मध्य प्रदेश में दो और कफ सिरप हो गए बैन, जांच में पाए गए खतरनाक केमिकल
मध्यप्रदेश में बिक रहे दो कफ सिरपों में डायएथिलीन ग्लाइकॉल की मात्रा निर्धारित सीमा से कहीं अधिक है जिससे ये स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल रहा है. सरकार ने इसे देखते हुए ‘Relife Syrup’ और ‘Respifresh TR Syrup’ को बैन कर दिया है.
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मध्यप्रदेश में बिक रहे दो कफ सिरपों की जांच रिपोर्ट ने बड़ा खुलासा किया है. राज्य के औषधि नियंत्रण विभाग (Drug Control Department) की जांच में पाया गया कि गुजरात में निर्मित ‘Relife Syrup’ और ‘Respifresh TR Syrup’ में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (Diethylene Glycol) की मात्रा निर्धारित सीमा से कहीं अधिक है. यह रासायनिक तत्व इंसानों के लिए अत्यंत विषैला और जानलेवा साबित हो सकता है. रिपोर्ट सामने आने के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने दोनों सिरपों की बिक्री और वितरण पर तत्काल रोक लगा दी है.
जांच में चौंकाने वाला खुलासा
राज्य औषधि प्रयोगशाला (State Drug Laboratory) में जांच के दौरान इन दोनों सिरपों में डायएथिलीन ग्लाइकॉल का स्तर निर्धारित मानक से काफी अधिक पाया गया यह रसायन किडनी, लिवर और नर्वस सिस्टम को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है और कई मामलों में मृत्यु का कारण भी बन सकता है.
गुजरात में होता है दोनों सिरप का प्रोडक्शन
मध्यप्रदेश में मिलने वाली रिपोर्ट के बाद दोनों सिरप, जो गुजरात की फार्मा कंपनियों द्वारा निर्मित किए गए थे, विवाद में आ गए हैं. राज्य सरकार ने गुजरात सरकार को पत्र लिखकर संबंधित निर्माण इकाइयों की जांच की मांग की है. अधिकारियों के अनुसार, इन सिरपों के कुछ बैच राज्य के विभिन्न जिलों में पहले ही उपलब्ध थे, जिन्हें तुरंत बाजार से जब्त करने के आदेश दिए गए हैं. अधिकारियों के अनुसार, इन सिरपों के कुछ बैच मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों में उपलब्ध थे, जिन्हें अब तत्काल बाजार से जब्त करने के निर्देश दिए गए हैं.
मध्यप्रदेश में बिक्री और वितरण पर लगी रोक
राज्य औषधि नियंत्रक (State Drug Controller) ने आदेश जारी कर इन दोनों ब्रांड्स की बिक्री, वितरण और उपयोग पर पूरी पाबंदी लगा दी है स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि दवा दुकानों और अस्पतालों में इन सिरपों की जांच करें, और यदि कहीं स्टॉक मिले तो उसे तुरंत जब्त (Seize) किया जाए
क्या है डायएथिलीन ग्लाइकॉल?
यह औद्योगिक सॉल्वेंट (chemical solvent) है, जिसका कभी-कभी सस्ते दवा निर्माण में गलती या लापरवाही से इस्तेमाल हो जाता है इसके अधिक सेवन से किडनी फेलियर, न्यूरोलॉजिकल डैमेज और सांस लेने में कठिनाई जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं
सरकार ने अपनाया सख्त रुख
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राज्य स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि दोषी कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी इसके अलावा, मामले की जानकारी केंद्र सरकार के ड्रग्स कंट्रोलर जनरल (DCGI) को भी भेज दी गई है, ताकि अन्य राज्यों में भी जांच सुनिश्चित की जा सके
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