BRICS ने की पहलगाम आतंकी हमले की निंदा, मंच से PM मोदी का पाकिस्तान पर कड़ा प्रहार, कहा- आतंकवाद पर दोहरे मापदंड बर्दाश्त नहीं
ब्रिक्स समिट 2025 में भारत को कूटनीतिक सफलता मिली है. ब्रिक्स के घोषणापत्र में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई. इसके साथ ही पीएम मोदी ने अपने संबोधन में पाकिस्तान को आतंकवाद के समर्थन पर घेरा और वैश्विक नेताओं से एकजुट होकर आतंक के खिलाफ लड़ाई की अपील की. घोषणापत्र में कहा गया कि आतंकवाद किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है और इसके समर्थकों को सजा मिलनी चाहिए.

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 का पहला दिन भारत के लिए एक बेहद अहम राजनयिक मोर्चा साबित हुआ. रियो डी जेनेरियो में आयोजित इस सम्मेलन की शुरुआत ऐसे समय में हुई जब दुनिया आतंकवाद, वैश्विक अशांति और मानवीय संकटों से जूझ रही है. लेकिन भारत ने इस मंच का उपयोग आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता की अपील के लिए पूरी मजबूती से किया. पीएम मोदी ने सम्मेलन में स्पष्ट शब्दों में पाकिस्तान का नाम लिए बिना आतंकवाद को समर्थन देने वाले देशों को चेताया और मानवता के खिलाफ हो रहे हमलों की आलोचना की.
BRICS घोषणापत्र में आतंकी हमले का ज़िक्र
सम्मेलन के पहले दिन जिस घोषणापत्र को अपनाया गया, वह भारत के लिए एक स्पष्ट कूटनीतिक जीत है. ब्रिक्स के घोषणापत्र के पैराग्राफ 34 में 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की तीखी निंदा की गई. इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी और कई अन्य घायल हुए थे. ब्रिक्स देशों ने इसे आपराधिक और अनुचित करार देते हुए आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात दोहराई. यह पहली बार है जब किसी ब्रिक्स घोषणापत्र में भारत में हुए आतंकी हमले का स्पष्ट उल्लेख हुआ है, जो इस मुद्दे पर भारत के पक्ष को वैश्विक समर्थन मिलने का संकेत है. घोषणापत्र में यह स्पष्ट कहा गया कि आतंकवाद का कोई धर्म, नस्ल, या पहचान नहीं होती. जो भी आतंक को समर्थन देता है, वह उतना ही जिम्मेदार है जितना कि हमला करने वाला. ब्रिक्स नेताओं ने दोहरे मानकों को नकारने की बात करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवाधिकारों का पालन जरूरी है.
आतंकवाद को लेकर पीएम मोदी का दो टूक संदेश
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वैश्विक शांति और सुरक्षा सिर्फ एक आदर्श नहीं बल्कि सभी देशों के लिए साझा लक्ष्य है. उन्होंने कहा कि शांति के बिना मानवता का विकास संभव नहीं है और इस दिशा में ब्रिक्स की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने पहलगाम हमले को भारत की आत्मा और अस्मिता पर हमला बताया और इसे पूरे विश्व के लिए एक चेतावनी के तौर देखने को कहा है. पीएम मोदी ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि भारत आतंकवाद का शिकार है जबकि कुछ देश इसके समर्थक हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग राजनीतिक लाभ के लिए आतंक पर चुप्पी साधते हैं, वे मानवता के साथ विश्वासघात कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद की निंदा करना सिद्धांत होना चाहिए, न कि सुविधा के आधार पर लिया गया फैसला. यह बयान स्पष्ट रूप से उन देशों के लिए था जो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंक के मुद्दे पर दोहरा रवैया अपनाते हैं.
सुरक्षा परिषद में सुधार की उठी मांग
ब्रिक्स नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार की ज़रूरत को एक बार फिर दोहराया. उन्होंने कहा कि वैश्विक मंचों को अब और अधिक लोकतांत्रिक बनाया जाना चाहिए, ताकि ग्लोबल साउथ यानी विकासशील देशों की आवाज को अधिक ताकत मिले. भारत लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की मांग करता आया है, और यह मंच उस दिशा में एक और कदम माना जा सकता है.
भारत की कूटनीतिक बढ़त और 2026 में अगली मेजबानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण के अंत में सभी सदस्य देशों को अगले वर्ष भारत में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया. यह निमंत्रण भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका और विश्वास का प्रमाण है. 2026 में ब्रिक्स की कमान भारत के हाथों में होगी और यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत आतंकवाद, वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर किस तरह की नेतृत्व भूमिका निभाता है.
बताते चलें कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2025 भारत के लिए केवल एक राजनीतिक मंच नहीं रहा, बल्कि यह एक ऐसा अवसर साबित हुआ जहां भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने की दिशा में बड़ी सफलता हासिल की. रियो घोषणापत्र में पहलगाम हमले का उल्लेख और पीएम मोदी का स्पष्ट दृष्टिकोण दुनिया को यह संदेश देने के लिए काफी है कि भारत अब केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि निर्णायक पहल की नीति पर चल रहा है. अगले साल जब भारत ब्रिक्स की मेजबानी करेगा, तब तक इस कूटनीतिक लय को बनाए रखना और भी महत्वपूर्ण हो जाएगा.