Harvard University में विदेशी छात्रों का दाखिला बंद, ट्रंप सरकार की बड़ी कार्रवाई, 788 भारतीय छात्रों को झटका
अमेरिकी प्रशासन ने हार्वर्ड पर विदेशी छात्रों के दाखिले पर रोक लगाई है, जिससे भारत समेत कई देशों के छात्रों के भविष्य पर खतरा मंडरा रहा है. अमेरिका की नई नीति से हार्वर्ड में पढ़ रहे 788 भारतीय छात्रों की पढ़ाई खतरे में पड़ गई है. ट्रंप प्रशासन ने यूनिवर्सिटी से 72 घंटे में जवाब मांगा है.

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में बड़ा फैसला लिया गया है. ट्रंप प्रशासन ने दुनिया के मशहूर विश्वविद्यालय हार्वर्ड पर रोक लगा दी है कि वह अब विदेशी छात्रों को दाखिला नहीं दे सकता. यह जानकारी न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में सामने आई है. अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने इस बारे में एक पत्र हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को भेजा है. इसमें लिखा गया है कि यूनिवर्सिटी अगर इस साल विदेशी छात्रों को पढ़ाना चाहती है तो 72 घंटे के अंदर सभी जरूरी जानकारी देनी होगी, नहीं तो उसकी Student and Exchange Visitor Program की सर्टिफिकेशन रद्द की जा सकती है.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर विदेशी छात्रों का दाखिला बंद
सचिव क्रिस्टी नोएम ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर अपने बयान में कहा कि हार्वर्ड अब "चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से समन्वय", "यहूदी विरोधी घटनाओं" और "हिंसक गतिविधियों को बढ़ावा" देने के आरोपों में जांच के घेरे में है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि विदेशी छात्रों को नामांकन देना कोई अधिकार नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार है, जिसे हार्वर्ड ने खो दिया है.
This administration is holding Harvard accountable for fostering violence, antisemitism, and coordinating with the Chinese Communist Party on its campus.
— Secretary Kristi Noem (@Sec_Noem) May 22, 2025
It is a privilege, not a right, for universities to enroll foreign students and benefit from their higher tuition payments… pic.twitter.com/12hJWd1J86
सरकार का कहना है कि यह यूनिवर्सिटी अपने कैंपस में हिंसा और यहूदियों के खिलाफ नफरत को बढ़ावा दे रही है और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ भी उसका रिश्ता है. ट्रंप प्रशासन ने साफ कहा है कि किसी यूनिवर्सिटी को विदेशी छात्रों को दाखिला देना कोई अधिकार नहीं, बल्कि एक "विशेष सुविधा" है, जो अब हार्वर्ड को नहीं मिलेगी.
788 भारतीय छात्रों के भविष्य पर संकट
इस फैसले का सबसे बड़ा असर उन छात्रों पर पड़ेगा जो दूसरे देशों से अमेरिका पढ़ने जाते हैं. अकेले भारत से ही इस समय 788 छात्र हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे हैं. अगर यूनिवर्सिटी सरकार को जानकारी नहीं देती तो ये सभी छात्र या तो किसी दूसरी यूनिवर्सिटी में जाना पड़ेगा या अमेरिका में रहने का उनका कानूनी हक खत्म हो जाएगा.
हालांकि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने सरकार के इस फैसले का विरोध किया है. यूनिवर्सिटी का कहना है कि यह कदम राजनीतिक बदले की भावना से लिया गया है. यूनिवर्सिटी ने कहा है कि वह दुनिया भर से आने वाले छात्रों और शोधकर्ताओं को पढ़ाने के लिए पूरी तरह तैयार है और यह फैसला गलत है. उन्होंने कहा कि “हम 140 से अधिक देशों के छात्रों और विद्वानों की मेजबानी करने के लिए प्रतिबद्ध हैं,विदेशी छात्र हमारे लिए बहुत अहम हैं क्योंकि वे हमारी यूनिवर्सिटी और देश दोनों को मजबूत बनाते हैं.”
ट्रंप की नाराजगी केवल हार्वर्ड की अकादमिक नीतियों से नहीं बल्कि इसके राजनीतिक रुख से भी जुड़ी हुई है. अप्रैल में ट्रंप ने हार्वर्ड को “मज़ाक” तक कह दिया था. उन्होंने यह भी कहा था कि जब तक हार्वर्ड बाहरी राजनीतिक नियम नहीं मानता, तब तक उसे सरकारी फंड नहीं मिलना चाहिए. ट्रंप ने यहां तक कहा था कि अब हार्वर्ड को दुनिया की सबसे अच्छी यूनिवर्सिटियों की लिस्ट से भी हटा देना चाहिए.
हर साल भारत से सैकड़ों छात्र हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के लिए जाते हैं. ऐसे में इस फैसले ने उनके सपनों पर पानी फेरने जैसा काम किया है. यह सिर्फ शिक्षा की बात नहीं है, यह पूरी दुनिया की शिक्षा व्यवस्था और उसकी स्वतंत्रता पर भी बड़ा सवाल उठाता है. अब सबकी नजरें इस बात पर टिकी हैं कि हार्वर्ड सरकार को क्या जवाब देगा और क्या भारतीय छात्रों के लिए कोई रास्ता खुलेगा या नहीं.