"हमारे पास परमाणु बटन है, भारत भूले नहीं" ख्वाजा आसिफ ने फिर दी परमाणु हमले की धमकी,ऑपरेशन सिंदूर से बौखलाया पाकिस्तान
भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पंजाब में किए गए सटीक हमलों के बाद पाकिस्तान की सरकार और सेना बुरी तरह बौखला गई है. इन हमलों में आतंकी ठिकानों को भारी नुकसान पहुंचा है, जिसके बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने परमाणु हमले की धमकी देकर दुनिया को चौंका दिया.

भारत द्वारा हाल ही में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पंजाब प्रांत में चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान की नींव हिला दी है. भारतीय वायुसेना की इस सर्जिकल स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों और आतंकी ठिकानों में भारी तबाही की खबरें आईं. लेकिन इस सैन्य दबाव के बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का एक बयान सामने आया. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो तनाव चल रहा है, वह किसी भी समय परमाणु युद्ध में बदल सकता है. यह बयान न सिर्फ खतरनाक है बल्कि दुनिया के लिए चेतावनी भी.
ख्वाजा आसिफ का बयान
ख्वाजा आसिफ ने कहा, "अगर भारत की तरफ से कोई और कदम उठाया गया, तो पाकिस्तान के पास सभी विकल्प खुले हैं. हमारा न्यूक्लियर प्रोग्राम सिर्फ शोपीस नहीं है. हम अपने देश की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं." इस बयान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंताओं को और बढ़ा दिया है. लेकिन क्या यह बयान वाकई किसी रणनीतिक विकल्प का संकेत है या फिर पाकिस्तान की बौखलाहट का नतीजा?
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह धमकी पाकिस्तान की उस पुरानी नीति का हिस्सा है जिसे वह भारत के खिलाफ कूटनीतिक दबाव बनाने के लिए बार-बार इस्तेमाल करता आया है. जब भी भारत आतंकवाद के खिलाफ कोई कड़ा कदम उठाता है, पाकिस्तान 'परमाणु युद्ध' की धमकी देकर सहानुभूति और डर का माहौल बनाता है.
ख्वाजा आसिफ का यह बयान पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति को भी दर्शाता है. देश में महंगाई चरम पर है, विदेशी मुद्रा भंडार खत्म हो चुका है, IMF की शर्तों ने सरकार को बेबस बना दिया है. सेना और सरकार के बीच भी मतभेद गहरे हैं. ऐसे में 'युद्ध' और 'परमाणु खतरे' की बात करके पाक सरकार जनता का ध्यान घरेलू मुद्दों से हटाना चाहती है. लेकिन सवाल ये है कि कब तक पाकिस्तान इस डर की राजनीति से अपनी नाकामियों को छुपा सकेगा?
परमाणु युद्ध की धमकी, पाकिस्तान की पुरानी आदत
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने परमाणु हमले की धमकी दी हो. 1999 के करगिल युद्ध के समय भी पाकिस्तान के सैन्य जनरल परमाणु हथियारों का जिक्र कर चुके हैं. 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत की एयरस्ट्राइक के बाद भी यही धमकी दी गई थी.
यह रणनीति पाकिस्तान की विदेश नीति का हिस्सा बन चुकी है. जब-जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसका झूठ उजागर होता है या भारत द्वारा की गई कार्रवाई से उसकी कमजोरी सामने आती है, तब पाकिस्तान 'न्यूक्लियर बटन' की बात करके खुद को एक बड़ा खतरा दिखाने की कोशिश करता है. लेकिन अब यह चाल भी पुरानी हो चुकी है और दुनिया इसे गंभीरता से नहीं लेती.
हालांकि भारत ने अब तक पाकिस्तान की धमकियों का कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है. विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने संयम बरता है. भारत जानता है कि हर बार युद्ध की धमकी देकर पाकिस्तान अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाना चाहता है. वास्तव में, भारत की सैन्य नीति अब ‘ऑफेंसिव डिफेंस’ के सिद्धांत पर आधारित है. यानी जहां जरूरी हो वहां जवाबी कार्रवाई करना, लेकिन बिना युद्ध को बढ़ावा दिए. यह रणनीति अब न सिर्फ दक्षिण एशिया बल्कि पूरी दुनिया में भारत को एक जिम्मेदार और परिपक्व शक्ति के रूप में स्थापित कर रही है.
ऑपरेशन सिंदूर भारत की Surgical Strike
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारत का एक स्पष्ट संदेश था कि सीमा पार आतंकवाद अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. खुफिया इनपुट्स के बाद भारतीय वायुसेना ने एक सटीक और सीमित एयरस्ट्राइक को अंजाम दिया जिसमें PoK और पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. हालांकि भारत सरकार ने इस ऑपरेशन पर ज्यादा कुछ नहीं कहा, लेकिन ग्राउंड से आने वाली तस्वीरें और पाकिस्तान की बेचैनी अपने आप में बहुत कुछ कह रही थी. पाकिस्तानी मीडिया तक इस पर चुप्पी साधे रही, लेकिन सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो और सैटेलाइट इमेजेस ने स्पष्ट किया कि भारतीय हमलों में भारी नुकसान हुआ है.
बयानबाज़ी में उलझा पाकिस्तान
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे हास्यास्पद स्थिति तब पैदा हुई जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने कहा कि ऑपरेशन में 26 लोग मारे गए और करीब 40 घायल हुए. लेकिन ठीक पांच मिनट बाद पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने प्रेस ब्रीफिंग में दावा किया कि मरने वालों की संख्या 31 है और घायलों की संख्या 57 से अधिक. इस आंकड़ों के अंतर ने पूरी दुनिया को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या पाकिस्तान कुछ छुपा रहा है? इन विरोधाभासी बयानों से ये संदेह और गहरा हो गया कि मारे गए लोगों में ज़्यादातर आतंकी ही थे और पाक सरकार अब उसे आम नागरिक दिखाने की कोशिश कर रही है.
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को नहीं मिला रहा समर्थन
संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका समेत कई वैश्विक संस्थाओं ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की किसी भी धमकी को 'गंभीर चिंता' का विषय बताया है. लेकिन इस बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को ज्यादा समर्थन नहीं मिला. इसकी बड़ी वजह यह है कि दुनिया अब पाकिस्तान की दोहरी नीति को समझ चुकी है. वहीं भारत की तरफ से अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह भरोसा रहा है कि वह किसी भी सैन्य कार्रवाई को सीमित दायरे में रखता है और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक भावना के अनुरूप कार्य करता है.
भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' ने एक बार फिर दिखा दिया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत अब बिल्कुल भी नरमी नहीं दिखाएगा. वहीं पाकिस्तान ने एक बार फिर साबित किया कि वह हर बार अपनी जिम्मेदारी से भागने के लिए डर, धमकी और झूठ का सहारा लेता है. ख्वाजा आसिफ की परमाणु धमकी सिर्फ एक कमजोर देश की बौखलाहट है, जो अपनी सच्चाई से मुंह चुरा रहा है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या पाकिस्तान वाकई कुछ कर पाएगा या फिर सिर्फ बयानबाज़ी तक ही सीमित रहेगा.