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मुख्तार अब्बास नकवी का प्रियंका के भाषण पर तंज, कहा- स्पीच का परिणाम ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ जैसा

नकवी ने कहा कि प्रियंका गांधी अगर संविधान की बात कर रही हैं, तो उन्हें अपनी पार्टी के इतिहास में झांककर देखना चाहिए। उन्हें मुरादाबाद, मालेगांव, मुजफ्फरनगर और 1984 के सिख नरसंहार जैसी घटनाओं को याद करना चाहिए। जब संविधान का उल्लंघन हुआ, तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस होनी चाहिए। प्रियंका गांधी की स्पीच या तो नोबेल पुरस्कार लेने की तरह थी या फिर बाउंसर जैसा कुछ था।

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13 Dec 2024
( Updated: 08 Dec 2025
11:51 AM )
मुख्तार अब्बास नकवी का प्रियंका के भाषण पर तंज, कहा- स्पीच का परिणाम ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ जैसा
केरल के वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने शुक्रवार को लोकसभा में अपना पहला भाषण दिया। इस दौरान वह केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर नजर आईं। प्रियंका गांधी के संबोधन के बाद सियाासी बयानबाजियां जारी है। भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने प्रियंका गांधी के भाषण पर तंज कसा। उन्होंने कहा, "स्पीच या तो नोबेल पुरस्कार लेने की तरह थी या फिर बाउंसर जैसा कुछ था।" 

प्रियंका गांधी की स्पीच का परिणाम ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ जैसा - मुख्तार अब्बास नकवी


भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने आईएएनएस से बात करते हुए प्रियंका गांधी द्वारा संविधान में बदलाव की संभावना जताने पर कांग्रेस को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि, "बहुत शोर मचाया गया था कि प्रियंका गांधी की स्पीच आने वाली है, लेकिन इसका परिणाम ‘खोदा पहाड़, निकली चुहिया’ जैसा हुआ। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि वही पार्टी और नेता संविधान को बेदर्दी और बेशर्मी से बार-बार संशोधित करते रहे हैं।" उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने 106 बार संविधान में बदलाव किया है और इन बदलावों के दौरान कभी न कभी संविधान की मूल भावना पर भी हमले किए गए हैं।

नकवी ने कहा कि प्रियंका गांधी अगर संविधान की बात कर रही हैं, तो उन्हें अपनी पार्टी के इतिहास में झांककर देखना चाहिए। उन्हें मुरादाबाद, मालेगांव, मुजफ्फरनगर और 1984 के सिख नरसंहार जैसी घटनाओं को याद करना चाहिए। जब संविधान का उल्लंघन हुआ, तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस होनी चाहिए। प्रियंका गांधी की स्पीच या तो नोबेल पुरस्कार लेने की तरह थी या फिर बाउंसर जैसा कुछ था।

प्रियंका गांधी के "बैलेट पेपर से चुनाव कराने" वाले बयान पर नकवी ने कहा कि, "आपकी पार्टी को कई बार बैलेट से भी हार का सामना करना पड़ा है। 1977 में लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का पूरी तरह से सफाया हो गया था और फिर भी आपको यह गलतफहमी नहीं पालनी चाहिए कि अगर चुनाव बैलेट पर होते तो आप जीत जाते। यह सियासी स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।"

उन्होंने कांग्रेस पार्टी को चेतावनी देते हुए कहा कि राजनीतिक गलतफहमी और ऐतिहासिक तथ्यों से मुंह मोड़ने की बजाय कांग्रेस को अपने अतीत की गलतियों को समझने की आवश्यकता है।

Input: IANS

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