हाथ में तिरंगा, चाल में आत्मविश्वास... सिक्योरिटी को पीछे छोड़ चिनाब ब्रिज पर अकेले चल दिए PM मोदी, PAK को सख्त संदेश
बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर, हाथ में तिरंगा, दिल में हिंदुस्तान, SPG जवानों को पीछे छोड़ जब चिनाब ब्रिज पर अकेले चले पीएम मोदी, पाकिस्तान और चीन को दे दिया सख्त संदेश.

359 मीटर की ऊंचाई, हाथों में तिरंगा, चाल में गजब का आत्मविश्वास, सिक्योरिटी को पीछे छोड़ चिनाब ब्रिज पर अकेले चल दिए मोदी…पाकिस्तान को दे दिया सख्त संदेश…कुछ इसी भाव और भंगिमा के साथ जब प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के सबसे ऊंचे ‘चिनाब रेल ब्रिज’ का उद्घाटन किया तो देश का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. चिनाब सिर्फ एक कनेक्टिविटी ब्रिज नहीं बल्कि साम्यवादी और विस्तारवादी चीन के मुंह पर एक तमाचा है, पाकिस्तान के सीने पर एक चोट है. आजाद भारत के लिए ये एक ऐसा पल है जिसे सहेज कर रखने की जरूरत है. वो भारत जिसने पराधीनता के बाद अपनी शुरुआत गरीबी और आभाव में की वो आज दुनिया की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था है और जल्द तीसरी बन जाएगा. वो भारत जिसे विकास के लिए, योजनाओं के लिए पश्चिम से वैलिडेशन और पैसे की जरूरत पड़ती थी, वो आज ऐतिहासिक एफिल टावर से ऊंचा रेल ब्रिज बना रहा है. कश्मीर से कन्याकुमारी तक विकास की बयार बहाने वाले मोदी जब अकेले हाथ में तिरंगा लेकर आगे बढ़े, उनके साये के साथ रहने वाले SPG के जवान भी पीछे रह गए, करीब 75 साल के मोदी की ये चाल बताने कि लिए काफी है कि भारत की चाल क्या है और आने वाले वर्षों में वो कहां जाएगा. अंग्रेजों का वो सपना जिसमें झेलम तक रेल चलाने का ख्वाब था उसे मोदी ने पूरा कर दिया है. कांग्रेस की पूरी पीढ़ी खत्म हो गई, ये नहीं कर पाई.
जिस अमृत भारत योजना के जरिए देश के रेलवे स्टेशनों के कायाकल्प और हर हिस्से तक रेल सेवा पहुंचाने का सपना मोदी ने देखा था, उसकी एक उत्कृष्ट कड़ी है चिनाब ब्रिज का उद्घाटन. आज देश का हर हिस्सा रेल नेटवर्क से जुड़ गया. आज कश्मीर, कन्याकुमारी से रेल लाइन के जरिए मिल गया. इसलिए मोदी का शान से तिरंगा लहराना काफी ऐतिहासिक है. ये देख पाक अंदर तक हिल गया है. भारत की इजीनियरिंग की ताकत देख चीन भी जल-भुन गया है. जिस पाक-चीन के आतंकी गठजोड़ को भारत का विकास और कश्मीर में शांति पसंद नहीं थी, जिसने पहलगाम के जरिए विकास की धारा बाधित करने की कोशिश की और संदेश दिया कुछ ठीक नहीं है, उसके सीने पर मोदी ने सवारी की है, तिरंगे के साथ मोदी की चहलकदमी ही असली बुलंद भारत की तस्वीर है.
ये आज का हिन्दुस्तान है. जो विकास, शांति, प्रगति और गरीबी उन्मूलन को प्राथमिकता देता है, साथ ही घर में घुसकर दुश्मन को मारता है. ये वही आज का हिन्दुस्तान, जो अपनी इंजीनियरिंग से दुनिया को हैरान कर देता है. इसके तीन-तीन प्रमाण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिखा दिया. पहला चिनाब ब्रिज, दूसरा अंजी ब्रिज
तीसरा USBRL पर चलने वाली वंदे भारत. तीनों महज तस्वीर और आम इवेंट नहीं है, ये भारत की प्रगति का संकल्प है.
6 जून की तारीख जम्मू-कश्मीर के इतिहास की सबसे बड़ी तारीख है. चिनाब ब्रिज और अंजी ब्रिज का लोकार्पण उस सपने के पूरा होने के जैसा है जो 60 के दशक में जम्मू कश्मीर ने देखा था. उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लाइन का ये सबसे अहम हिस्सा है.
चिनाब पुल अटल है, प्रबल है, अडिग है. ये है भारत का बाहुबली पुल, कश्मीर की खूबसूरत वादियों में बर्फीले इलाके में किसी चट्टान की तरह है ये बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर. ये है दुनिया में आधुनिक हिन्दुस्तान का नजीर. जहां से नजर आती है हिमालय ऊंची ऊंची चोटियां. ये वादियां करीब 4 महीनें बर्फ से ढकी रहती हैं. लेकिन आज उन्हीं वादियों के बीच विज्ञान और रोमांच का अद्भुत कुंभ तैयार हो चुका है. ये है दुनिया का सबसे ऊंचा और सबस दुर्गम इलाके में तैयार किया गया चिनाब ब्रिज.
समुद्र तल से करीब 1200 फीट की ऊंचाई पर स्थित चिनाब ब्रिज के नीचे चिनाब नदी का पानी बहता है. बर्फीली पहाड़ियां, उफनता चिनाब का पानी और तेज हवा को बांधकर दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज बनाना ठीक उसी तरह है जैसे लंका फतह के लिए समुद्र देवता को मनवाना पड़ा.
सच में नीचे बहती चिनाब नदी के ऊपर आसमान में सीना तानकर खड़ा ये पुल बताता है कि टेक्नोलॉजी की दुनिया में भारत अब सुपर पावर बनने के रास्ते पर चल पड़ा है. इसी नदी के नाम पर इस ब्रिज का नाम रखा गया है. ये पुल जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में बनाया गया है.
किसकी कितनी ऊंचाई?
चिनाब ब्रिज ने भारत का मस्तक ऊंचा कर दिया है. इसकी ऊंचाई दुनिया के बड़े से बड़े ऐतिहासिक धरोहरों से ज्यादा है.
ये ब्रिज एफिल टावर से भी ऊंचा है, चिनाब ब्रिज – 359 मीटर, एफिल टावर 324 मीटर
कुतुब मीनार भी इसके सामने बौना नजर आता है. कुतुब मीनार – 72 मीटर, चिनाब ब्रिज–359 मीटर
स्टैच्यु ऑफ लिबर्टी भी इसके कद आगे फीकी है. चिनाब ब्रिज – 359 मीटर, स्टैच्यु ऑफ लिबर्टी– 315 मीटर.
अमेरिका के अर्कांसस नदी पर तैयार रॉयल गॉर्ज ब्रिज भी इसके सामने फीका है. रॉयल गॉर्ज ब्रिज–291, चिनाब ब्रिज– 359 मीटर.
चिनाब रेल ब्रिज कश्मीर की खूबसूरत वादियों में बना दुनिया का अजूबा है. दुनिया में इंजीनियरिंग की एक से एक मिसाल है. उन्हीं में अपनी जगह बना चुका है ये ब्रिज रेल ब्रिज. जो दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज है. इस ब्रिज को बनाने में करीब 30 हजार टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है. इसलिए तो कहा जा रहा है कि ये ब्रिज लोहालाट है. इसमें इस्तेमाल हुए करीब 30 हजार टन स्टील इसे चट्टान जैसी मजबूती देते हैं. तभी तो टारनेडो और हुदहुद जैसे भीषण चक्रवात भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते हैं. ये पुल करीब 250 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली तेज हवाओं को सहने की काबिलियत रखता है.
पाकिस्तान के आतंकी भी इसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते
इस पुल की कुल लंबाई 1315 मीटर यानी करीब सवा किलोमीटर की होगी.
इस ब्रिज पर सौ किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रेन दौड़ सकती है.
चिनाब ब्रिज को ऐसे तैयार किया गया है कि सवा सौ साल तक इसमें कुछ नहीं हो सकता.
करीब 30 किलो RDX का भी इसपर कोई असर नहीं होगा (यानी इसमें भीषण आतंकी हमले को भी झेलने की ताकत है.
इस पुल के लिए कुल 17 स्पैन तैयार किए गए हैं और इसमें 60 हजार से ज्यादा नट बोल्ट लगाए गए हैं.
चिनाब रेल ब्रिज की सबसे आकर्षक चीज है इसका आर्च, जिसे केबल क्रेन्स की मदद से करीब 3 सालों में तैयार किया गया. ये पुल-20 डिग्री सेल्सियस जैसे गंभीर चुनौती वाले मौसम को भी झेल सकता है और करीब पौने तीन सौ किलोमीटर की रफ्तार से बहने वाली हवाओं को भी काउंटर कर सकता है. इस पुल को खासतौर पर हाई स्पीड ट्रेनों के लिए ही डिजायन किया गया है. कटरा को कश्मीर से जोड़ने वाला ये ब्रिज बाद में कश्मीर को कन्याकुमारी से भी जोड़ने में मददगार साबित होगा.
ये पुल कश्मीर के लिए पर्यटन का नया केन्द्र बनने जा रहा है. भारतीय रेलवे ने इसकी भी पूरी तैयारी कर ली है. इसी वजह से चिनाब ब्रिज को नजदीक से देखने के लिए अलग से व्यू प्वाइंट भी तैयार किया गया है. इस ब्रिज पर रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ काफी जगहें छोड़ी गईं हैं. इसके ठीक बगल में एक हेलीपैड भी तैयार किया गया है. पुल पर बने सिंगल लाइन के रेल ट्रैक से जब बादलों और बर्फबारी के बीच ट्रेनें गुजरेगी, तो चिनाब ब्रिज समूची दुनिया में भारत को अलग पहचान दिलाएगा.
चिनाब ब्रिज जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में हैं. लेकिन इसके अलावा ये पुल कश्मीर के कौरी और बक्कल गांवों को भी जोड़ेगा. इसी पुल के जरिए कश्मीर सीधे कन्याकुमारी से जुड़ सकेगा. जो भविष्य में सबसे बड़ा रेल लिंक साबित हो सकता है.
कश्मीर के आ गए अच्छे दिन!
इसका मतलब कश्मीर के अच्छे दिन आ गए. अब वो दिन दूर हो गए जब वह पूरे देश से कटा रहता था. कश्मीर 12 महीने रेल रास्ते से हिंदुस्तान के हर कोने से जुड़ा रहेगा. इस ब्रिज को कश्मीर के सबसे दुर्गम इलाके में बनाया गया है. अगर आप ऐसा सोचते हैं कि कोई आतंकी बड़ी आसानी से इसे निशाना बना लेग और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा तो आप गलत हैं. दरअसल इस पुल पर सीसीटीवी और करीब 120 सेंसर लगे हैं. यहां 24 घंटे रेलवे पुलिस की निगरानी होगी. इसके अलावा भारत की अलग अलग सुरक्षा एजेंसियों को इसकी हिफाजत की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
पाकिस्तान के क्यों उड़े होश?
खैर हिन्दुस्तान के इस ब्रिज के तैयार होने से कश्मीर और जम्मू के बीच बिजनेस करने वाले लोगों और सेना को सबसे ज्यादा खुशी मिली है. अब चंद घंटे में ही भारतीय सेना पाकिस्तान की सीमा पर पहुंच सकती है. भारत के दूसरे हिस्से से बड़े बड़े बिजनेसमैन कश्मीर आकर अपना कारोबार कर सकते हैं. आने वाले भविष्य में इससे कश्मीर का कायाकल्प हो सकता है. रोजगार की असीम संभावनाएं बन सकती हैं.
कुल मिलाकर कहा जा सकता है ये सिर्फ ब्रिज नहीं है, बल्कि बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर है. पीएम मोदी का तिरंगा लहराना महज भाव भंगिमा का प्रकटीकरण नहीं है बल्कि उस आतंकी पाकिस्तान के लिए संदेश है कि उसकी इन कायराना हरकतों से भारत डरने, घबराने वाला नहीं है.