ओवैसी ने Ceasefire पर उठाए सवाल, मोदी सरकार की रणनीति पर जताई चिंता, पूछे 4 तीखे सवाल
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए संघर्षविराम पर सरकार से चार अहम सवाल पूछे हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप, पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई, और FATF जैसे मुद्दों पर मोदी सरकार की रणनीति पर सवाल उठाए हैं।

अमेरिका राष्ट्रपति ट्रंप के भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम की घोषणा देशभर में चर्चा का विषय बना गई है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस सीजफायर पर गंभीर सवाल उठाते हुए सरकार की रणनीति पर प्रश्नचिह्न लगाए हैं. उन्होंने कहा कि जब तक पाकिस्तान अपनी धरती का उपयोग भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए करता रहेगा, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है.
ओवैसी के चार महत्वपूर्ण सवाल
ओवैसी ने सरकार से चार प्रमुख सवाल पूछे हैं जिसमें सबसे पहला सवाल था कि सीजफायर की घोषणा पीएम मोदी ने क्यों नहीं की? ओवैसी ने सवाल उठाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बजाय एक विदेशी देश के राष्ट्रपति ने संघर्षविराम की घोषणा क्यों की? शिमला समझौते (1972) के बाद से भारत हमेशा तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप के खिलाफ रहा है, तो अब हमने इसे स्वीकार क्यों किया? उन्होंने उम्मीद जताई कि कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण नहीं होगा, क्योंकि यह हमारा आंतरिक मामला है.
तटस्थ क्षेत्र में बातचीत का एजेंडा क्या है?
हम तटस्थ क्षेत्र में बातचीत के लिए क्यों तैयार हुए हैं? इन वार्ताओं का एजेंडा क्या होगा? क्या अमेरिका यह गारंटी देगा कि पाकिस्तान भविष्य में अपनी धरती से आतंकवाद को बढ़ावा नहीं देगा?
क्या संघर्षविराम ही हमारा उद्देश्य था?
क्या हम पाकिस्तान को भविष्य के आतंकी हमलों से रोकने के अपने लक्ष्य में सफल हुए हैं, या केवल एक संघर्षविराम ही हमारा उद्देश्य था?
ओवैसी ने FATF की ग्रे लिस्ट में पाकिस्तान को बनाए रखने की मुहिम जारी रखने की बात भी कही.
जब तक पाकिस्तान भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए अपनी ज़मीन का इस्तेमाल करता रहेगा, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है। #सीज़फायर हो या न हो, हमें #पहलगाम हमले के लिए ज़िम्मेदार आतंकवादियों का पीछा नहीं छोड़ना चाहिए।
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) May 10, 2025
जब जब बाहरी आक्रमण हुआ है मैं सरकार और सशस्त्र बलों के साथ खड़ा रहा… https://t.co/QJt3uMEWqJ
भारतीय सेना और सरकार के प्रति समर्थन
ओवैसी ने भारतीय सेना और सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि वह हमेशा बाहरी आक्रमण के खिलाफ सरकार और सशस्त्र बलों के साथ खड़े रहे हैं, और यह आगे भी जारी रहेगा। उन्होंने भारतीय सेना की बहादुरी और अद्वितीय कौशल की सराहना की. इसके साथ ही उन्होंनें शहीद हुए जवान एम मुरली नाइक, एडीसीसी राज कुमार थापा को श्रद्धांजलि भी दी और इस संघर्ष में मारे गए या घायल हुए नागरिकों के लिए प्रार्थना की.
आपको बता दें कि अमेरिकी विदेश सचिव मार्को रूबियो ने जानकारी देते हुए कहा कि पिछले 48 घंटों में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर, सेना प्रमुख असीम मुनीर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और असीम मलिक सहित वरिष्ठ भारतीय और पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत की है. उन्होंने घोषणा की कि भारत और पाकिस्तान की सरकारें तत्काल युद्धविराम और तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दों पर बातचीत शुरू करने पर सहमत हो गई हैं.
ऐसे में कहना गलत नहीं होगा लेकिन ओवैसी के सवालों ने सरकार की रणनीति और अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता की भूमिका पर नई बहस छेड़ दी है. जब तक पाकिस्तान अपनी धरती का उपयोग भारत के खिलाफ आतंकवाद फैलाने के लिए करता रहेगा, तब तक स्थायी शांति संभव नहीं है. सरकार को चाहिए कि वह इन सवालों के जवाब दे और देशवासियों को विश्वास में लेकर आगे की रणनीति बनाए.