Advertisement

भारत-अर्मेनिया रक्षा सौदा, 720 मिलियन डॉलर की डील से तुर्की और अजरबैजान में मचा बवाल

भारत ने 720 मिलियन डॉलर की डील के तहत अर्मेनिया को आकाश डिफेंस सिस्टम बेचने का फैसला लिया है, जिससे अजरबैजान और तुर्की में हड़कंप मच गया है. भारत की इस रक्षा डील से अर्मेनिया की सैन्य क्षमता मजबूत हुई है और अजरबैजान के लिए रणनीतिक संतुलन बदलने के संकेत मिल रहे हैं.

16 May, 2025
( Updated: 16 May, 2025
01:01 AM )
भारत-अर्मेनिया रक्षा सौदा, 720 मिलियन डॉलर की डील से तुर्की और अजरबैजान में मचा बवाल
भारत की ओर से अर्मेनिया को 720 मिलियन डॉलर की रक्षा डील के तहत हथियारों की आपूर्ति की खबर सामने आते ही अंतरराष्ट्रीय रणनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है. यह डील सिर्फ व्यापारिक नहीं बल्कि एक कूटनीतिक संदेश भी है जो सीधे तौर पर पाकिस्तान और उसके सहयोगी देशों अजरबैजान और तुर्किए को जाता है. गौरतलब है कि अजरबैजान, पाकिस्तान का घनिष्ठ सहयोगी है और भारत के खिलाफ कई बार साझा बयान भी दे चुका है. अब भारत ने अजरबैजान के कट्टर दुश्मन अर्मेनिया के साथ जो करार किया है, उससे समीकरण तेजी से बदलते दिख रहे हैं.

क्यों है यह डील खास?

इंडियन एयरोस्पेस डिफेंस न्यूज (IADN) के अनुसार अर्मेनिया भारत से अत्याधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम 'आकाश-1S' की 15 यूनिट खरीदने जा रहा है. यह सिस्टम रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित किया गया है और इसमें चार लक्ष्यों को एक साथ ट्रैक करने की क्षमता है. इसकी मारक क्षमता 30 किलोमीटर तक है और यह कम समय में ड्रोन, मिसाइल या दुश्मन के एयरक्राफ्ट को पहचान कर उसे नष्ट कर सकता है. हाल के वर्षों में पाकिस्तान द्वारा सीमा पर किए गए ड्रोन हमलों को इसी प्रणाली की मदद से भारतीय सेना ने निष्क्रिय किया था.

तुर्किए और अजरबैजान में चिंता क्यों?

इस डील की खबर मिलते ही अजरबैजान और तुर्किए में चिंता की लहर दौड़ गई है. सूत्रों के अनुसार तुर्किए के पूर्व सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) यूसेल करोज ने इस खरीद को शांति वार्ता के माहौल के लिए "गलत संकेत" करार दिया. हालांकि उन्होंने यह भी माना कि यह प्रणाली पूरी तरह रक्षात्मक है और इसका मुख्य उद्देश्य अर्मेनिया को हमलों से सुरक्षित रखना है. फिर भी क्षेत्रीय राजनीति में इसे भारत द्वारा अजरबैजान को परोक्ष जवाब के रूप में देखा जा रहा है. यूसेल करोज ने यह भी बताया कि यह डील अर्मेनिया की एयर डिफेंस क्षमताओं को मजबूत करेगी, जिससे UAV, ड्रोन और अन्य हवाई हमलों को नाकाम किया जा सकेगा.

अजरबैजान-अर्मेनिया विवाद की पृष्ठभूमि

नागोर्नो-काराबाख को लेकर अजरबैजान और अर्मेनिया के बीच दशकों पुराना विवाद रहा है. सोवियत संघ के टूटने के बाद यह विवाद और गहरा गया. नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र अजरबैजान के अधिकार क्षेत्र में था, लेकिन यहां की अधिकांश आबादी ईसाई थी और अर्मेनिया के साथ एकीकरण चाहती थी. कई बार दोनों देशों के बीच युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हुई. 2020 में एक बार फिर युद्ध छिड़ा जिसमें अजरबैजान को तुर्किए का समर्थन प्राप्त था जबकि अर्मेनिया को रूस और ईरान का परोक्ष समर्थन था. ऐसे में भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक राष्ट्र की ओर से अर्मेनिया को हथियारों की आपूर्ति रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

भारत की नीति और वैश्विक संदेश

भारत ने हमेशा से अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखा है. लेकिन जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक साझेदारियों और आतंकी तत्वों को समर्थन देने वाले देशों के विरोध की हो, तब भारत अपने हितों की रक्षा करने में पीछे नहीं रहता. अर्मेनिया के साथ यह डील केवल हथियारों की आपूर्ति नहीं बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करने का प्रयास है. इससे यह भी साफ होता है कि भारत अब सिर्फ घरेलू सुरक्षा ही नहीं बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता में भी सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है. भारत का यह कदम उन देशों के लिए भी चेतावनी है जो पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत विरोधी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं.

भारत और अर्मेनिया के बीच हुआ यह रक्षा समझौता केवल एक व्यापारिक लेन-देन नहीं बल्कि रणनीतिक संतुलन का प्रतीक है. यह न केवल अर्मेनिया की सुरक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा बल्कि भारत की तकनीकी शक्ति और वैश्विक पहुंच को भी दर्शाता है. अजरबैजान और उसके सहयोगी देशों के लिए यह एक साफ संकेत है कि भारत अब अपने दुश्मनों के खिलाफ परोक्ष रूप से भी मोर्चा खोलने को तैयार है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस डील का प्रभाव सिर्फ दक्षिण कॉकस के क्षेत्र तक सीमित रहता है या वैश्विक कूटनीतिक समीकरणों को भी प्रभावित करता है.

Tags

Advertisement
LIVE
Advertisement
Modi बोलता हुआ कोहिनूर हैं, असल खेल तो अब शुरु होने वाला हैं ! Waqf Bill | Maulana Kaukab Mujtaba
Advertisement
Advertisement