भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द! वेंस बोले- मोदी के साथ बातचीत बहुत सकारात्मक
अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ और भारत के साथ संभावित व्यापार समझौते की दिशा में चल रही है बातचीत. वेंस ने PM मोदी को एक 'सख्त लेकिन असरदार वार्ताकार' बताते हुए उम्मीद जताई कि भारत अमेरिका के साथ शुरुआती व्यापार समझौता करने वाले देशों में शामिल हो सकता है. उन्होंने भारतीय बाजार को अमेरिकी किसानों के लिए बंद बताते हुए इसके संभावित खुलने की संभावना भी जताई.

वॉशिंगटन डीसी से एक बड़ी और अहम खबर सामने आई है. अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें "सख्त लेकिन प्रभावी वार्ताकार" बताया है. वेंस का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब अमेरिका और भारत के बीच व्यापार संबंधों को लेकर एक नई समझदारी बनती दिख रही है. इंटरव्यू के दौरान वेंस ने संकेत दिया कि अमेरिका भारत के साथ व्यापार समझौते की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है और जल्द ही इस दिशा में बड़ी घोषणा हो सकती है.
भारत बनेगा शुरुआती समझौता करने वाला देश
फॉक्स न्यूज को दिए गए इंटरव्यू में जेडी वेंस ने कहा कि भारत उन देशों में शामिल हो सकता है जो अमेरिका के साथ जवाबी शुल्क से बचने के लिए शुरुआती व्यापार समझौता करेंगे. उन्होंने कहा, "हमने जापान, दक्षिण कोरिया और यूरोप के कुछ देशों से बातचीत की है, लेकिन भारत के साथ हमारी बातचीत सबसे अधिक सकारात्मक रही है." उन्होंने आगे जोड़ा, "प्रधानमंत्री मोदी एक सख्त वार्ताकार हैं, लेकिन वह देश के हितों को लेकर स्पष्ट हैं. हम इस रिश्ते को ज्यादा संतुलित बनाने की कोशिश में लगे हैं."
यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को भारत और चीन समेत कई देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (जवाबी शुल्क) लगाने की घोषणा की थी. हालांकि 9 अप्रैल को चीन और हांगकांग को छोड़कर बाकी देशों को 90 दिनों की राहत दी गई थी. इसका मतलब साफ है- अमेरिका अब एक-एक करके देशों से वार्ता कर रहा है, और भारत इस लिस्ट में शीर्ष पर नजर आ रहा है.
अपने बयान में जेडी वेंस ने एक दिलचस्प लेकिन गंभीर पहलू को उठाया. उन्होंने कहा, "हमारे अमेरिकी किसान बेहतरीन फसलें पैदा करते हैं, लेकिन भारतीय बाजार उनके लिए लगभग बंद हैं. इससे अमेरिकी किसान कमजोर हो रहे हैं और अमेरिका विदेशी खाद्य आपूर्ति पर ज्यादा निर्भर हो गया है." वेंस के मुताबिक, यदि भारत के साथ व्यापार समझौता होता है तो इससे न केवल अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार खुलेंगे बल्कि इससे भारतीय उपभोक्ताओं को भी अधिक विकल्प मिलेंगे. यही नहीं, अमेरिका की टेक्नोलॉजी कंपनियों को भी भारत में निवेश और कारोबार करने का बड़ा मौका मिलेगा.
अपने स्पष्ट और बेबाक अंदाज के लिए पहचाने जाने वाले वेंस ने कहा, "ईमानदारी से कहें तो भारत ने बहुत लंबे समय तक अमेरिका का फायदा उठाया है. अब समय है कि यह रिश्ता संतुलित हो." उन्होंने राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों का बचाव करते हुए कहा, "ट्रंप व्यापार के खिलाफ नहीं हैं, वह केवल उस व्यापार के खिलाफ हैं जो अमेरिका के साथ अन्याय करता है. वह फेयर ट्रेड चाहते हैं, न कि सिर्फ फ्री ट्रेड."
यह बयान दर्शाता है कि अमेरिका अब अपने पारंपरिक रुख से अलग एक सख्त लेकिन कूटनीतिक रास्ता अपनाना चाह रहा है. भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के साथ संबंधों को वह महत्व तो दे रहा है लेकिन साथ ही व्यापारिक संतुलन की भी मांग कर रहा है.
भारत के लिए क्या हैं इस समझौते के मायने?
अगर अमेरिका और भारत के बीच व्यापार समझौता होता है तो इसके फायदे दोनों तरफ होंगे. भारत को जहां अमेरिकी टेक्नोलॉजी, निवेश और कृषि उपकरणों तक आसान पहुंच मिलेगी, वहीं अमेरिका को भारतीय बाजारों में अपने उत्पादों की बिक्री का नया रास्ता मिलेगा. यह समझौता भारत के निर्यात क्षेत्र को भी बल देगा और रोजगार के अवसरों में इजाफा करेगा.
इसके साथ ही यह समझौता भारत की वैश्विक कूटनीति के लिए भी बड़ी सफलता साबित हो सकता है. पीएम मोदी लंबे समय से ‘मेक इन इंडिया’, ‘स्टार्टअप इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे अभियानों के ज़रिए देश को एक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिका के साथ व्यापार समझौता इन योजनाओं को नई गति दे सकता है.
क्या होगा भारतीय किसानों पर असर?
वहीं सवाल यह भी उठता है कि अगर भारतीय बाजार अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए खुलता है तो क्या इससे भारतीय किसानों को नुकसान होगा? विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को इस मुद्दे पर बेहद सावधानी से समझौता करना होगा. भारतीय किसानों की सुरक्षा और उनकी आय में कमी न हो, इसका विशेष ध्यान रखना होगा.
एक तरफ जहां यह समझौता भारतीय उपभोक्ताओं के लिए नए विकल्प लेकर आ सकता है, वहीं किसानों के लिए यह चिंता का कारण भी बन सकता है. सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि घरेलू उत्पादों को प्राथमिकता दी जाए और उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा से पूरी सुरक्षा मिले.
जेडी वेंस के इस बयान से यह स्पष्ट होता जा रहा है कि अमेरिका अब हर देश के साथ व्यक्तिगत और संतुलित व्यापार समझौते की दिशा में आगे बढ़ रहा है. भारत के साथ बातचीत की रफ्तार और पीएम मोदी की भूमिका इस दिशा में निर्णायक साबित हो सकती है.