तुर्की और अज़रबैजान के खिलाफ फडणवीस की सख्त चेतावनी, मानवता के दुश्मनों को सबक सिखाना जरूरी
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने तुर्की और अज़रबैजान जैसे देशों के खिलाफ तीखा बयान देते हुए उन्हें आतंकवाद के समर्थक राष्ट्र बताया है. उन्होंने हाल ही में पहलगाम में हुई बर्बर आतंकी घटना का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे देश सिर्फ भारत के नहीं बल्कि मानवता के भी दुश्मन हैं. फडणवीस ने 'नेशन फर्स्ट' की भावना से प्रेरित होकर इन देशों का बहिष्कार करने वाले नागरिकों की सराहना की .
1747330648.jpg)
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में आतंकवाद के मुद्दे पर एक अहम और सशक्त बयान दिया है, जिसने देश की सुरक्षा को लेकर चिंता करने वाले हर नागरिक के मन में एक नई चेतना जगा दी है। उन्होंने कहा कि तुर्की और अज़रबैजान जैसे देश जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आतंकवाद को समर्थन देते हैं, उनके खिलाफ जनता द्वारा किया गया बहिष्कार ‘नेशन फर्स्ट’ की भावना को दर्शाता है और यह एक अत्यंत सराहनीय कदम है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब कश्मीर के पहलगाम में हुई बर्बर आतंकी घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है।
यह भारत नहीं, पूरी मानवता पर हमला है- फडणवीस बोले
पहलगाम की जिस आतंकवादी घटना की ओर देवेंद्र फडणवीस ने इशारा किया, वह न केवल हमारे देश की सुरक्षा के लिए एक चुनौती थी, बल्कि मानवता के मूल सिद्धांतों पर भी आघात था। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने वाले या उनका समर्थन करने वाले लोग सिर्फ भारत के नहीं बल्कि संपूर्ण मानव समाज के दुश्मन हैं। यह वक्त है जब देश एकजुट होकर न केवल इन ताकतों के खिलाफ खड़ा हो बल्कि उन देशों से भी दूरी बनाए जो आतंकवाद को प्रश्रय देते हैं।
मैं तुर्की एवं अज़रबैजान जैसे आतंकवाद को समर्थन देने वाले राष्ट्रों का 'नेशन फर्स्ट' की विचारधारा से प्रेरीत होकर बहिष्कार करने वाले लोगों को बधाई देता हूँ। पहलगाम की बर्बरपूर्ण आतंकवादी घटना करने वाले एवं उसका समर्थन करने वाले सिर्फ हमारे देश के ही दुश्मन नहीं बल्कि वे मानवता के… pic.twitter.com/6ffz9Be6mc
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) May 15, 2025
भारत को चाहिए ठोस रणनीति
तुर्की और अज़रबैजान जैसे देशों पर फडणवीस के बयान को केवल भावनात्मक प्रतिक्रिया न मानकर एक रणनीतिक संकेत के रूप में देखा जाना चाहिए। यह बयान उस व्यापक चिंतन का हिस्सा है जिसमें भारत को अपने वैश्विक रिश्तों की पुनर्समीक्षा करनी होगी, विशेषकर उन देशों के साथ जो भारत विरोधी गतिविधियों को किसी न किसी रूप में समर्थन देते हैं। ऐसे राष्ट्र जो आतंक के पनाहगाह बन चुके हैं, उनके साथ आर्थिक, व्यापारिक या कूटनीतिक संबंधों में बदलाव करना एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
जनता की भूमिका भी अहम
फडणवीस ने अपने बयान में आम नागरिकों की भूमिका को भी रेखांकित किया है। उन्होंने उन लोगों को बधाई दी है जिन्होंने इन आतंक समर्थक देशों का सामाजिक और व्यावसायिक बहिष्कार कर एक सकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत किया है। जब जनता 'नेशन फर्स्ट' की सोच को व्यवहार में लाती है, तब ही देश की सुरक्षा और अखंडता को मजबूती मिलती है। सोशल मीडिया से लेकर बाज़ार तक, लोगों की जागरूकता ने यह साबित किया है कि भारत अब आतंक के खिलाफ सिर्फ सैन्य स्तर पर नहीं बल्कि सामाजिक स्तर पर भी संघर्ष कर रहा है।
देवेंद्र फडणवीस का यह बयान केवल एक राजनेता का विचार नहीं बल्कि देश की सामूहिक चेतना का प्रतिबिंब है। भारत को अब आतंक के खिलाफ अपनी नीति में और अधिक स्पष्टता लानी होगी। यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हर नागरिक की जवाबदेही भी है कि वह ‘नेशन फर्स्ट’ की भावना से कार्य करे। तुर्की और अज़रबैजान जैसे राष्ट्रों से दूरी बनाकर भारत एक साहसिक संदेश दे रहा है कि आतंक का कोई धर्म, कोई जाति नहीं होती, और इसका समर्थन करने वाला हर शख्स मानवता का अपराधी है।