भारतीय सेना ने ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार अपनाई 'Red Teaming' रणनीति, आखिर क्या है ये 'विदुर वक्ता नीति' जिसके आगे पस्त हो गया पाकिस्तान
भारत ने हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर में पहली बार 'रेड टीमिंग' की रणनीति अपनाई, जिसमें एक विशेष टीम दुश्मन की सोच अपनाकर ऑपरेशन की योजना की जांच करती है. इसे भारतीय सेना ने विदुर वक्ता का भी नाम दिया है. इसका मकसद यह होता है कि अगर हम कोई कदम उठाएं, तो दुश्मन कैसे जवाब देगा, इससे तैयारी और भी मजबूत होती है.

भारतीय सेना ने 6-7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हवाई हमले किए, जो भारत की सैन्य क्षमता और रणनीतिक कार्रवाई का एक ऐतिहासिक प्रदर्शन था. भारत ने इस ऑपरेशन के लिए करीब 15 दिन का समय लिया, आम नागरिकों के लिए न्याय का वेट किया लेकिन जब उसने कोई एक्शन नहीं लिया और अपनी आतंकी गतिविधि को जारी रखा, फिर उसे सबक सिखा भी दिया गया.
पीएम मोदी ने इस दौरान कई बैठकें की, अपनी तैयारियों को परखा, कमजोरियों को पहचाना, दुश्मन के दिमाग को पढ़ने और उसके कायर इतिहास को याद रखते हुए कई रणनीतियां बनाईं. दूसरी तरफ सरकार ने इस दौरान एक ऐसी नीति अपनाई जिसकी मिसाल आजाद भारत के इतिहास में अब तक नहीं मिलती है. चाणक्य, चंद्रगुप्त मौर्य, विदुर और सम्राट अशोक जैसे विद्वानों-योद्धाओं के इस देश में अगर रणनीति बेअसर रहे तो इस से बुरी बात क्या होगी?
पाकिस्तान दुनिया का सबसे मूर्ख और अनपढ़ देश था, ये बात उसने ऑपरेशन सिंदूर के वक्त भी साबित कर दिया, चाहे 4 जंगों में हार हो या फिर कारगिल में हुई फजीहत, पाक ने साबित कर दिया कि उसका जहालत में कोई मुकाबला नहीं है. कारगिल के वक्त भी मुशरर्फ ने भारत पर हमला करने वक्त ये सोचा कि ये लक्ष्य हासिल कर लेंगे लेकिन उसने भारत की जवाबी कार्रवाई, उसके प्रभाव, शक्ति और क्षमताओं का अनुमान नहीं लगाया. भारत ने जब बफोर्स से मारना शुरू किया तो पाक को मैदान छोड़कर भागना पड़ा. मुशरर्फ ने बाद में स्वीकार किया था कि भारत की कार्रवाई क्या होगी, इसका उन्होंने अंदाजा नहीं लगाया था न ही सोचा था.
भारत की विदुर वक्ता नीति के आगे पस्त हो गया PAK
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का एक प्रमुख आधार थी भारत की रेड टीमिंग नीति जिसे पहली बार इस्तेमाल किया गया, उसके परिणाम दूरगामी है. इसे सेना ने ‘विदुर वक्ता’ नाम दिया. यह नीति, जो महाभारत के विदुर की बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता से प्रेरित है, उसका बखूबी इस्तेमाल किया गया.
क्या है रेड टीमिंग नीति?
रेड टीमिंग एक उन्नत रणनीतिक नीति है, जिसमें एक विशेषज्ञों की टीम बनाई जाती है जो दुश्मन की मानसिकता, रणनीति, और संभावित प्रतिक्रियाओं का अनुकरण करके अपनी योजनाओं की कमियों को परखती है. यह तकनीक मूल रूप से सैन्य और कॉरपोरेट क्षेत्रों में जोखिम प्रबंधन और निर्णय लेने की प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए विकसित की गई थी. इसे SWOT Analysis, यानी कि Strength, Weakness, Opportunities and Threat का अवलोकण होता है. इसका उद्देश्य है योजनाओं को "दुश्मन की नजर" से देखकर कमजोरियों को उजागर करना और उन्हें ठीक करना.
भारतीय सेना ने इस तकनीक को "विदुर वक्ता" नाम दिया, जो महाभारत के विदुर के सिद्धांतों—नैतिकता, बुद्धिमत्ता, और कूटनीतिक दूरदर्शिता से प्रेरित है. विदुर नीति में जोर दिया गया है कि एक बुद्धिमान सलाहकार वह होता है जो न केवल अपनी ताकत को पहचानता है, बल्कि दुश्मन की रणनीति को भी समझता है.
REDFOR VS रेड टीमिंग
रेड टीमिंग इस सिद्धांत को आधुनिक सैन्य रणनीति में लागू करती है, जिससे योजनाएँ अधिक सटीक और प्रभावी बनती हैं. रेड टीमिंग का उपयोग अमेरिका और अन्य पश्चिमी सेनाओं में लंबे समय से होता रहा है, लेकिन भारतीय सेना ने इसे पहली बार ऑपरेशन सिंदूर में वास्तविक युद्ध परिदृश्य में आजमाया. यह नीति सेना की मौजूदा REDFOR (रेड फोर्स) इकाई से अलग है, जो युद्ध सिमुलेशन में दुश्मन की रणनीति का अनुकरण करती है. रेड टीमिंग विशेष रूप से अपनी ही योजनाओं को चुनौती देने पर केंद्रित होती है, ताकि ऑपरेशन की सफलता की संभावना बढ़े.
15 अधिकारियों को रेड टीमिंग का खास प्रशिक्षण
पिछले साल सेना ने अक्टूबर में हुई आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस के बाद इस दिशा में कदम बढ़ाया था. अब 15 अधिकारियों को रेड टीमिंग का खास प्रशिक्षण दिया गया है और अगले दो साल में इसे और मजबूत करने की योजना है.
रेड टीमिंग टीम को सौंपा गए ये कार्य
ऑपरेशन सिंदूर की योजना बनाते समय भारतीय सेना ने पांच वरिष्ठ अधिकारियों की एक रेड टीम गठित की, जिसे "विदुर वक्ता" नाम दिया गया. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक रेड टीमिंग टीम को टार्गेटेड कार्य दिया गया था, जैसे कि….
दुश्मन की मानसिकता का विश्लेषण: रेड टीम ने पाकिस्तानी सेना और आतंकी संगठनों की संभावित प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया, जैसे ड्रोन हमले, तोपखाने की गोलाबारी, या हवाई जवाबी कार्रवाई.
भारतीय सेना की कमियों की पहचान और उसे प्वाइंट आउट करना: टीम ने ऑपरेशन की हर रणनीति—लक्ष्य चयन, हमले का समय, और निकासी योजना को दुश्मन की नजर से परखा.
कुल मिलाकर देखा जाए तो ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी. यह भारत की नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का प्रतीक था, जिसमें संयम और सख्ती का सामंजस्य था. रेड टीमिंग ने इस ऑपरेशन को कूटनीतिक रूप से भी मजबूत किया. विदेश मंत्रालय ने समय रहते अमेरिका, फ्रांस, रूस, और खाड़ी देशों को सूचित किया कि यह कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ आत्मरक्षा का हिस्सा है, न कि युद्ध की शुरुआत. इससे वैश्विक समर्थन और तटस्थता सुनिश्चित हुई.
रेड टीमिंग नीति "विदुर वक्ता" का सफल उपयोग भारतीय सेना के लिए एक मील का पत्थर है. सेना के प्रशिक्षण कमांड (ARTRAC) ने इसे भविष्य के अभियानों में शामिल करने की योजना बनाई है. यह नीति न केवल सैन्य रणनीति को मजबूत करेगी, बल्कि भारत की वैश्विक छवि को एक जिम्मेदार और निर्णायक शक्ति के रूप में स्थापित करेगी.
क्यों पड़ी ऑपरेशन सिंदूर की आवश्यकता?
ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में शुरू किया गया, जिसमें 26 निर्दोष नागरिक मारे गए थे. यह हमला जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों द्वारा समर्थित था, जिनके ठिकाने पाकिस्तान और पीओके में थे. भारत ने इस हमले को "राष्ट्रीय अपमान" माना और त्वरित, सटीक, और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की. ऑपरेशन सिंदूर का नाम, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुना, उन महिलाओं को श्रद्धांजलि था जिन्होंने इस हमले में अपने पति खोए थे.
ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना ने 6-7 मई की रात को मुजफ्फराबाद, कोटली, मुरिदके, और बहावलपुर में 9 आतंकी ठिकानों पर 24 सटीक हवाई हमले किए. इन हमलों में जैश-ए-मोहम्मद के नेता मौलाना मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्यों सहित कई हाई-प्रोफाइल आतंकवादी मारे गए. मुरिदके में जैश का प्रमुख प्रशिक्षण केंद्र "मरकज सुभान अल्लाह" पूरी तरह नष्ट हो गया, जो 2019 के पुलवामा हमले सहित कई आतंकी साजिशों का केंद्र था.