मोदी सरकार की कूटनीति कामयाब... UNSC में नहीं चली पाकिस्तान की नौटंकी, क्लोज डोर मीटिंग में नहीं मिला समर्थन
यह बैठक पाकिस्तान के अनुरोध पर की गई थी, जिसमें वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा था. सोमवार को लगभग डेढ़ घंटे चली इस मीटिंग का अंत किसी ठोस निर्णय, अधिकारिक बयान या प्रस्ताव के बिना हुआ, जिससे पाकिस्तान को बड़ी कूटनीतिक निराशा हाथ लगी.

UNSC: हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक बंद कमरे में विशेष बैठक का आयोजन किया गया. यह बैठक पाकिस्तान के अनुरोध पर की गई थी, जिसमें वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के खिलाफ समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा था. सोमवार को लगभग डेढ़ घंटे चली इस मीटिंग का अंत किसी ठोस निर्णय, अधिकारिक बयान या प्रस्ताव के बिना हुआ, जिससे पाकिस्तान को बड़ी कूटनीतिक निराशा हाथ लगी.
पाकिस्तान इस बैठक के जरिए वैश्विक समुदाय को यह दिखाना चाहता था कि भारत द्वारा लिए गए हालिया निर्णय — जैसे कि सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी सीमा को बंद करना और आतंक के खिलाफ कड़ा रुख अपनाना — क्षेत्र में शांति के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं. हालांकि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इस संदर्भ में कोई स्पष्ट समर्थन या प्रतिक्रिया नहीं दी, जिससे पाकिस्तान के दावे कमजोर साबित हुए.
असीम इफ्तिखार की बयानबाज़ी और झूठे दावे
बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि असीम इफ्तिखार ने मीडिया को संबोधित करते हुए दावा किया कि इस बैठक का आयोजन होना ही पाकिस्तान की 'राजनयिक जीत' है. उन्होंने कहा कि इस मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा हुई और यह एक अंतरराष्ट्रीय विवाद है, जो क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन चुका है.
इफ्तिखार ने भारत पर आरोप लगाया कि उसने सिंधु नदी जल संधि को अवैध रूप से निलंबित किया है और यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है. इसके अलावा, उन्होंने दावा किया कि भारत की नीतियाँ — जैसे सीमाओं को बंद करना, राजनयिक रिश्ते सीमित करना, और आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाना — दक्षिण एशिया में अस्थिरता को बढ़ावा दे रही हैं.
संयुक्त राष्ट्र का रुख
UNSC की इस क्लोज़-डोर बैठक के बाद संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की ओर से कोई अधिकारिक बयान या मीडिया ब्रीफिंग नहीं दी गई. न ही परिषद ने कोई प्रस्ताव पारित किया, जो स्पष्ट संकेत देता है कि विश्व समुदाय फिलहाल इस मुद्दे में हस्तक्षेप नहीं करना चाहता और इसे भारत-पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय विवाद मानता है.
गौरतलब है कि इससे पहले गुटेरेस ने यह चेतावनी दी थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालात हालिया वर्षों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं. हालांकि इस चेतावनी के बावजूद UNSC ने किसी तरह की आलोचना या हस्तक्षेप का संकेत नहीं दिया.
पाकिस्तान की कूटनीतिक चाल उलटी पड़ी
पाकिस्तान द्वारा बार-बार अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कश्मीर मुद्दे को उठाने की कोशिश एक बार फिर नाकाम रही. ना ही कोई सदस्य देश पाकिस्तान के पक्ष में सामने आया, और ना ही UNSC ने भारत के खिलाफ कोई कदम उठाया. इससे यह साफ है कि वैश्विक समुदाय भारत की आतंकवाद विरोधी नीति को सही मानता है और पाकिस्तान के झूठे दावों में कोई दम नहीं देखता. ऐसे में यह बैठक पाकिस्तान के लिए 'कूटनीतिक विजय' से कहीं अधिक एक सार्वजनिक फजीहत साबित हुई.