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रॉबर्ट प्रीवोस्ट बने पोप लियो 14, जानिए कौन हैं रॉबर्ट प्रीवोस्ट जो बने करोड़ों ईसाइयों की आवाज़?

पोप फ्रांसिस के निधन के बाद, सिस्टीन चैपल में आयोजित पारंपरिक 'कान्क्लेव' में गुप्त मतदान द्वारा अमेरिकी कार्डिनल रॉबर्ट प्रीवोस्ट को पोप लियो 14 चुना गया. जैसे ही सफेद धुआं उठा और घंटियां बजीं, सेंट पीटर्स स्क्वायर में मौजूद हजारों श्रद्धालु खुशी से झूम उठे.

09 May, 2025
( Updated: 09 May, 2025
12:27 AM )
रॉबर्ट प्रीवोस्ट बने पोप लियो 14, जानिए कौन हैं रॉबर्ट प्रीवोस्ट जो बने करोड़ों ईसाइयों की आवाज़?
सिस्टीन चैपल की चिमनी से निकले सफेद धुएं ने जैसे ही हवा में उड़ान भरी, वैसे ही सेंट पीटर्स स्क्वायर में मौजूद हजारों श्रद्धालुओं के चेहरे खिल उठे. घंटियां बजीं, तालियों की गूंज उठी और नारे लगे "विवा इल पोपा!" यानी "पोप जिंदाबाद!" इसी के साथ ऐलान कार्डिनल रॉबर्ट प्रीवोस्ट अब बन गए हैं पोप लियो 14.

कौन हैं पोप लियो 14?

रॉबर्ट प्रीवोस्ट का जन्म अमेरिका के शिकागो शहर में हुआ. वे ऑर्डर ऑफ सेंट ऑगस्टिन के सदस्य रहे हैं और लंबे समय तक पेरू और अमेरिका में सेवा कर चुके हैं. वे सामाजिक न्याय, शिक्षा और चर्च के आधुनिकीकरण के समर्थक रहे हैं. उनकी वाणी में संतुलन और दृष्टिकोण में गंभीरता है. वेटिकन के अंदरूनी हलकों में वे हमेशा एक संयमी, विद्वान और दूरदर्शी नेता के रूप में देखे जाते रहे हैं.

आपको बता दें कि 21 अप्रैल 2025 को 12 वर्षों तक 140 करोड़ से अधिक रोमन कैथोलिक ईसाइयों का नेतृत्व करने वाले पोप फ्रांसिस का निधन हो गया था. पोप फ्रांसिस न केवल एक धार्मिक नेता थे, बल्कि विश्व शांति, जलवायु संकट और मानवता के मुद्दों पर उनकी राय को वैश्विक स्तर पर गंभीरता से सुना जाता था. उनके निधन ने न केवल वेटिकन बल्कि पूरी दुनिया को शोक में डुबो दिया. पोप की मृत्यु के बाद वेटिकन की प्राचीन परंपराओं के अनुसार 'सेदे वेकांते' घोषित किया गया. इसका अर्थ होता है "सिंहासन खाली है." इसके साथ ही पोप के चुनाव की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारियां भी शुरू हो गईं. कार्डिनलों की बैठकें और पूरी दुनिया की निगाहें सिस्टीन चैपल पर टिक गईं.

कैसे चुना जाता है नया पोप?

पोप के चुनाव की प्रक्रिया जितनी पवित्र है, उतनी ही रहस्यमयी भी. इसे ‘कान्क्लेव’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है 'कुंजी से बंद कमरा'. इस विशेष सभा में दुनिया भर के वरिष्ठ कार्डिनल शामिल होते हैं, जिनकी संख्या इस बार 133 थी. सभी कार्डिनल्स को बाहरी दुनिया से पूरी तरह काट दिया जाता है. न कोई फोन, न ईमेल और न ही किसी तरह की बाहरी बातचीत.

इस बार का कान्क्लेव बुधवार को शुरू हुआ. पहले दिन साढ़े चार घंटे की चर्चा और प्रार्थनाओं के बाद एक ही मतदान हुआ. परंतु चिमनी से उठे काले धुएं ने यह संकेत दिया कि सर्वसम्मति नहीं बन पाई है. भीड़ को मायूसी हाथ लगी, लेकिन वेटिकन के भीतर विचार-विमर्श का सिलसिला जारी रहा. इसके बाद गुरुवार की सुबह फिर से दो चरणों में मतदान हुए. लेकिन दोनों बार चिमनी से काला धुआं निकला. इसका अर्थ था अब भी कोई निर्णय नहीं हो सका है. स्क्वायर में मौजूद हजारों लोग शांत थे, लेकिन निगाहें आसमान की ओर थीं. हर कोई बस उस एक सफेद धुएं का इंतज़ार कर रहा था, जो उम्मीद और नेतृत्व की नई किरण बन कर निकले.

लेकिन दोपहर बाद, उस पल ने दस्तक दी, जिसकी प्रतीक्षा पूरी दुनिया कर रही थी. चिमनी से उठता सफेद धुआं और साथ ही सेंट पीटर्स बैसिलिका की घंटियों की गूंज ने सबकुछ स्पष्ट कर दिया. नया पोप चुन लिया गया है. थोड़ी देर बाद एक वरिष्ठ कार्डिनल बालकनी पर आए और पारंपरिक लैटिन भाषा में घोषणा की "हाबेमुस पापम!" यानी "हमें पोप मिल गया है."

फिर हुआ नाम का ऐलान कार्डिनल रॉबर्ट प्रीवोस्ट अब बन गए हैं पोप लियो 14. ये नाम उन्होंने ऐतिहासिक पोप लियो XIII की प्रेरणा से चुना, जो सामाजिक न्याय और श्रमिक अधिकारों के लिए जाने जाते हैं. पोप लियो 14 ने इस दौरान पहली बार जनता को संबोधित किया. उन्होंने हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया और कहा "मैं दुनिया के सबसे छोटे देश से, सबसे बड़ी जिम्मेदारी लेकर आपके सामने खड़ा हूं. चलिए साथ मिलकर दुनिया को एक बेहतर स्थान बनाएं."

कार्डिनल रॉबर्ट प्रीवोस्ट का पोप लियो 14 के रूप में चयन न केवल चर्च के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक नई उम्मीद है. वेटिकन की यह परंपरा, जिसमें आधुनिक युग में भी प्राचीन रीति से नया पोप चुना जाता है, दर्शाती है कि विश्वास की जड़ें कितनी गहरी हैं.  अब सबकी निगाहें पोप लियो 14 पर होंगी, क्या वे इस विश्वास पर खरे उतरेंगे, क्या वे चर्च को आधुनिक युग की चुनौतियों में नई दिशा दे पाएंगे?

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