पाकिस्तान के नेता ने पीएम मोदी से लगाई गुहार, कहा- मोदी जी प्लीज हमारे समुदाय को बचा लो
पाकिस्तान के नेता अल्ताफ हुसैन ने पीएम मोदी से मुजाहिरों को बचाने की गुहार लगाई है. एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि प्लीज मोदी जी हमारे समुदाय को बता दीजिए.

पाकिस्तान की सियासत में एक समय कराची के ‘बेताज बादशाह’ कहे जाने वाले मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के संस्थापक अल्ताफ हुसैन ने पीएम मोदी से मुजाहिरों को बचाने की गुहार लगाई है. लंदन में निर्वासित जीवन बिता रहे हुसैन ने पाकिस्तान में मुहाजिर समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को रोकने और उनकी रक्षा के लिए पीएम से हस्तक्षेप की मांग की है. अल्ताफ की ये अपील PAK में पंजाबियों को छोड़ अन्य समुदायों की स्थिति के बारे में बताती है.
अल्ताफ हुसैन ने मुजाहिरों को बचाने की लगाई गुहार!
लंदन में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अल्ताफ हुसैन ने पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि वह बंटवारे के बाद भारत से आकर पाकिस्तान में बसे उर्दू बोलने वाले शरणार्थियों यानी मुजाहिरों के उत्पीड़न का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय मचों पर उठाएं. उन्होंने अपने बयान में बलोच लोगों का समर्थन करने के लिए पीएम मोदी की प्रशंसा की और इसे साहसी और नैतिक रूप से सराहनीय कदम बताया.
पाकिस्तान में सरकार और सेना कर रही मुहाजिरों का उत्पीड़नمیں نے اپنے لائیوخطاب میں بھارتی وزیراعظم کو مخاطب کیوں کیا؟
— Altaf Hussain (@AltafHussain_90) May 27, 2025
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27،مئی 2025ء
میں نے گزشتہ روزمورخہ26،مئی 2025ء کوبھارتی وزیراعظم نریندر مودی کوکوئی خط نہیں لکھاتھا بلکہ اپنے لائیو خطاب میں نریندر مودی صاحب کو مخاطب کیاتھاجسے نریندرمودی صاحب کےنام میراخط… pic.twitter.com/yEx6YnByMx
उन्होंने पीएम मोदी से मुहाजिर समुदाय के लिए भी इसी तरह के समर्थन की आवाज उठाने का अनुरोध किया. अल्ताफ ने इस दौरान कहा कि मुहाजिरों के साथ दशकों से उत्पीड़न और उनके साथ भेदभाव किया जा रहा है, जो पूरी तरह से स्टेट स्पॉन्सर है. उन्होंने सेना और सरकार पर गैर पंजाबियों खासकर कराची और सिंध में रह रहे मुजाहिर समुदाय पर जुल्म का आरोप लगाया.
'पाकिस्तान में गैर पंजाबियों को नहीं माना जाता इनसान'
लंदन में रह रहे MQM के नेता ने दावा किया कि भारत के बंटवारे के बाद से पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों ने कभी भी मुहाजिरों को देश के वैध नागरिकों के तौर पर पूरी तरह से स्वीकार नहीं किया. एमक्यूएम लगातार इन हाशिए पर मौजूद समुदायों के अधिकारों की पैरवी करती रही है लेकिन सैन्य कार्रवाई में अब तक 25000 से ज्यादा मुहाजिरों की मौत हो गई है और हजारों को गायब कर दिया गया है.
कौन हैं MQM के नेता अल्ताफ हुसैन?
अल्ताफ हुसैन MQM के संस्थापक हैं, जिन्होंने 1970 के दशक में ऑल पाकिस्तान मुहाजिर स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन के जरिए अपनी सियासी पारी शुरू की थी. मुहाजिर, यानी भारत से पाकिस्तान में 1947 के बंटवारे के बाद प्रवास करने वाले मुस्लिम समुदाय, के हितों की वकालत करने वाले हुसैन ने कराची और सिंध प्रांत के शहरी इलाकों में MQM को एक ताकतवर राजनीतिक शक्ति बनाया. हालांकि, बाद के सालों में पाकिस्तानी सेना और सरकार के साथ टकराव के बाद उन्हें लंदन शिफ्ट होवा पड़ा, जहां से वो पार्टी का नेतृत्व करते रहे.
हुसैन का विवादों से गहरा नाता रहा है. 2016 में कराची में उनके एक टेलीफोनिक भाषण के बाद हिंसा भड़कने पर उन पर ब्रिटेन में आतंकवाद को बढ़ावा देने के आरोप लगे, हालांकि 2022 में लंदन की अदालत ने उन्हें बरी कर दिया. इसके अलावा, पाकिस्तान में हत्या, देशद्रोह और हिंसा भड़काने जैसे कई आरोपों में वे भगोड़ा घोषित हैं.
पाकिस्तान और MQM की स्थिति
MQM, जो कभी कराची की सियासत में दबदबा रखती थी, अब कमजोर पड़ चुकी है. 2016 की हिंसा के बाद पार्टी दो गुटों—MQM-लंदन (हुसैन के नेतृत्व में) और MQM-पाकिस्तान—में बंट गई. 2018 के चुनावों में MQM को केवल सात सीटें मिलीं, जो 2008 में 25 और 2013 में 18 सीटों की तुलना में ऐतिहासिक रूप से कम थी. हुसैन का कराची पर नियंत्रण खत्म हो चुका है, और उनकी पार्टी के मुख्यालय ‘नाइन जीरो’ को भी रेंजर्स ने बंद कर दिया. पाकिस्तानी सरकार और सेना ने हुसैन को हमेशा एक खतरे के रूप में देखा है. उनके भाषणों को हिंसा भड़काने वाला माना जाता है, और पाकिस्तान ने ब्रिटेन से बार-बार उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
अल्ताफ की मांग पर क्या करेगा भारत?
हुसैन की ताजा अपील ऐसे समय में आई है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. कुछ खबरों के अनुसार, पहलगाम में हुए एक आतंकी हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाया, जिससे पाकिस्तान में खलबली मच गई. हुसैन की अपील को इस संदर्भ में देखा जा रहा है, क्योंकि वे भारत को पाकिस्तान के खिलाफ एक सहयोगी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं.
हालांकि, भारत के लिए हुसैन को समर्थन देना आसान नहीं है. एक ओर, हुसैन का मुहाजिर एजेंडा भारत के लिए पाकिस्तान में अस्थिरता पैदा करने का एक औजार हो सकता है. दूसरी ओर, उनकी विवादास्पद छवि और आतंकवाद से जुड़े आरोप भारत को सतर्क करते हैं. 2019 में उनकी शरण की अपील पर भारत ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी, और इस बार भी सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.