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पहलगाम आतंकी हमले के बाद चीन का पकिस्तान को समर्थन, भारत-पाक के तनाव पर बोला 'हालात पर करीबी नजर...'

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार से फोन पर बात करते हुए पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए समर्थन जताया. वांग यी ने कहा कि चीन हालात पर करीबी नजर रखे हुए है और हमले की निष्पक्ष जांच की मांग करता है.

28 Apr, 2025
( Updated: 28 Apr, 2025
02:43 AM )
पहलगाम आतंकी हमले के बाद चीन का पकिस्तान को समर्थन, भारत-पाक के तनाव पर बोला 'हालात पर करीबी नजर...'
22 अप्रैल 2025 का दिन भारतीय उपमहाद्वीप के लिए एक काले दिन की तरह रहा. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने न सिर्फ देश को दहला दिया, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच फिर से तनाव की चिंगारी भड़का दी. इस हमले में 26 निर्दोष पर्यटकों की जान चली गई. जिम्मेदारी ली 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' ने, जो पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा संगठन माना जाता है. इस हमले ने दुनिया भर का ध्यान खींचा, लेकिन सबसे चौंकाने वाली प्रतिक्रिया आई चीन से, जिसने खुलेआम पाकिस्तान का समर्थन किया.

चीन का पाकिस्तान के प्रति समर्थन

चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार से फोन पर बात करते हुए पाकिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा हितों की रक्षा के लिए समर्थन जताया. वांग यी ने कहा कि चीन हालात पर करीबी नजर रखे हुए है और हमले की निष्पक्ष जांच की मांग करता है. इसके साथ ही उन्होंने भारत और पाकिस्तान दोनों से संयम बरतने और तनाव को कम करने की अपील की.

चीन का यह रुख ऐसे समय पर आया जब भारत ने पाकिस्तान पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी थी. भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया और अटारी बॉर्डर के जरिए होने वाला आखिरी ज़मीनी व्यापारिक मार्ग भी बंद कर दिया. पाकिस्तान ने भी पलटवार करते हुए भारतीय विमानों के लिए अपना एयरस्पेस बंद करने और दोनों देशों के बीच व्यापार को पूरी तरह रोकने का ऐलान कर दिया. इन कदमों ने क्षेत्र में तनाव को और अधिक बढ़ा दिया.

वांग यी ने अपने बयान में कहा कि "चीन हमेशा आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के मजबूत कदमों का समर्थन करता आया है. एक मजबूत मित्र और हर मौसम के रणनीतिक सहयोगी के तौर पर चीन पाकिस्तान की सुरक्षा चिंताओं को अच्छी तरह समझता है और उसके संप्रभु अधिकारों का समर्थन करता है." उन्होंने यह भी जोड़ा कि संघर्ष भारत और पाकिस्तान दोनों के मूल हितों में नहीं है और न ही यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए अनुकूल है. उन्होंने दोनों देशों से एक-दूसरे की ओर कदम बढ़ाने और स्थिति को ठंडा करने की सलाह दी.

पाकिस्तान का जवाब और चीन के साथ साझेदारी

इस बातचीत के दौरान इशाक डार ने भी चीन के समर्थन के लिए आभार जताया. डार ने दावा किया कि पाकिस्तान हमेशा आतंकवाद से लड़ने के लिए प्रतिबद्ध रहा है और ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगा जिससे हालात और बिगड़ें. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर भारत के "एकतरफा और अवैध कदमों" को खारिज किया और भारत द्वारा फैलाए जा रहे "बेबुनियाद प्रचार" को भी नकारा.

इस पूरे घटनाक्रम में भारत की तरफ से तत्काल कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई. लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी से बातचीत में इस हमले की गंभीरता को रेखांकित किया. जयशंकर ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी कि उन्होंने "आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता" की आवश्यकता को रेखांकित किया है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री जयशंकर ने अमेरिका, फ्रांस, ईरान और ब्रिटेन जैसे देशों के नेताओं से भी बातचीत की. इन नेताओं ने हमले की कड़ी निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की.

भारत की प्रतिक्रिया और पाकिस्तान की पलटवार

चीन के इस रवैये ने भारत में आक्रोश की एक लहर पैदा कर दी है. पहले से ही चीन और भारत के संबंध लद्दाख में सीमा विवाद के चलते तनावपूर्ण हैं और अब पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के समर्थन में आया चीन भारत के लिए एक और चिंता का विषय बन गया है. विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन का पाकिस्तान के साथ खड़ा होना कोई नई बात नहीं है. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के तहत पाकिस्तान को दिया जा रहा भारी निवेश, विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) इसकी वजहों में शामिल है. लेकिन इस बार जिस तरह से चीन ने आतंकवादी हमले के संदर्भ में पाकिस्तान को ढाल प्रदान की है, उसने वैश्विक मंच पर चीन की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं.

भारत ने पहले ही दुनिया को चेताया है कि पाकिस्तान आतंकवाद को पनाह देता है और अब जब 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' जैसे संगठनों का नाम खुलकर सामने आ रहा है, तो भारत के पक्ष को और मजबूती मिली है. अमेरिका और यूरोपीय देशों ने भी इस हमले की निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की बात कही है. ऐसे में चीन का पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा होना उसे वैश्विक समुदाय में अलग-थलग कर सकता है. भारत में सुरक्षा एजेंसियों ने पहलगाम हमले की जांच तेज कर दी है और शुरुआती रिपोर्ट में पाकिस्तान से आए आतंकियों की भूमिका पक्की मानी जा रही है. इसके जवाब में भारत ने सीमा पर अपनी सुरक्षा और कड़ी कर दी है. LOC पर सेना को हाई अलर्ट पर रखा गया है और जवाबी कार्रवाई की भी तैयारियां चल रही हैं.

भारत का कूटनीतिक बदलाव और वैश्विक कदम

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. अब भारत सिर्फ प्रत्यक्ष युद्ध या जवाबी कार्रवाई तक सीमित नहीं रहना चाहता बल्कि आर्थिक और कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान को घेरने की तैयारी कर रहा है. सिंधु जल संधि का निलंबन इसी रणनीति का हिस्सा है. यदि भारत वास्तव में पाकिस्तान की ओर बहने वाले नदियों के पानी को रोकने का कदम उठाता है तो यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है.

वर्तमान हालात को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि पहलगाम हमला सिर्फ एक आतंकी हमला नहीं, बल्कि भारत-पाकिस्तान संबंधों के नए और खतरनाक अध्याय की शुरुआत भी हो सकता है. चीन की भूमिका ने इस जटिलता को और बढ़ा दिया है. अब सवाल यह है कि भारत किस तरह इस चुनौती का जवाब देगा. क्या भारत एक आक्रामक कूटनीतिक रणनीति अपनाएगा या फिर क्षेत्रीय शांति बनाए रखने के लिए संयम दिखाएगा, यह आने वाला वक्त बताएगा.

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