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भोपाल मंडल ने विकसित किया ट्रेन निगरानी सॉफ्टवेयर, संचालन और सुरक्षा पर बढ़ेगा नियंत्रण

पश्चिम मध्य रेलवे के अधीन आने वाले मध्य प्रदेश के भोपाल मंडल ने स्पीडो विजन साॅफ्टवेयर विकसित किया है. अधिकारियों ने बताया कि भोपाल रेल मंडल ने स्पीडो विजन नामक आधुनिक सॉफ्टवेयर बनाया है जो लोकोमोटिव स्पीडोमीटर डेटा का तेज, सटीक और स्वचालित विश्लेषण कर संचालन रिपोर्ट कुछ मिनटों में तैयार करने में सक्षम है.

21 Jul, 2025
( Updated: 06 Dec, 2025
02:45 AM )
भोपाल मंडल ने विकसित किया ट्रेन निगरानी सॉफ्टवेयर, संचालन और सुरक्षा पर बढ़ेगा नियंत्रण

पश्चिम मध्य रेलवे के अधीन आने वाले मध्य प्रदेश के भोपाल मंडल ने स्पीडो विजन साॅफ्टवेयर विकसित किया है, जो रेल गाड़ियों के लोको पायलटों की ड्राइविंग रिपोर्ट तैयार करता है. आधिकारिक तौर पर दी गई जानकारी में बताया गया है कि भोपाल रेल मंडल ने स्पीडो विजन नामक आधुनिक सॉफ्टवेयर बनाया है जो लोकोमोटिव स्पीडोमीटर डेटा का तेज, सटीक और स्वचालित विश्लेषण कर संचालन रिपोर्ट कुछ मिनटों में तैयार करने में सक्षम है. यात्रियों की सुरक्षा, संचालन में पारदर्शिता और लोको पायलट की कार्यप्रणाली में जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण तकनीकी पहल मानी जाती है. यह सॉफ्टवेयर मंडल के इन-हाउस प्रयासों से एक माह में विकसित किया गया है.

बताया गया है कि स्पीडो विजन सॉफ्टवेयर की कार्यप्रणाली अत्यंत सहज एवं प्रभावी है. यह लोकोमोटिव स्पीडोमीटर से प्राप्त डेटा की एक्सेल फाइल को सेकंडों में प्रोसेस कर ग्राफिकल रिपोर्ट तैयार करता है, जिसमें तारीख, समय, गति, दूरी, ब्रेकिंग पैटर्न, ओवरस्पीड, और ब्रेक पावर टेस्ट जैसी प्रमुख जानकारियां शामिल होती हैं. यह विश्लेषण पूर्णतया स्वचालित और त्रुटिरहित होता है, जिससे पहले की मैनुअल प्रक्रिया की तुलना में समय और संसाधनों की बड़ी बचत होती है.

अधिकारियों ने दी जानकारी
रेलवे की तरफ से बताया गया कि भोपाल मंडल में प्रतिदिन औसतन 13 फ्लॉपी का विश्लेषण किया जाता है और हर महीने करीब 400 स्पीडोमीटर डेटा को डाउनलोड कर लोको पायलट की कार्यशैली की समीक्षा की जाती है. यदि विश्लेषण में किसी प्रकार की चूक, गति सीमा का उल्लंघन या संचालन व्यवहार में असामान्यता पाई जाती है, तो संबंधित लोको पायलट को लोको निरीक्षकों द्वारा काउंसलिंग दी जाती है और आवश्यकतानुसार पुनः प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है.

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रेलवे अधिकारियों का मानना है कि यह तकनीक न केवल ट्रेन संचालन की सुरक्षा और विश्वसनीयता को सशक्त बनाएगी, बल्कि लोको पायलटों के प्रशिक्षण, दक्षता और जिम्मेदारी को भी नया आयाम देगी. आने वाले समय में इस मॉडल को भारतीय रेलवे के अन्य मंडलों में भी लागू करने की योजना है.

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