Advertisement

दहेज के झूठे आरोप से परेशान होकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष ने 24 पेज का सुसाइड नोट लिखकर की आत्म हत्या

कर्नाटक के बेंगलुरु में आईटी प्रोफेशनल अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला दहेज प्रथा और अदालती प्रक्रियाओं पर बड़े सवाल खड़े करता है। जौनपुर की रहने वाली उनकी पत्नी द्वारा दर्ज नौ मामलों ने उनकी जिंदगी को तहस-नहस कर दिया।

Author
11 Dec 2024
( Updated: 11 Dec 2025
11:16 AM )
दहेज के झूठे आरोप से परेशान होकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष ने 24 पेज का सुसाइड नोट लिखकर की आत्म हत्या
बेंगलुरु के एक होनहार सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या का मामला न केवल एक दर्दनाक घटना है, बल्कि भारतीय समाज में दहेज प्रथा और न्यायिक प्रक्रियाओं की क्रूर वास्तविकताओं को उजागर करता है। अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया द्वारा दर्ज की गई एफआईआर और उससे जुड़ी कानूनी लड़ाई ने उनके परिवार को गहरे संकट में डाल दिया।
शुरुआत कहां से हुई?
26 अप्रैल 2019 को वाराणसी के एक भव्य समारोह में अतुल सुभाष और निकिता सिंघानिया का विवाह हुआ। लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही दहेज उत्पीड़न के आरोपों और घरेलू कलह ने उनके जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया। 24 अप्रैल 2022 को जौनपुर कोतवाली में दर्ज एफआईआर ने इस संघर्ष की शुरुआत की।

निकिता ने आरोप लगाया कि अतुल और उनका परिवार 10 लाख रुपये दहेज की मांग कर रहा था। एफआईआर में कहा गया कि अतुल शराब पीकर मारपीट करता था और निकिता की सैलरी अपने अकाउंट में ट्रांसफर करवा लेता था। यह भी आरोप लगाया गया कि 16 अगस्त 2019 को अतुल के परिवार ने निकिता के मायके जाकर 10 लाख रुपये मांगे, जिसके आघात से अगले दिन उसके पिता की मृत्यु हो गई।

अतुल ने अपने 24 पेज के सुसाइड नोट में हर आरोप का खंडन किया। उन्होंने बताया कि निकिता से उनकी मुलाकात एक मैट्रिमोनियल वेबसाइट के जरिए हुई थी और शादी के तुरंत बाद वे दोनों बेंगलुरु शिफ्ट हो गए। अतुल ने लिखा कि दहेज मांगने का आरोप बेबुनियाद है क्योंकि वे खुद 40 लाख रुपये की नौकरी करते थे। उन्होंने उलटे यह दावा किया कि उन्होंने निकिता के परिवार को बिजनेस के लिए 15 लाख रुपये दिए थे, लेकिन इस पैसे का उपयोग घर खरीदने में किया गया।
120 बार कोर्ट की पेशी
एफआईआर के बाद शुरू हुई कानूनी लड़ाई ने अतुल और उनके परिवार को शारीरिक और मानसिक रूप से तोड़ दिया। सुसाइड नोट में लिखा है कि वह और उनका परिवार 120 बार जौनपुर कोर्ट में पेश हुए। बेंगलुरु में रहते हुए, अतुल को अपने कार्यस्थल से बार-बार छुट्टी लेनी पड़ी, जिससे उनका करियर भी प्रभावित हुआ। अतुल की आत्महत्या और सुसाइड नोट ने कई सवाल खड़े किए। हालांकि, निकिता की मां ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

यह घटना दहेज कानूनों के दुरुपयोग और उनके परिणामस्वरूप होने वाले शोषण को लेकर गंभीर बहस छेड़ती है। जहां एक ओर यह कानून महिलाओं के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है, वहीं दूसरी ओर इसके दुरुपयोग से निर्दोष परिवारों को भी प्रताड़ना झेलनी पड़ती है।
समाज और न्याय प्रणाली के लिए सबक
अतुल सुभाष की कहानी भारतीय समाज के लिए एक चेतावनी है। यह घटना बताती है कि दहेज जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ सख्त कानून बनाने के साथ-साथ उनके दुरुपयोग को रोकने के उपाय भी जरूरी हैं। इसके अलावा, न्यायिक प्रक्रियाओं को तेज और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है ताकि निर्दोष लोगों को अनावश्यक परेशानियों का सामना न करना पड़े।

अतुल सुभाष का सुसाइड नोट उनके संघर्ष और मानसिक यातना की कहानी बयां करता है। यह घटना केवल एक व्यक्ति की त्रासदी नहीं है, बल्कि भारतीय समाज और न्यायिक व्यवस्था के लिए आत्ममंथन का समय है। इस कहानी से हमें दहेज प्रथा, न्यायिक प्रक्रिया और सामाजिक जिम्मेदारी पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।

यह भी पढ़ें

Tags

Advertisement

टिप्पणियाँ 0

Advertisement
Podcast video
Gautam Khattar ने मुसलमानों की साजिश का पर्दाफ़ाश किया, Modi-Yogi के जाने का इंतजार है बस!
Advertisement
Advertisement
शॉर्ट्स
वेब स्टोरीज़
होम वीडियो खोजें