ये हैं सबसे खतरनाक 8 एयरपोर्ट, जहां लैंड करने के लिए हथेली पर रखनी पड़ती है जान, देखिए लिस्ट
भारत में कुछ ऐसे एयरपोर्ट्स हैं, जहां हर लैंडिंग पायलट के लिए परीक्षा से कम नहीं होती. आइए जानते हैं भारत के उन हवाई अड्डों के बारे में, जहां हर लैंडिंग दिल की धड़कन बढ़ा देती है. चलिए जानते है इन एयरपोर्ट्स के बारे में

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दो दिन पहले पटना एयरपोर्ट पर एक गंभीर घटना के दौरान बड़ा हादसा टल गया. दिल्ली से टेकऑफ हुई एक फ्लाइट लैंडिंग के दौरान रनवे पर तय टचडाउन पॉइंट को पार कर गई. स्थिति को भांपते हुए पायलट ने समझदारी दिखाया और लैंडिंग को तुरंत रोक दिया और विमान को दोबारा आसमान की ओर मोड़ दिया. फ्लाइट में मौजूद यात्रियों और क्रू की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया यह कदम एक संभावित दुर्घटना को टालने में सफल रहा. लेकिन इस घटना के बाद एयरलाइंस और DGCA (नागरिक उड्डयन महानिदेशालय) ने मामले की जांच शुरू कर दी है. यह घटना सामने आने के बाद पटना एयरपोर्ट की रनवे लंबाई एक बार फिर चर्चा में आ गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर पायलट ने समय रहते फैसला न लिया होता, तो कोई बड़ा हादसा हो सकता था.
लेकिन यह पहली बार नहीं है जब रनवे की लंबाई और परिस्थितियों को लेकर चिंता जताई गई हो. इस घटना ने उन तमाम हादसों की याद दिला दी, जिनमें रनवे की छोटी लंबाई और तकनीकी सीमाओं के कारण सैकड़ों यात्रियों की जान खतरे में पड़ चुकी है. कहा जाता है कि भारत में कुछ ऐसे एयरपोर्ट्स हैं, जहां हर लैंडिंग पायलट के लिए परीक्षा से कम नहीं होती. आइए जानते हैं भारत के उन हवाई अड्डों के बारे में, जहां हर लैंडिंग दिल की धड़कन बढ़ा देती है:
1- लेह एयरपोर्ट (कुशोक बकुला रिंपोछे एयरपोर्ट) – लद्दाख
- रनवे ऊँचाई: समुद्र तल से लगभग 3,256 मीटर ऊपर
- जोखिम: ऊँचाई, तेज हवाएं और ऑक्सीजन की कमी
- विशेषता: रनवे पहाड़ों से घिरा हुआ है, जिससे लैंडिंग और टेकऑफ बेहद चुनौतीपूर्ण हो जाता है.
2- मंगलुरु एयरपोर्ट (मैंगलोर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा) – कर्नाटक
- रनवे प्रकार: टेबलटॉप रनवे (हाई एलिवेशन पर बना हुआ)-
- जोखिम: रनवे के दोनों ओर गहरी खाई
- विशेषता: 2010 में एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट दुर्घटना में 158 लोगों की मौत इसी एयरपोर्ट पर हुई थी.
3- शिमला एयरपोर्ट – हिमाचल प्रदेश
- रनवे लंबाई: लगभग 1,230 मीटर
- जोखिम: पहाड़ी क्षेत्र में स्थित, सीमित टेकऑफ और लैंडिंग स्पेस
- विशेषता: ऊंचाई और कम रनवे के कारण केवल छोटे विमानों की अनुमति है.
4- अगर्तला एयरपोर्ट – त्रिपुरा
- रनवे निकटता: बांग्लादेश सीमा के बेहद करीब
- जोखिम: सीमित एयरस्पेस, अनिश्चित मौसम
- विशेषता: रणनीतिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र में स्थित, जिससे परिचालन और भी जटिल हो जाता है.
5- पोर्ट ब्लेयर (वीर सावरकर इंटरनेशनल एयरपोर्ट) – अंडमान
- भौगोलिक स्थिति: द्वीपों के बीच, समुद्र से घिरा
- जोखिम: सीमित रनवे, तेज़ हवाएं और लगातार मौसम परिवर्तन
- विशेषता: समुद्री वातावरण के कारण रनवे जल्दी क्षतिग्रस्त हो सकता है.
6- केशोद एयरपोर्ट – गुजरात
- रनवे लंबाई: करीब 1,300 मीटर
- जोखिम: तकनीकी सीमाएं, कम लैंडिंग सहायता प्रणाली
- विशेषता: छोटे विमानों के लिए भी एक गलती भारी पड़ सकती है.
7- कोझिकोड एयरपोर्ट- केरल
- रनवे लंबाई: करीब 8,858 फीट
- जोखिम: टेबलटॉप रनवे है जिसकी लंबाई 8858, रनवे के दोनों तरफ गहरी खाई है.
- विशेषता: लैंडिंग के दौरान पायलट्स को यहां आंखों के भ्रम से भी जूझना पड़ता है, जो सटीक लैंडिंग बेहद मुश्किल बना देता है.
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8- अगत्ती एयरपोर्ट- लक्षद्वीप
- रनवे लंबाई- महज 1,291 मीटक
- जोखिम- एयर स्ट्रिप के दोनों तरफ समुद्र
- विशेषता- लगातार बदलती हवाएं, ज्वार-भाटा और सीमित जगह इस रवने को बेहद जोखिम भरा बनाते हैं.