Advertisement

Hindi का विरोध करने वाले Raj Thackeray और Stalin जैसे नेताओं को CM Yogi की तगड़ी नसीहत !

Raj Thacekray ने जैसे ही मराठी नहीं बोलने वालों को तमाचा मारने का ऐलान किया तो उनके समर्थकों को लगता है कि यूपी बिहार जैसे हिंदी पट्टी राज्यों से आने वालों को मारने पीटने का लाइसेंस मिल गया और लगे मारपीट करने तो वहीं इसी बीच सीएम योगी ने भाषा विवाद को लेकर सुनिये क्या कुछ कहा ?

07 Apr, 2025
( Updated: 07 Apr, 2025
06:02 PM )
Hindi का विरोध करने वाले Raj Thackeray और Stalin जैसे नेताओं को CM Yogi की तगड़ी नसीहत !
गुजरात से आने वाले प्रधानमंत्री और गृहमंत्री गर्व से हिंदी भी बोलते हैं। नॉर्थ ईस्ट राज्य अरुणाचल प्रदेश से आने वाले अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू भी हिंदी बोलने में कोई शर्म नहीं करते। और गर्व से हिंदी बोलते हैं। यहां तक कि दक्षिण राज्य तमिलनाडु से आने वालीं वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण भी हिंदी बोलने की पूरी कोशिश करती हैं।

गुजरात। अरुणाचल प्रदेश। तमिलनाडु से जैसे राज्यों से आने वाले मंत्री भी हिंदी बोलने में कोई शर्म महसूस नहीं करते हैं। लेकिन बात जब वीर शिवाजी की धरती महाराष्ट्र की आती है तो ऐसा लगता है मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने हिंदी विरोध को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मान लिया है। और जब मन करता है। अपनी राजनीति चमकाने के लिए हिंदी भाषा का विरोध करने लगते हैं। उनके एक आदेश पर समर्थक सरेआम गुंडई पर उतर आते हैं और हिंदी बोलने वाले यूपी बिहार जैसे राज्यों के लोगों को सरेआम मारने पीटने लगते हैं। कुछ ऐसी ही गुंडई एक बार फिर शुरू हो गई। जब कुछ ही दिनों पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानि मनसे के अध्यक्ष राज ठाकरे ने हिंदी के खिलाफ बयान दिया और कहा कि जो लोग मराठी नहीं बोलेंगे तो उनके कान के नीचे तमाचा मारने का काम भी किया जाएगा। "मुंबई में कुछ लोग कहते है कि हम मराठी नहीं बोलेंगे, जो लोग मराठी नहीं बोलेंगे तो उनके कान के नीचे तमाचा मारने का काम भी किया जाएगा"  


राज ठाकरे ने जैसे ही मराठी नहीं बोलने वालों को तमाचा मारने का ऐलान किया तो उनके समर्थकों को लगता है कि यूपी बिहार जैसे हिंदी पट्टी राज्यों से आने वालों को मारने पीटने का लाइसेंस मिल गया। और लगे मारपीट करने।

मुंबई में कुछ ही दिनों में नगर निकाय चुनाव होने वाले हैं। शायद यही वजह है कि अपनी राजनीति चमकाने के लिए राज ठाकरे ने एक बार फिर से हिंदी विरोध की राजनीति शुरू कर दी। तो वहीं दूसरी तरफ दक्षिण राज्य तमिलनाडु में तो इससे भी बुरे हालात हैं। खुद सीएम एमके स्टालिन हिंदी विरोध की राजनीति करते-करते इस हद तक पहुंच गये कि राज्य के बजट से रुपये का सिंबल ही हटा दिया। क्योंकि ये सिंबल हिंदी में था। वो तो भला हो नोट RBI छापता है नहीं तो स्टालिन सरकार नोटों से भी हिंदी में लिखा रुपये का सिंबल हटा देती। इसी बात से समझ सकते हैं कि तमिलनाडु में किस हद तक हिंदी विरोध होता है। महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हिंदी विरोध के नाम पर राजनीति चमकाने वाले ऐसे नेताओं को हिंदी पट्टी वाले राज्य यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने तगड़ी नसीहत देते हुए यहां तक कह दिया कि हिंदी विरोध सिर्फ एक संकीर्ण राजनीति है। क्योंकि भाषा तोड़ती नहीं। जोड़ने का काम करती है।

हिंदी विरोध की राजनीति करने वाले राज्यों को सीएम योगी ने त्रिस्तरीय भाषा मॉडल पर लागू करने की सलाह दी है। यानि हिंदी, अंग्रेजी और राज्य की स्थानीय भाषा। जो देश दुनिया के किसी कोने में संवाद का एक बेहतर जरिया बन सकता है। क्योंकि भाषा जोड़ती है तोड़ती नहीं है।यही वजह है कि खुद मोदी सरकार काशी तमिल संगमम जैसे कार्यक्रम आयोजित करवाती है जिससे उत्तर को दक्षिण से भाषायी और सांस्कृतिक आधार पर जोड़ा जा सके।

एक तरफ योगी जैसे नेता हैं जो भाषा को जोड़ने का माध्यम मानते हैं। तो वहीं दूसरी तरफ राज ठाकरे जैसे नेता हैं जो हिंदी विरोध के नाम पर राजनीति चमकाना चाहते हैं। हालांकि जैसे ही मारपीट पर उतारू कार्यकर्ताओं की वजह से उनकी फजीहत शुरू हुई। तुरंत बैकफुट पर आ गये और पत्र जारी करते हुए अपने कार्यकर्ताओं को कथित आंदोलन रोकने का आदेश दे दिया। बहरहाल एक तरफ जहां मोदी सरकार है जो काशी तमिल संगमम जैसे आयोजनों से उत्तर और दक्षिण को भाषायी और सांस्कृतिक रूप से जोड़ने का काम कर रही है। तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार और तमिलनाडु में स्टालिन सरकार है जो हिंदी का विरोध करते हुए भाषायी आधार पर लोगों को बांटने में लगे हुए हैं। ऐसे लोगों को सीएम योगी ने जिस तरह से जवाब दिया है।

Tags

Advertisement
LIVE
Advertisement
Pahalgam पर भारत को धमकी दे रहे Pannu को सरदार ने ऐसा ललकारा, 7 पुश्तें याद रखेंगी !
Advertisement
Advertisement