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इलाज नहीं जान से खिलवाड़! अंधेरे में डूबा बिहार का ये ‘मॉडल’ हॉस्पिटल, मोबाइल की रोशनी में मरीजों का ट्रीटमेंट

मॉडल अस्पताल गोपालगंज की आलीशान बिल्डिंग जो करोड़ों की लागत से बनी है. दावे तो किए गए थे कि यहां मरीजों के इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं हैं. लेकिन तस्वीर इन सभी दावों की हकीकत बंया करने वाली आई है.

04 Dec, 2025
( Updated: 05 Dec, 2025
03:20 PM )
इलाज नहीं जान से खिलवाड़! अंधेरे में डूबा बिहार का ये ‘मॉडल’ हॉस्पिटल, मोबाइल की रोशनी में मरीजों का ट्रीटमेंट

बिहार (Bihar) में चुनाव हो गए, नई सरकार के नए मंत्रियों और विधायकों ने टूटे-फूटे शब्दों के साथ शपथ भी ले ली, लेकिन कुछ तस्वीरें हैं कि बदलने का नाम ही नहीं ले रहीं. अब ताजा मामला गोपालगंज का है. जहां सदर अस्पताल में मोबाइल की रोशनी में मरीजों का इलाज हुआ. यहां कई घंटों तक बिजली गुल रही और सारी व्यवस्थाएं ठप हो गईं. 

मॉडल अस्पताल गोपालगंज की आलीशान बिल्डिंग जो करोड़ों की लागत से बनी है. दावे तो किए गए थे कि यहां मरीजों के इलाज की अत्याधुनिक सुविधाएं हैं. लेकिन तस्वीर इन सभी दावों की हकीकत बंया करने वाली आई है. यहां डॉक्टर बिना लाइट मोबाइल की रोशनी से मरीजों का इलाज करते दिखे. 

मॉडल हॉस्पिटल गोपालगंज

4 घंटेे अंधेरे मेें परेशान मरीज

बताया जा रहा है यहां 3 दिसंबर की दोपहर करीब 1 बजे हॉस्पिटल में अचानक बत्ती गुल हो गई थी. जनरेटर तो था लेकिन बिजली की व्यवस्था तब भी न हो सकी. नतीजतन मॉडल हॉस्पिटल करीब 3 से 4 घंटे तक अंधेरे में डूबा रहा. इस दौरान ओपीडी समेत बाकी काम ठप पड़ गए. बिना लाइट मरीज परेशान हो गए. इलाज बीच में ही रुक गया. ऐसे में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी टॉर्च चलाकर इलाज करने लगे. 

बिजली गुल, मची अफरा-तफरी

स्वास्थ्य महकमे का दावा है कि गोपालगंज के इस मॉडल हॉस्पिटल में OPD से लेकर ऑपरेशन थिएटर तक मॉर्डन सुविधाएं हैं. महिला वार्ड में भी एक्सरे-अल्ट्रासाउंड तक हर चीज की व्यवस्था है लेकिन फिर भी यहां लाइट जाने पर जनरेटर तक काम नहीं करता. अस्पताल की बत्ती गुल हुई तो मरीजों से लेकर तीमारदारों तक में अफरा-तफरी मच गई. परिजनों को इलाज की चिंता सताने लगी, लेकिन सिस्टम मानों चद्दर तानकर सो गया हो. मरीज हलकान हों तो हों लाइट तो अपने हिसाब से ही आएगी. अंधेरे में ही मरीजों का इलाज किया गया. जो प्रशासन की असंवेदनशील तस्वीर को उजागर करता है. यहां तक कि ऑपरेशन थियेटर जैसी संवेदनशील जगहों पर भी अंधेर छा गया. यहां भी मोबाइल की रोशनी में देख-रेख की गई.

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सरकार ने हॉस्पिटल में तमाम सुविधाओं का ठेका नामी एजेंसियों को दिया बावजूद इसके हालात जस के तस रहे. प्रशासन का ये रवैया बताता है मॉडल हॉस्पिटल में मरीज भगवान भरोसे हैं. यहां इलाज नहीं मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है. 

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