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ट्रंप शपथ ग्रहण के दौरान जयशंकर और इवाया के बीच ऐतिहासिक बैठक, भारत जापान के रिश्तों को नई दिशा

डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के लिए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वाशिंगटन की यात्रा की। इस दौरान उन्होंने ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों और अन्य वैश्विक नेताओं से महत्वपूर्ण मुलाकातें की। विशेष रूप से, उन्होंने जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया के साथ द्विपक्षीय बैठक की, जिसमें दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई।

20 Jan, 2025
( Updated: 20 Jan, 2025
10:42 PM )
ट्रंप शपथ ग्रहण के दौरान जयशंकर और इवाया के बीच ऐतिहासिक बैठक, भारत  जापान के रिश्तों को नई दिशा
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह ने न सिर्फ अमेरिकी राजनीति में बदलाव का संकेत दिया, बल्कि इस मौके पर भारत और जापान के बीच भी महत्वपूर्ण द्विपक्षीय चर्चाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस शपथ ग्रहण समारोह में न केवल भारत का प्रतिनिधित्व किया, बल्कि वह विदेश नीति के मामले में भारत के लिए एक नई दिशा की ओर अग्रसर भी हुए। इस यात्रा के दौरान उनके जापानी समकक्ष ताकेशी इवाया से हुई बैठक ने भारत और जापान के रिश्तों को और मजबूत किया, जो पहले से ही काफी अहम थे।

जयशंकर ने शपथ ग्रहण से पहले वाशिंगटन के सेंट जॉन्स चर्च में शपथ ग्रहण दिवस की प्रार्थना सेवा में हिस्सा लिया। इस सेवा में भाग लेकर उन्होंने न सिर्फ भारत की विदेश नीति को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत किया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारत किस तरह से अमेरिका और अन्य देशों के साथ रिश्तों को नया मोड़ देने के लिए प्रतिबद्ध है।

भारत-जापान रिश्तों को मिलेगी मजबूता

भारत और जापान के बीच सहयोग के नए रास्ते खोलने की दिशा में जयशंकर की यात्रा महत्वपूर्ण साबित हुई। रविवार को विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके जापानी समकक्ष ताकेशी इवाया के बीच द्विपक्षीय बैठक हुई, जिसमें दोनों देशों के बीच राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक मुद्दों पर गहरी चर्चा हुई। यह मुलाकात उनके पहले के संपर्कों का एक हिस्सा थी, जिसमें नवंबर 2024 में इटली में जी7 विदेश मंत्रियों की बैठक में भी दोनों नेताओं ने एक दूसरे से मुलाकात की थी।

जयशंकर और इवाया के बीच इस द्विपक्षीय बातचीत ने भारत और जापान के रिश्तों को और भी मजबूती दी है। दोनों देशों के बीच साझा विश्वास और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने यह साफ किया कि भारत और जापान के रिश्ते केवल द्विपक्षीय नहीं, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण हैं।

साझा विश्वास और भविष्य की दिशा

इस बैठक में दोनों नेताओं ने यह माना कि दोनों देशों के बीच रिश्तों का आदान-प्रदान अब तेजी से बढ़ चुका है। जयशंकर ने इस अवसर पर कहा कि भारत और जापान के बीच रणनीतिक संवाद और सहयोग का स्तर बेहद संतोषजनक है। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि वे आपसी रिश्तों को और आगे बढ़ाने के लिए काम करेंगे, ताकि वैश्विक मामलों में भारत और जापान की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो सके।

इसके अलावा, एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया, जिसके तहत 2025-26 को भारत-जापान विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार वर्ष के रूप में घोषित किया गया। इस दौरान दोनों देशों के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी, कौशल, और शिक्षा के क्षेत्रों में आदान-प्रदान को बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। यह घोषणा इस बात का प्रतीक है कि दोनों देश केवल राजनीतिक और सुरक्षा मामलों में ही नहीं, बल्कि तकनीकी और शैक्षिक स्तर पर भी एक-दूसरे से सहयोग करेंगे।

वैसे आपको बता दें कि भारत और जापान के बीच विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में 1985 में हुए पहले समझौता ज्ञापन के 40 साल पूरे होने पर यह बैठक और भी अहम बन जाती है। दोनों देशों ने इस सहयोग की सफलता पर संतोष व्यक्त किया और इसे भविष्य में और बढ़ाने का संकल्प लिया। इस दौरान दोनों देशों ने ऐसे कदम उठाने का निर्णय लिया, जिनसे दोनों देशों के वैज्ञानिक समुदाय के बीच और गहरा सहयोग हो सके।

भारत और अमेरिका के रिश्तों को नया आयाम

जयशंकर का अमेरिका में ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेना केवल भारत-जापान संबंधों के संदर्भ में ही महत्वपूर्ण नहीं था, बल्कि यह भारत और अमेरिका के रिश्तों के संदर्भ में भी अहम था। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती प्रदान करना था। जयशंकर ने ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात की और भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की। उनका यह कदम भारत और अमेरिका के संबंधों को एक नया मोड़ देने के लिए था, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार, रक्षा, और तकनीकी सहयोग में वृद्धि हो।

भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रिश्ते वैश्विक मामलों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। विदेश मंत्री जयशंकर ने यह सुनिश्चित किया कि ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद भी दोनों देशों के संबंधों में कोई विघ्न न आए। उनका उद्देश्य था कि अमेरिका और भारत के संबंधों को पहले की तरह मजबूत और स्थिर बनाए रखा जाए, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग बढ़ सके।

डोनाल्ड ट्रंप के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत के लिए नए रास्ते खोले। उनकी यात्रा ने न केवल भारत-जापान संबंधों को और मजबूत किया, बल्कि भारत और अमेरिका के रिश्तों को भी नए आयाम दिए। इसके साथ ही, भारत और जापान के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी, और नवाचार के क्षेत्र में नई पहल की गई, जो दोनों देशों के रिश्तों को और भी अधिक प्रगति की ओर ले जाएगी। विदेश मंत्री की यह यात्रा एक ऐतिहासिक कदम साबित हुई, जो भविष्य में भारत के वैश्विक दायरे को और मजबूत करेगी।

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