ऑपरेशन सिंदूर पर गयाना के मुस्लिम राष्ट्रपति इरफान अली ने PAK-तुर्की को दिया करारा जवाब, यूपी से है ख़ास कनेक्शन
Pakistan और India में तनाव के बीच गयाना के मुस्लिम राष्ट्रपति इरफान अली ने डंके की चोट पर दिया भारत और पीएम मोदी की आतंकवाद विरोधी कार्रवाई का साथ, कहा- भारत के साथ हमारा खून का रिश्ता है. आखिर इरफान का यूपी के बस्ती से क्या कनेक्शन है. वो मुस्लिम देश पाकिस्तान का तुर्की की तरह क्यों नहीं साथ दे रहे हैं, विस्तार से समझिए.

पहलगाम में आतंकी वारदात को अंजाम देने वाले पाकिस्तान को भारत ने भी ऑपरेशन सिंदूर चलाकर उसे मुंहतोड़ जवाब दिया और मिसाइल पर मिसाइल दाग कर उसके कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. वहीं अब जंग के मैदान के बाद मोदी सरकार कूटनीति के मैदान में भी पाकिस्तान को करारी मात देने के लिए सात टीमें बना कर विदेश दौरे पर रवाना कर दी है, जिनमें एक टीम कांग्रेस सांसद थरुर की भी है जिसने सोमवार को गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली से मुलाकात की और इस मुलाकात के बाद राष्ट्रपति इरफान अली ने पाकिस्तान को करारा जवाब देते हुए अच्छी तरह से समझा दिया कि ये वो भारत है जिसके साथ हमारा खून का रिश्ता है.
आतंकवाद विरोधी कार्रवाई पर भारत को मिला गयाना का समर्थन
दरअसल कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में 8 सदस्यों की एक टीम गयाना, पनामा, ब्राजील, कोलंबिया और यूनाइटेड स्टेट्स के दौरे पर गई हैं. इस टीम में JMM सांसद सरफराज अहमद, TDP सांसद जीएम हरीश बालयोगी, BJP सांसद शशांक मणि त्रिपाठी, भुबनेश्वर कलिता, तेजस्वी सूर्या, शिवसेना सांसद मिलिंद देवड़ा और राजनयिक तरनजीत सिंह संधू शामिल हैं. इस टीम ने सोमवार को दक्षिण अमेरिकी देश गयाना का दौरा किया और वहां की सरकार को ऑपरेशन सिंदूर के बारे में जानकारी देने के साथ ही पाकिस्तान की आतंकनीति के बारे में भी बताया.
गयाना के उपराष्ट्रपति ने कर दिया भारत का समर्थन
जिसके बाद गयाना के उपराष्ट्रपति भारत जगदेव ने बयान दिया कि ‘यह एक शानदार यात्रा थी, मैंने प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया कि गयाना पूरी तरह से भारत के साथ खड़ा है, हम आतंकवाद के खिलाफ हैं और हमारा मानना है कि आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले सभी लोगों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए.’
गयाना के उपराष्ट्रपति के बयान से समझ सकते हैं कि भारत और गयाना के रिश्ते कितने मजबूत हैं. जो हर मोर्चे पर भारत के साथ खड़ा नजर आता है. जिसका एक और बड़ा सबूत उस वक्त देखने को मिला जब खुद राष्ट्रपति इरफान अली ने भी भारत से आई टीम से मुलाकात के बाद पाकिस्तान को दो टूक जवाब दे दिया कि भारत और गयाना के बीच असाधारण संबंध हैं, यह खून का रिश्ता है, आर्थिक, राजनीतिक दृष्टिकोण से भारत हमारा बहुत करीबी साझेदार रहा है, पिछले कुछ वर्षों में हमने भारत से बड़े पैमाने पर निवेश देखा है, हमें उम्मीद है कि और अधिक भारतीय निवेशक, भारतीय तकनीक, डिजिटल उत्पाद हमारे अपने विकास का हिस्सा होंगे.
गयाना के राष्ट्रपति इरफान अली ने नहीं दिया पाकिस्तान का साथ
गयाना के राष्ट्रपति इरफान अली ने बता दिया कि धर्म से भले ही वो मुस्लिम हों लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि तुर्की की तरह वो भी धर्म देख कर मुस्लिम देश पाकिस्तान का आंख मूंदकर साथ दें. वो भी उस वक्त जब पाकिस्तान पूरी दुनिया में आतंकवाद फैला रहा हो. गयाना जैसे छोटे देश के राष्ट्रपति होने के बावजूद इरफान अली ने धर्म से आगे बढ़ कर आतंकवाद का विरोध करना बेहतर समझा और पाकिस्तान को समझा दिया कि भारत के साथ हमारा खून का रिश्ता है... ये बयान भी उन्होंने यूं ही नहीं दिया है… जिस भारत में पाकिस्तान आतंकी वारदात को अंजाम दे रहा है… उस भारत से इरफान अली का भी गहरा रिश्ता जुड़ा हुआ है... उनका जन्म भले ही गयाना में हुआ हो लेकिन जड़ें भारत से जुड़ी हुई हैं.
भारत से जुड़ी हैं इरफान अली की जड़ें
राष्ट्रपति इरफान अली के माता पिता जहां इंडो गयाना परिवार से थे परदादा बुझावन और परदादी उजियारी UP के बस्ती के रहने वाले थे. 1894 में अंग्रेजों ने गिरमिटिया मजदूर के तौर पर गयाना भेज दिया था. आर्थिक तंगी की वजह से फिर कभी उनका परिवार भारत नहीं लौट सका, वहीं का बन कर रह गया. भारत से गयाना गए इसी परिवार से है इरफान अली का खून का रिश्ता.
भारत से जड़ें जुड़ी होने की वजह से ही राष्ट्रपति इरफान अली का भारत के साथ गहरा रिश्ता है. यही वजह है कि इस रिश्ते को उन्होंने खून का रिश्ता बताया और मुश्किल वक्त में भी भारत का साथ देते हुए गयाना ने पाकिस्तान को अच्छी तरह से समझा दिया कि हम आतंकवाद के खिलाफ हैं और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने वाले सभी लोगों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए.