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UNHRC में गरजे जयशंकर, कहा- आतंकवाद को सामान्य बनाने की कोशिश होगी नाकाम

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 58वें सत्र में आतंकवाद को लेकर भारत की ज़ीरो टॉलरेंस नीति को दोहराया। उन्होंने साफ कहा कि भारत आतंकवाद को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा और इसे सामान्य बनाने की किसी भी कोशिश का कड़ा विरोध करेगा।

25 Feb, 2025
( Updated: 26 Feb, 2025
09:23 AM )
UNHRC में गरजे जयशंकर, कहा- आतंकवाद को सामान्य बनाने की कोशिश होगी नाकाम
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के 58वें सत्र में कड़े शब्दों में आतंकवाद के खिलाफ भारत का रुख स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को कभी भी बर्दाश्त नहीं करेगा और इसे सामान्य बनाने की किसी भी कोशिश का पुरजोर विरोध करेगा।
जयशंकर ने अपने भाषण में न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की सख्त नीति को दोहराया, बल्कि वैश्विक शांति, मानवाधिकारों की रक्षा, और बहुपक्षीय प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उनके इस बयान को दुनिया के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है, खासकर उन देशों के लिए जो आतंकवाद को बढ़ावा देने और पनाह देने का काम करते हैं।
जयशंकर का कड़ा संदेश
डॉ. एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि भारत मानवाधिकारों की रक्षा और आतंकवाद के खात्मे के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि भारत केवल वसुधैव कुटुंबकम (दुनिया एक परिवार है) की बात ही नहीं करता, बल्कि इसे वास्तविकता में जीता भी है। लेकिन आतंकवाद जैसी बर्बर गतिविधियों को सहन नहीं किया जा सकता।जयशंकर ने यह भी कहा कि भारत, आतंकवाद को सामान्य करने की किसी भी कोशिश का विरोध करता रहेगा। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आतंकवाद किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता और वैश्विक शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
जयशंकर का यह बयान ऐसे समय में आया है जब पाकिस्तान और चीन पर आतंकवाद को पनाह देने के आरोप लगते रहे हैं। भारत कई बार पाकिस्तान को सीमा पार आतंकवाद के लिए बेनकाब कर चुका है और वैश्विक मंचों पर इसकी आलोचना करता आया है। वहीं, चीन अक्सर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में आतंकियों को वैश्विक प्रतिबंधों से बचाने के लिए वीटो पावर का इस्तेमाल करता रहा है।
दुनिया को चाहिए एक नई बहुपक्षीय प्रणाली
जयशंकर ने अपने भाषण में कहा कि दुनिया को अब एक नई बहुपक्षीय प्रणाली (Multilateral System) की जरूरत है, जो समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाए और आधुनिक चुनौतियों से निपटने में सक्षम हो। उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक संरचनाएं जैसे संयुक्त राष्ट्र, कई बार विफल साबित हुई हैं। जब दुनिया को इनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तब ये संस्थाएं अपनी भूमिका निभाने में असमर्थ रहीं।भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में स्थायी सदस्यता की मांग कर रहा है। जयशंकर के इस बयान को संयुक्त राष्ट्र में सुधारों की दिशा में भारत के मजबूत इरादों के रूप में देखा जा रहा है।
मानवाधिकारों की रक्षा में भारत की भूमिका
जयशंकर ने भारत को मानवाधिकारों की रक्षा का मजबूत समर्थक बताया। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाई है।भारत की विकास साझेदारी (Development Partnership) दुनियाभर में जरूरतमंद देशों की मदद करती है, जिससे मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे को मजबूती मिलती है।
उन्होंने यह भी बताया कि भारत आर्थिक विकास, सुरक्षा, और समानता सुनिश्चित करने के लिए अपने सहयोगी देशों के साथ मिलकर काम करता रहेगा।
जयशंकर ने वैश्विक स्थिति पर चर्चा करते हुए कहा कि आज की दुनिया संघर्षों से जूझ रही है और कई जगहों पर अस्थिरता बढ़ रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर इन चुनौतियों का समाधान निकालने के लिए पूरी तरह तैयार है।
भारत की बढ़ती भूमिका
G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने कई वैश्विक मुद्दों पर नेतृत्व किया।
भारत, क्वाड (QUAD), ब्रिक्स (BRICS) और अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
भारत, संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UN Peacekeeping Forces) में सबसे बड़ा योगदानकर्ता रहा है।
आतंकवाद के खिलाफ भारत का अगला कदम?
1. वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख
भारत, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में आतंकवाद के खिलाफ सख्त कानूनों की वकालत करेगा।
2. आतंकवाद समर्थक देशों पर दबाव
भारत, आतंकवाद को शह देने वाले देशों के खिलाफ सख्त आर्थिक और कूटनीतिक कदम उठाने की नीति जारी रखेगा।
3. सुरक्षा को और मजबूत करेगा भारत
जयशंकर के इस बयान से यह साफ है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी सुरक्षा नीति को और मजबूत करेगा और अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर के इस बयान को भारत की आतंकवाद के खिलाफ मजबूत नीति और वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ते कदम के रूप में देखा जा रहा है।
उनके कड़े शब्दों में कहा गया संदेश न केवल आतंकवाद को पनाह देने वाले देशों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि भारत अब वैश्विक सुरक्षा और मानवाधिकारों की रक्षा में एक अग्रणी भूमिका निभाने के लिए पूरी तरह तैयार है।
क्या यह बयान आतंकवाद समर्थक देशों पर असर डालेगा? क्या भारत वैश्विक सुरक्षा में एक निर्णायक भूमिका निभाएगा? आने वाले दिनों में यह साफ हो जाएगा।

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