इजरायल की ढाल बनकर खड़ा हुआ ये मुस्लिम देश, अपने एयर स्पेस में मार गिराए ईरान द्वारा दागे गए ड्रोन-मिसाइल
इज़रायली रक्षा बल (IDF) ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सैन्य ठिकानों पर हमला बोला, वहीं जवाबी कार्रवाई में ईरान ने भी ड्रोन स्ट्राइक के जरिए इजरायल को निशाना बनाने की कोशिश की. लेकिन इस प्रयास में मुस्लिम बहुल जॉर्डन इजरायल के लिए ढाल बनकर खड़ा हो जा रहा है. जॉर्डन का कहना है कि इजरायल पर हमले के लिए हम अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं होने देंगे.

ईरान और इज़रायल के बीच खुली जंग की शुरुआत हो चुकी है. जहां एक ओर इज़रायली रक्षा बल (IDF) ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम और सैन्य ठिकानों पर हमला बोला, वहीं जवाबी कार्रवाई में ईरान ने भी ड्रोन स्ट्राइक के जरिए इजरायल को निशाना बनाने की कोशिश की. लेकिन इस प्रयास में मुस्लिम बहुल जॉर्डन इजरायल के लिए ढाल बनकर खड़ा हो जा रहा है. जॉर्डन का कहना है कि इजरायल पर हमले के लिए हम अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल नहीं होने देंगे.
ईरान द्वारा इजरायल पर जवाबी कार्रवाई के लिए ड्रोन से ताबड़तोड़ हमले किए गए. लेकिन बीच में जॉर्डन ने सभी ड्रोनको अपने एयरस्पेस में ही इंटरसेप्ट कर रोक लिया, जिससे इजरायल पर यह हमला विफल हो गया. जॉर्डन सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह अपने एयर स्पेस का इस्तेमाल किसी भी देश द्वारा हमले के लिए नहीं होने देगी, चाहे वह कोई भी पक्ष क्यों न हो. जॉर्डन के इस कदम को मध्य पूर्व की बदलती रणनीतिक परिस्थितियों के रूप में देखा जा रहा है, जहां मुस्लिम देशों के बीच भी सामरिक प्राथमिकताओं में बदलाव नजर आ रहा है.
जॉर्डन ने बंद किया एयरस्पेस
ईरान और इज़रायल के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच जॉर्डन ने एहतियातन बड़ा कदम उठाते हुए अपने एयरस्पेस को पूरी तरह बंद कर दिया है. स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जॉर्डन सरकार ने पूरे देश में सायरन अलर्ट जारी कर दिया है और सुरक्षा एजेंसियों को उच्चतम सतर्कता पर रखा गया है. जॉर्डन द्वारा यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब सऊदी अरब, कतर और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे खाड़ी देशों ने सार्वजनिक तौर पर इज़रायल की सैन्य कार्रवाई की निंदा की है. क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों में आए इस बदलाव ने जॉर्डन को भी सावधानीपूर्वक अपनी सुरक्षा रणनीति अपनाने के लिए प्रेरित किया है.
क्या है जॉर्डन और ईरान के बीच पुराना टकराव?
दरअसल, जॉर्डन एक सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है, जहां की करीब 97% आबादी सुन्नी मुसलमानों की है. दूसरी ओर, ईरान में करीब 90% आबादी शिया समुदाय की है. यह मजहबी मतभेद 1979 की ईरानी इस्लामी क्रांति के बाद और गहरा गया. क्रांति के बाद ईरान ने अपने विचारों और राजनीतिक असर को पूरे इस्लामी जगत में फैलाने की कोशिश की, जिसे कई अरब सुन्नी देशों ने ख़तरे के तौर पर देखा, जिनमें जॉर्डन भी शामिल था. इसके बाद 1980 के दशक में जब ईरान और इराक के बीच युद्ध छिड़ा, तब जॉर्डन ने स्पष्ट रूप से इराक का साथ दिया, जिससे ईरान और जॉर्डन के संबंधों में स्थायी दरार आ गई. उसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते कभी सामान्य नहीं हो पाए. राजनीतिक समीकरणों के इतर जॉर्डन के इज़रायल के साथ आर्थिक संबंध भी गहरे हैं. जॉर्डन का एक बड़ा निर्यात व्यापार इज़रायली पोर्ट हाइफा के जरिए तुर्किए और यूरोप तक पहुंचता है. ऐसे में जॉर्डन के लिए इज़रायल के साथ स्थिर संबंध बनाए रखना आर्थिक दृष्टिकोण से भी अहम है.
दो मोर्चों पर लड़ाई में उलझा तेहरान
इज़रायल के सटीक हमलों के बाद ईरान ने इन हमलों का बदला लेने की कसम खाई है, लेकिन उसकी जवाबी कार्रवाई की राह आसान नहीं दिख रही. सबसे बड़ी चुनौती यह है कि ईरान सीधे इज़रायल तक नहीं पहुंच सकता, उसे इराक और जॉर्डन के एयरस्पेस का सहारा लेना ही होगा और यही उसकी सबसे बड़ी मुश्किल बन गई है. इजरायल पर ईरान के ड्रोन और मिसाइलों को जॉर्डन ने बीच में ही इंटरसेप्ट कर दिया, जिससे ईरान की रणनीति को बड़ा झटका लगा है. ऐसे में अगर जॉर्डन अपने रुख पर कायम रहता है, तो ईरान के लिए इज़रायल तक पहुंचना बेहद कठिन हो जाएगा. इसके अलावा अगर ईरान दूसरा रास्ता अपनाता है तो उसे इराक के एयरस्पेस का इस्तेमाल कर पड़ सकता है.
ईरान पर इज़रायली हमले के बाद तनाव चरम पर
बताते चलें कि इजरायल द्वारा ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर किए गए हमलों के बाद दोनों देशों के बीच प्रत्यक्ष युद्ध जैसे हालात बन गए हैं. इजरायली सेना ने इस कार्रवाई में ईरान के छह प्रमुख परमाणु वैज्ञानिकों और तीन वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को मार गिराने का दावा किया. इज़रायली अधिकारियों का मानना है कि यदि ईरान ने फिर हमला किया तो यह संघर्ष कम से कम दो सप्ताह तक खिंच सकता है. वहीं अमेरिका ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. अमेरिका ने चेताया है कि एक व्यापक युद्ध की स्थिति पूरे क्षेत्र को अस्थिर कर सकती है.