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1789 के बाद अमेरिका की विदेश नीति में सबसे बड़ा बदलाव, ट्रंप का 'सीक्रेट' प्लान लीक

अमेरिका डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है। लीक हुए दस्तावेजों के अनुसार, ट्रंप प्रशासन 1 अक्टूबर 2025 से स्टेट डिपार्टमेंट का बजट आधा करने, कई दूतावास बंद करने और ह्यूमन राइट्स, क्लाइमेट चेंज जैसे अहम विभागों को खत्म करने की योजना बना रहा है।

21 Apr, 2025
( Updated: 21 Apr, 2025
04:43 PM )
1789 के बाद अमेरिका की विदेश नीति में सबसे बड़ा बदलाव, ट्रंप का 'सीक्रेट' प्लान लीक
2025 का अक्टूबर महीना अमेरिका की विदेश नीति के इतिहास में एक ऐसा मोड़ बन सकता है, जिसकी कल्पना भी शायद किसी ने नहीं की थी. लीक हुए एक एक्सक्लूसिव दस्तावेज़ ने वैश्विक राजनीति की ज़मीन हिला दी है. इस दस्तावेज़ से खुलासा हुआ है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका की विदेश नीति में ऐसा "टोटल चेंज" लाने वाले हैं जो न केवल वॉशिंगटन की सोच को बल्कि पूरी दुनिया की कूटनीति को प्रभावित करेगा.

यह बदलाव कोई मामूली नीति परिवर्तन नहीं होगा. यह एक ऐसा सिस्टम शेकअप होगा, जिसमें अमेरिका अपने स्टेट डिपार्टमेंट (विदेश मंत्रालय) की जड़ों को दोबारा से परिभाषित करेगा. इस बार ट्रंप सिर्फ बयान नहीं दे रहे, बल्कि 16 पन्नों का एक ड्राफ्ट तैयार हो चुका है, जिस पर हस्ताक्षर की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है.

विदेश मंत्रालय में होगी 50% की कटौती

लीक हुए ड्राफ्ट के मुताबिक ट्रंप प्रशासन स्टेट डिपार्टमेंट का बजट 54.4 बिलियन डॉलर से घटाकर सीधे 28.4 बिलियन डॉलर तक लाने की योजना में है. इसका मतलब है लगभग 50 प्रतिशत की भारी कटौती. इस कटौती का असर केवल कागजों तक नहीं रहेगा. अफ्रीका और कनाडा जैसे देशों में काम कर रहे 30 से अधिक अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावास पूरी तरह बंद हो सकते हैं. इसके पीछे ट्रंप का सीधा तर्क है “हमने विदेशों में इतना पैसा फूंका कि अब अमेरिका को नुकसान हो रहा है. विदेश नीति अमेरिका की ताकत है, लेकिन उसकी बर्बादी नहीं.”

ट्रंप के निशाने पर क्या क्या?

अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट के तहत चलने वाले कई विभाग जो दुनिया भर में अमेरिका की नैतिक छवि का प्रतीक थे, जैसे क्लाइमेट चेंज, ह्यूमन राइट्स, डेमोक्रेसी प्रमोशन, रिफ्यूजी रिस्पॉन्स और जेंडर इक्विटी जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले विभाग अब खत्म किए जा सकते हैं.

इन डिपार्टमेंट्स के जरिए अमेरिका ने कई विकासशील देशों में शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण और लोकतंत्र के लिए फंडिंग की थी. अगर ट्रंप की योजना लागू होती है, तो यह पूरी व्यवस्था चरमरा जाएगी और एक मॉरल वैक्यूम (नैतिक खालीपन) पैदा होगा जिसका सीधा लाभ चीन और रूस जैसे देशों को मिल सकता है.

इस ड्राफ्ट में एक और चौंकाने वाला प्रस्ताव है फॉरेन सर्विस एग्जाम को पूरी तरह से खत्म कर देने का. इसके स्थान पर एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित प्रणाली लाने की योजना है, जो दस्तावेज़ों का विश्लेषण कर विदेश नीति बनाने में मदद करेगी. सोचिए, वह देश जो खुद को लोकतंत्र का नेता मानता है, वह अपनी डिप्लोमैटिक स्ट्रेंथ को इंसानों की जगह मशीनों पर सौंपने जा रहा है. यह कदम अमेरिका के हजारों डिप्लोमैट्स और विदेश सेवा से जुड़े प्रोफेशनल्स के लिए एक गहरा झटका होगा.

कनाडा और अफ्रीका के लिए नई आफत

कनाडा, अमेरिका का सबसे करीबी और सहयोगी पड़ोसी देश रहा है. दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और सुरक्षा को लेकर गहरी साझेदारी है. अगर ट्रंप अपने ड्राफ्ट पर अमल करते हैं और कनाडा के अमेरिकी दूतावासों को बंद कर देते हैं, तो यह संबंध अत्यंत अस्थिर हो सकते हैं. उसी तरह, अफ्रीका में जहां अमेरिका पिछले दो दशकों से हेल्थ मिशन, आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन और शिक्षा में बड़ा योगदान दे रहा था, वहां से अमेरिका के हटने से एक खाली जगह बन जाएगी, जिसे भरने को चीन पहले से तैयार बैठा है.

1 अक्टूबर 2025  यह तारीख फिलहाल इस योजना के लागू होने की बताई जा रही है. हालांकि, इसे लागू करने के लिए अमेरिकी कांग्रेस की मंजूरी जरूरी है, और कोर्ट में इसे चुनौती भी दी जा सकती है. लेकिन अगर यह योजना लागू हो जाती है, तो इसे 1789 के बाद से अमेरिका की विदेश नीति में सबसे बड़ा बदलाव कहा जा सकता है.

बदलते अमेरिका की आहट

आज जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, मानव अधिकारों, वैश्विक स्वास्थ्य संकट और युद्धों के बीच झूल रही है, तब अमेरिका जैसी ताकत अगर पीछे हटती है, तो दुनिया में एक 'ग्लोबल लीडरशिप वैक्यूम' पैदा होगा. कनाडा और अफ्रीका जैसे देश जो दशकों से अमेरिकी सहयोग पर निर्भर थे, उन्हें अब न केवल नई रणनीति बनानी होगी, बल्कि नई दोस्ती की तलाश भी शुरू करनी होगी.

यह कहानी सिर्फ ट्रंप या अमेरिका की नहीं है, यह हर उस देश की है जो अब तक अमेरिकी छतरी के नीचे खुद को सुरक्षित मानता था. ट्रंप की नई विदेश नीति अगर लागू होती है, तो यह केवल दूतावास बंद करने की बात नहीं होगी, यह दुनिया की पूरी कूटनीति को रीसेट करने वाला कदम साबित होगा.

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