था. बुधवार को योजना थी कि वे स्विट्जरलैंड जैसे दिखने वाले बैसारण के मैदानों में परिवार संग खूबसूरत यादें संजोएंगे. लेकिन मंगलवार की दोपहर जो कुछ भी हुआ, उसने इस यात्रा को एक डरावनी याद में बदल दिया.
पहलगाम के बैसारण इलाके में हुए भीषण आतंकी हमले ने सब कुछ तबाह कर दिया. आतंकियों ने निहत्थे और बेगुनाह पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं. इस हमले में 28 निर्दोष लोगों की जान चली गई. जान बचाने के लिए जो जहां था, वहीं दुबक गया.
बैसारण, जो एक समय शांति का प्रतीक था
बैसारण, जिसे लोग प्यार से 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहते हैं, कश्मीर के पर्यटन मानचित्र पर तेजी से उभरा था. हरे-भरे घास के मैदान, दूर-दूर तक फैले देवदार के जंगल और ताजी हवा में घुलती बर्फीली महक, हर किसी को वहां खींच लाती थी. पर्यटक इसे कश्मीर की सबसे सुरक्षित और शांत जगहों में से एक मानते थे. लेकिन इस हमले ने उस छवि को गहरी चोट पहुंचाई है.
कश्मीर की हवाई यात्रा पर खतरे के बादल
पहलगाम आतंकी हमले का सबसे गहरा असर कश्मीर की हवाई यात्रा और पर्यटन उद्योग पर पड़ने जा रहा है. हाल के वर्षों में श्रीनगर हवाईअड्डे पर यात्रियों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा था. कोरोना महामारी के बाद पर्यटन ने तेजी से रफ्तार पकड़ी थी. 2024 में रिकॉर्ड तोड़ 2 करोड़ से ज्यादा पर्यटक कश्मीर आए थे. हवाई टिकटों की मांग इतनी बढ़ी थी कि कई बार एडवांस बुकिंग भी फुल हो जाती थी.
लेकिन इस आतंकी हमले ने अचानक ही वह विश्वास तोड़ दिया है. एयरलाइंस कंपनियां नई उड़ानों की योजना बना रही थीं, श्रीनगर को देश के कई शहरों से सीधी उड़ानों से जोड़ने की तैयारियां हो रही थीं. लेकिन अब, यात्रियों के मन में सुरक्षा को लेकर बड़ा डर बैठ गया है. ऐसे में श्रीनगर एयरपोर्ट पर फ्लाइट कैंसिलेशन और रीशेड्यूलिंग के मामले सामने आने लगे हैं.
टूर ऑपरेटर और होटल इंडस्ट्री पर भी गहरा असर
कश्मीर में पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है. होटल मालिक, टैक्सी ड्राइवर, टूर गाइड, स्थानीय दुकानदार सबकी रोजी-रोटी इस उद्योग पर टिकी है. लेकिन पहलगाम हमले के बाद पर्यटकों के रद्द होते टूर पैकेज, कैंसिल होती होटल बुकिंग और खाली होती उड़ानें एक गंभीर आर्थिक संकट का संकेत दे रही हैं.
बताया जा रहा है कि इस घटना के बाद से श्रीनगर में तीन दिनों में 60 फीसदी से ज्यादा बुकिंग कैंसल हो चुकी है. आने वाले हफ्तों के लिए एडवांस बुकिंग भी अचानक गिर गई है. टूर ऑपरेटर कह रहे हैं कि कई बड़े ग्रुप्स ने अपने ट्रिप पोस्टपोन या कैंसल कर दिए हैं.
क्यों खास है पहलगाम और बैसारण कश्मीर के लिए?
पहलगाम सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं है. यह कश्मीर के इकोनॉमी के लिए एक लाइफलाइन है. अमरनाथ यात्रा का प्रमुख पड़ाव होने के कारण पहलगाम सालाना लाखों श्रद्धालुओं को भी आकर्षित करता है. बैसारण, जो पहले सिर्फ लोकल्स के बीच प्रसिद्ध था, अब सोशल मीडिया पर वायरल जगह बन चुका था. इंस्टाग्राम, यूट्यूब और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बैसारण के खूबसूरत वीडियो लोगों को खींचते थे. अब इसी जगह पर खून की होली खेली गई है, जिसकी तस्वीरें और खबरें पूरी दुनिया में फैल गई हैं.
ऐसे में एक बार टूटे हुए भरोसे को फिर से कायम करना आसान नहीं होगा. एयरलाइंस कंपनियों के लिए श्रीनगर रूट पर यात्रियों का विश्वास लौटाना अब सबसे बड़ी चुनौती होगी. यात्रियों के मन में यह डर बैठ चुका है कि कहीं एयरपोर्ट से बाहर कदम रखते ही खतरा उनका इंतजार न कर रहा हो. विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को तुरंत एक व्यापक सुरक्षा योजना बनानी होगी. टूरिज्म को फिर से पटरी पर लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर की सुरक्षित छवि पेश करनी होगी. इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर भी लोगों के बीच विश्वास बहाली की जरूरत है.
सरकार की चुनौती और सुरक्षा व्यवस्था का बड़ा सवाल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले के तुरंत बाद सख्त प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि इस कायराना हमले के गुनहगारों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाएगी. कश्मीर घाटी में सेना और अर्धसैनिक बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है. सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिए हैं. एयरपोर्ट से लेकर टूरिस्ट हब तक चप्पे-चप्पे पर निगरानी बढ़ा दी गई है. लेकिन सवाल यह है कि इतनी भारी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद आतंकी कैसे इतने बड़े हमले को अंजाम देने में सफल रहे. यह विफलता कहीं न कहीं सुरक्षा एजेंसियों की तैयारियों पर भी सवाल खड़ा करती है.
आतंकवाद का असली मकसद ही यही होता है डर फैलाना, भरोसा तोड़ना और सामान्य जीवन को बाधित करना. पहलगाम हमला इसी कड़ी का एक भयावह उदाहरण है. लेकिन इतिहास गवाह है कि कश्मीर ने हर बार आतंक के जख्मों से उबरकर नई सुबह देखी है. चाहे कितनी भी कोशिशें हो, कश्मीर की वादियां अपनी खूबसूरती और शांति का सपना नहीं छोड़ेंगी.