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10 साल के बच्चे भी बनेंगे फाइनेंशियली स्मार्ट, RBI ने दी बैंक अकाउंट ऑपरेट करने की इजाजत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला लिया है जिससे बच्चों की वित्तीय समझ को बढ़ावा मिलेगा. अब 10 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे बिना माता-पिता या अभिभावक की मदद के खुद अपना बैंक अकाउंट (Savings Account) खोल सकते हैं और उसे स्वतंत्र रूप से ऑपरेट भी कर सकते हैं.

23 Apr, 2025
( Updated: 23 Apr, 2025
10:53 AM )
10 साल के बच्चे भी बनेंगे फाइनेंशियली स्मार्ट, RBI ने दी बैंक अकाउंट ऑपरेट करने की इजाजत
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RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला लिया है जिससे बच्चों की वित्तीय समझ को बढ़ावा मिलेगा. अब 10 साल या उससे अधिक उम्र के बच्चे बिना माता-पिता या अभिभावक की मदद के खुद अपना बैंक अकाउंट (Savings Account) खोल सकते हैं और उसे स्वतंत्र रूप से ऑपरेट भी कर सकते हैं. इस कदम का मुख्य उद्देश्य बच्चों में बचत की आदत डालना और उन्हें पैसे की अहमियत सिखाना है. नीचे हम इस फैसले से जुड़ी सभी जरूरी जानकारी आसान और सामान्य भाषा में दे रहे हैं:

कौन खोल सकता है खाता?

अब 10 साल या उससे अधिक उम्र का कोई भी बच्चा खुद सेविंग अकाउंट खोल सकता है. इसके लिए माता-पिता या गार्जियन की सहमति की जरूरत नहीं होगी, लेकिन बच्चा बैंक द्वारा तय की गई शर्तों पर खरा उतरना चाहिए जैसे कि पहचान के लिए आधार कार्ड, स्कूल ID या जन्म प्रमाण पत्र आदि.

क्या सुविधाएं मिलेंगी बच्चों को?

RBI के इस फैसले के बाद बैंक अब 10 साल से ऊपर के बच्चों को भी कुछ विशेष बैंकिंग सुविधाएं दे सकते हैं, जैसे:

ATM / डेबिट कार्ड की सुविधा – बैंक बच्चे को ATM कार्ड जारी कर सकते हैं ताकि वह छोटे-छोटे खर्च खुद मैनेज कर सके.

चेकबुक सुविधा – कुछ बैंक बच्चों को लिमिटेड सुविधा के साथ चेकबुक भी दे सकते हैं.

इंटरनेट बैंकिंग / मोबाइल बैंकिंग – हालांकि पूरी सुविधाएं नहीं मिलेंगी, लेकिन लिमिटेड एक्सेस संभव हो सकता है.

स्वतंत्र रूप से खाता ऑपरेट करना – बच्चा खाता चला सकता है, जमा और निकासी कर सकता है, लेकिन इसकी एक निश्चित सीमा होगी जो बैंक तय करेगा.

ब्याज दर – बच्चों के खाते पर भी सामान्य सेविंग अकाउंट की तरह ब्याज मिलेगा.

 खाता खोलने के लिए जरूरी दस्तावेज

1. बच्चे का आधार कार्ड या जन्म प्रमाण पत्र

2. स्कूल की ID कार्ड या बोनाफाइड सर्टिफिकेट

3. पासपोर्ट साइज फोटो

4. एड्रेस प्रूफ (यदि उपलब्ध हो)

5. कुछ बैंकों में माता-पिता की सहमति या हस्ताक्षर अब भी वैकल्पिक रूप से मांगे जा सकते हैं, लेकिन जरूरी नहीं.

क्या होंगी लिमिट्स?

1. निकासी और लेन-देन की सीमा बैंक तय करेगा, ताकि बच्चा सुरक्षित तरीके से बैंकिंग कर सके.

2. एक महीने में कितनी बार पैसा निकाला जा सकता है या ATM से कितनी राशि निकाली जा सकती है – ये सब बैंक पॉलिसी पर निर्भर करेगा.

3. इन खातों में आमतौर पर नो-फ्रिल्स अकाउंट (Zero Balance) की सुविधा होती है, यानी न्यूनतम राशि बनाए रखने की जरूरत नहीं.

इस फैसले का मकसद क्या है?

इस फैसले के पीछे RBI का उद्देश्य बच्चों को छोटी उम्र से ही फाइनेंशियल लिटरेसी (वित्तीय साक्षरता) से जोड़ना है. इससे बच्चे पैसे की वैल्यू समझ पाएंगे, बचत की आदत डालेंगे और डिजिटल बैंकिंग की जानकारी भी हासिल करेंगे. साथ ही यह उन्हें भविष्य में समझदार और ज़िम्मेदार नागरिक बनने में मदद करेगा.

RBI का यह निर्णय न सिर्फ एक साहसी कदम है बल्कि बच्चों के लिए एक सुनहरा अवसर भी है. यह फैसला बच्चों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने, वित्तीय जागरूकता पैदा करने और उन्हें टेक्नोलॉजी से जोड़ने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है. अगर आपके घर में कोई बच्चा 10 साल या उससे ऊपर है, तो आप नजदीकी बैंक जाकर इसके बारे में जानकारी ले सकते हैं और उसके लिए अकाउंट खुलवा सकते हैं.

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