रात में महिला की गिरफ्तारी पर क्या कहता है कानून? जानिए क्या है BNSS 2023 और CrPC
हाल ही में मद्रास हाईकोर्ट ने महिलाओं की गिरफ्तारी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 46(4) और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) 2023 की धारा 43(5) के अनुसार, रात के समय यानी सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, जब तक कि कोई विशेष परिस्थितियाँ न हों।

भारत में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई कड़े कानून बनाए गए हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण कानून यह है कि रात के समय यानी सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। हाल ही में, मदुरै बेंच ऑफ मद्रास हाईकोर्ट ने इस प्रावधान को दोहराते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है। कोर्ट ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS), 2023 की धारा 43(5) और दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 की धारा 46(4) का हवाला देते हुए कहा कि रात में महिला की गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं बल्कि निर्देशात्मक (Directory) है।
हालांकि, कोर्ट ने यह भी माना कि "अपवाद स्वरूप कुछ विशेष परिस्थितियों में" रात में महिला की गिरफ्तारी की जा सकती है। इस फैसले के बाद यह सवाल उठता है कि क्या कोई महिला अपवादस्वरूप गिरफ्तारी से बच सकती है? क्या पुलिस को इसके लिए विशेष अनुमति लेनी होगी? इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।
क्या कहा हाईकोर्ट ने?
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह स्पष्ट किया कि रात के समय महिला की गिरफ्तारी तभी संभव है जब यह ‘अत्यंत आवश्यक’ हो।अत्यंत गंभीर अपराध हो, यदि कोई महिला रात में कोई गंभीर अपराध करती है, जिससे जनता की सुरक्षा या कानून व्यवस्था को खतरा हो सकता है, तो उसकी गिरफ्तारी की जा सकती है।
यदि पुलिस को रात में किसी महिला को गिरफ्तार करना है, तो पहले मजिस्ट्रेट से लिखित अनुमति लेनी होगी। हालांकि गिरफ्तारी के दौरान महिला पुलिस अधिकारी का मौजूद रहना अनिवार्य होगा। इस फैसले में "Salma vs The State" मामले का उल्लेख किया गया, जिसमें हाईकोर्ट ने कहा था कि महिलाओं की गिरफ्तारी के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश होने चाहिए। हालांकि, बाद में डिवीजन बेंच ने कहा कि कानून प्रवर्तन अधिकारियों के लिए यह दिशानिर्देश पर्याप्त नहीं हैं।
महिलाओं की गिरफ्तारी से जुड़ी प्रमुख धाराएं
1. दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 46(4): यह धारा स्पष्ट रूप से कहती है कि किसी महिला को सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। यदि किसी अपवाद स्वरूप गिरफ्तारी आवश्यक हो, तो महिला पुलिस अधिकारी को एक लिखित रिपोर्ट तैयार करनी होगी और मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी।
2. भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 43(5): BNSS की यह धारा CrPC की धारा 46(4) से मिलती-जुलती है। इसमें भी रात में महिलाओं की गिरफ्तारी पर रोक लगाई गई है, जब तक कि "अत्यंत जरूरी परिस्थितियाँ" न हों।
3. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22: अनुच्छेद 22(1) कहता है कि किसी भी गिरफ्तार व्यक्ति को जल्द से जल्द कारण बताया जाना चाहिए और उसे अपने वकील से मिलने का अधिकार होगा। अनुच्छेद 22(2) कहता है कि गिरफ्तारी के बाद 24 घंटे के भीतर आरोपी को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना अनिवार्य है।
सुप्रीम कोर्ट और अन्य हाईकोर्ट्स का नजरिया?
बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) का निर्देश: बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि "किसी भी महिला को रात में महिला पुलिस अधिकारी की मौजूदगी के बिना गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।" सुप्रीम कोर्ट का नजरिया: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि कानून का सख्ती से पालन करना व्यावहारिक चुनौतियां पैदा कर सकता है। लेकिन, अदालत ने यह भी कहा कि महिला की सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और गिरफ्तारी के दौरान मानवीय दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है।
क्यों जरूरी है यह कानून?
देर रात में गिरफ्तार होने पर महिला के साथ मानसिक या शारीरिक उत्पीड़न का खतरा बढ़ सकता है। महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए यह कानून लागू किया गया है। पुलिसकर्मी किसी भी महिला को मनमाने तरीके से गिरफ्तार न कर सकें, इसके लिए यह प्रावधान किया गया है। इससे महिला अधिकारों की रक्षा होती है। कई बार महिलाओं को गलत मामलों में फंसाने के लिए रात में गिरफ्तार कर लिया जाता था। इस कानून के आने के बाद ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी।
मद्रास हाईकोर्ट के हालिया फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि महिलाओं की रात में गिरफ्तारी पर पाबंदी है, लेकिन अगर विशेष परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं तो उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। यह कानून महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाया गया है, ताकि पुलिसिया दुरुपयोग को रोका जा सके। लेकिन, क्या यह कानून भविष्य में संशोधित किया जाएगा? यह देखना दिलचस्प होगा।