Union Cabinet meeting: मोदी कैबिनेट के बड़े फैसले, रेल लाइन प्रोजेक्ट, जीरकपुर बाईपास समेत 3 परियोजनाओं को मंजूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई. इनमें तिरुपति-पाकला-कटपडी सिंगल रेलवे लाइन का दोहरीकरण, जीरकपुर बाईपास निर्माण और कृषि सिंचाई योजना के तहत जल प्रबंधन का आधुनिकीकरण शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में तीन महत्वपूर्ण परियोजनाओं को मंजूरी दी गई. इनमें तिरुपति-पाकला-कटपडी सिंगल रेलवे लाइन का दोहरीकरण, जीरकपुर बाईपास निर्माण और कृषि सिंचाई योजना के तहत जल प्रबंधन का आधुनिकीकरण शामिल हैं. इन परियोजनाओं का उद्देश्य राज्य की यातायात सुविधाओं को सुधारना, जल संसाधनों का बेहतर उपयोग करना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है.
केंद्रीय कैबिनेट ने आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बीच तिरुपति-पाकला-कटपडी सिंगल रेलवे लाइन के दोहरीकरण को मंजूरी दे दी है. इस परियोजना पर ₹1,332 करोड़ का खर्च होगा. तिरुपति-पाकला-कटपडी लाइन का दोहरीकरण होने से इस रेलवे रूट की क्षमता बढ़ेगी, साथ ही साथ ट्रेनों की गति और सेवाएं बेहतर होंगी. यह दोहरीकरण परियोजना भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों में से एक में आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित करेगा, जिससे यात्री और माल परिवहन में सुधार होगा. इस परियोजना के पूरा होने से रेलवे की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी और भारतीय रेलवे की सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा. इस योजना से स्थानीय लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर मिलेंगे.
इसके अलावा कैबिनेट ने पंजाब और हरियाणा में स्थित जीरकपुर बाईपास के निर्माण को भी मंजूरी दी. यह बाईपास छह लेन का होगा और इसकी कुल लंबाई 19.2 किलोमीटर होगी. यह परियोजना प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत एकीकृत परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है. बाईपास एनएच-7 (जीरकपुर-पटियाला) के जंक्शन से शुरू होकर एनएच-5 (जिरकपुर-परवाणू) के जंक्शन तक जाएगा. इसके निर्माण से जीरकपुर और पंचकूला के बहुत ज्यादा भीड़-भाड़ वाले इलाकों से बचा जा सकेगा. यह परियोजना पटियाला, दिल्ली, मोहाली एरोसिटी से आने वाले यातायात को डाइवर्ट करके हिमाचल प्रदेश के लिए सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. इस परियोजना की कुल लागत ₹1,878.31 करोड़ निर्धारित की गई है.
तीसरी महत्वपूर्ण परियोजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जल प्रबंधन का आधुनिकीकरण है. इस योजना को 2025-2026 की अवधि के लिए मंजूरी दी गई है, और इसकी प्रारंभिक कुल लागत ₹1,600 करोड़ है. इस परियोजना का उद्देश्य मौजूदा सिंचाई नेटवर्क का आधुनिकीकरण करना और किसानों को सूक्ष्म सिंचाई सुविधाएं प्रदान करना है. जल प्रबंधन के लिए SCADA और इंटरनेट ऑफ थिंग्स तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे जल उपयोग की दक्षता में सुधार होगा. इस योजना से कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि होगी, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी. इन परियोजनाओं के माध्यम से सरकार की प्राथमिकता देश में बुनियादी ढांचे का विकास करना, जल संसाधनों का बेहतर उपयोग करना और आर्थिक विकास को गति देना है.
तिरुपति-पाकला-कटपडी सिंगल रेलवे लाइन के दोहरीकरण
केंद्रीय कैबिनेट ने आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के बीच तिरुपति-पाकला-कटपडी सिंगल रेलवे लाइन के दोहरीकरण को मंजूरी दे दी है. इस परियोजना पर ₹1,332 करोड़ का खर्च होगा. तिरुपति-पाकला-कटपडी लाइन का दोहरीकरण होने से इस रेलवे रूट की क्षमता बढ़ेगी, साथ ही साथ ट्रेनों की गति और सेवाएं बेहतर होंगी. यह दोहरीकरण परियोजना भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्त खंडों में से एक में आवश्यक बुनियादी ढांचे के विकास को सुनिश्चित करेगा, जिससे यात्री और माल परिवहन में सुधार होगा. इस परियोजना के पूरा होने से रेलवे की कार्यक्षमता में वृद्धि होगी और भारतीय रेलवे की सेवा विश्वसनीयता में सुधार होगा. इस योजना से स्थानीय लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के नए अवसर मिलेंगे.
पंजाब-हरियाणा में स्थित जीरकपुर बाईपास के निर्माण को मंजूरी
इसके अलावा कैबिनेट ने पंजाब और हरियाणा में स्थित जीरकपुर बाईपास के निर्माण को भी मंजूरी दी. यह बाईपास छह लेन का होगा और इसकी कुल लंबाई 19.2 किलोमीटर होगी. यह परियोजना प्रधानमंत्री गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत एकीकृत परिवहन इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है. बाईपास एनएच-7 (जीरकपुर-पटियाला) के जंक्शन से शुरू होकर एनएच-5 (जिरकपुर-परवाणू) के जंक्शन तक जाएगा. इसके निर्माण से जीरकपुर और पंचकूला के बहुत ज्यादा भीड़-भाड़ वाले इलाकों से बचा जा सकेगा. यह परियोजना पटियाला, दिल्ली, मोहाली एरोसिटी से आने वाले यातायात को डाइवर्ट करके हिमाचल प्रदेश के लिए सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करेगी. इस परियोजना की कुल लागत ₹1,878.31 करोड़ निर्धारित की गई है.
जल प्रबंधन का आधुनिकीकरण
तीसरी महत्वपूर्ण परियोजना प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत जल प्रबंधन का आधुनिकीकरण है. इस योजना को 2025-2026 की अवधि के लिए मंजूरी दी गई है, और इसकी प्रारंभिक कुल लागत ₹1,600 करोड़ है. इस परियोजना का उद्देश्य मौजूदा सिंचाई नेटवर्क का आधुनिकीकरण करना और किसानों को सूक्ष्म सिंचाई सुविधाएं प्रदान करना है. जल प्रबंधन के लिए SCADA और इंटरनेट ऑफ थिंग्स तकनीक का उपयोग किया जाएगा, जिससे जल उपयोग की दक्षता में सुधार होगा. इस योजना से कृषि उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि होगी, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी. इन परियोजनाओं के माध्यम से सरकार की प्राथमिकता देश में बुनियादी ढांचे का विकास करना, जल संसाधनों का बेहतर उपयोग करना और आर्थिक विकास को गति देना है.