सरोवर नगरी नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का भव्य समापन: डोला यात्रा, लखिया भूत नृत्य, छोलिया नृत्य और भक्ति के जयकारों ने जमाया रंग
नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन शुक्रवार को भक्ति और उल्लास के साथ हुआ. मां नैना देवी मंदिर से शुरू हुई डोला यात्रा ने शहर को जयकारों से गुंजायमान किया. पिथौरागढ़ का लखिया भूत नृत्य और छोलिया नृत्य ने समां बांधा. हजारों श्रद्धालु नैनीताल, हल्द्वानी और अन्य शहरों से पहुंचे. प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और ड्रोन निगरानी ने आयोजन को सुरक्षित बनाया। मां की विदाई के साथ भक्त अगले वर्ष के इंतजार में डूब गए.
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सरोवर नगरी नैनीताल में मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन शुक्रवार को आस्था, भक्ति और उल्लास के साथ हुआ. मां नैना देवी मंदिर से शुरू हुई पारंपरिक डोला यात्रा ने पूरे शहर को मां के जयकारों से गुंजायमान कर दिया. हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति, रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच यह महोत्सव एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया.
डोला यात्रा ने बांधा समां
महोत्सव के अंतिम दिन मां नैना देवी मंदिर से प्रारंभ हुई डोला यात्रा ने शहर को भक्तिमय रंग में रंग दिया. यह यात्रा मल्लीताल, लोअर माल रोड, तल्लीताल बाजार और चीना बाबा मंदिर से होते हुए पुनः मंदिर परिसर में समाप्त हुई. भक्त नाच-गाकर और “मां नंदा-सुनंदा की जय” के उद्घोष के साथ मां को विदाई देने में शामिल हुए. यात्रा के दौरान सड़कों पर भक्तों का उत्साह और भक्ति का जोश देखते ही बनता था.
श्रद्धालुओं का उमड़ा सैलाब
सुबह से ही मां के दर्शन और विदाई समारोह में शामिल होने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. नैनीताल के साथ-साथ हल्द्वानी, रामनगर, काशीपुर और रुद्रपुर जैसे कुमाऊं के विभिन्न शहरों से हजारों श्रद्धालु इस पवित्र अवसर का हिस्सा बनने पहुंचे. स्थानीय निवासी आभा साह ने कहा, “मां नंदा-सुनंदा का त्योहार साल में एक बार आता है, जिसका हमें बेसब्री से इंतजार रहता है. यह हमारी संस्कृति और आस्था का अभिन्न हिस्सा है. ”
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने लूटी वाहवाही
इस वर्ष महोत्सव का विशेष आकर्षण रहा पिथौरागढ़ से आई सांस्कृतिक टीम का लखिया भूत नृत्य. पारंपरिक वेशभूषा और लोकधुनों से सजी इस प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. जिला पर्यटन विकास विभाग द्वारा आयोजित इस नाट्य प्रस्तुति का नेतृत्व कर रहे कैलाश जोशी ने बताया कि लखिया भूत को मां नंदा का रक्षक माना जाता है, जिसे डोले के आगे भ्रमण कराया जाता है. उन्होंने कहा, “इस परंपरा की शुरुआत पिथौरागढ़ में नेपाल के राजा द्वारा दी गई लखिया भूत की मूर्ति से हुई, जिसे बांधकर रखा जाता है ताकि वह वापस न जाए. ” इसके अलावा, कुमाऊं के विभिन्न शहरों से आए बैंड-बाजों और छोलिया नृत्य दलों ने अपनी शानदार प्रस्तुतियों से समां बांध दिया.
भक्तों में उत्साह और भावनाओं का मिश्रण
महोत्सव के प्रति स्थानीय लोगों में अपार उत्साह देखा गया. स्थानीय सभासद जितेंद्र पांडे ने बताया कि न केवल नैनीताल, बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी लोग मां नंदा-सुनंदा के दर्शन के लिए उमड़े. दीपा रौतेला ने कहा, “सुबह बारिश के बावजूद मौसम सुहावना रहा, जिससे लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचे. मां की विदाई का दुख है, लेकिन अगले वर्ष फिर से उनके आगमन का इंतजार रहेगा. ” भक्तों की आंखों में मां के प्रति श्रद्धा और विदाई की भावनाओं का अनोखा मिश्रण देखा गया.
प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए जिला प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए. एसपी क्राइम डॉ. जगदीश चंद्रा ने बताया कि दोपहर 12 बजे शुरू हुई शोभा यात्रा के लिए कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए. करीब डेढ़ सौ पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया, जो भीड़ नियंत्रण और चोरों पर नजर रखने में मुस्तैद रहे. फायर और पुलिस वाहन यात्रा के साथ चले, जबकि नैनी झील में एसडीआरएफ की टीम तैनात रही. ड्रोन के माध्यम से भी निगरानी रखी गई, जिससे किसी भी अप्रिय घटना को टाला जा सके.
नशामुक्त और सुरक्षित समाज की दिशा में कदम
मां नंदा-सुनंदा महोत्सव न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने का भी एक अवसर है. प्रशासन और स्थानीय लोगों के सहयोग से यह आयोजन नशामुक्त और सुरक्षित समाज की दिशा में एक कदम साबित हुआ. जम्मू पुलिस की हालिया कार्रवाई, जिसमें 8 करोड़ रुपये से अधिक के नशीले पदार्थ नष्ट किए गए, के साथ इस महोत्सव ने समाज को स्वस्थ और सकारात्मक दिशा में ले जाने का संदेश दिया.
एक अविस्मरणीय अनुभव
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मां नंदा-सुनंदा महोत्सव का समापन नैनीताल की सरोवर नगरी में एक अविस्मरणीय अनुभव रहा. भक्ति, संस्कृति और सामुदायिक एकता का यह संगम न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि पूरे कुमाऊं क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है. मां के जयकारों, रंगारंग प्रस्तुतियों और श्रद्धालुओं के उत्साह ने इस महोत्सव को एक ऐतिहासिक आयोजन बना दिया. अगले वर्ष फिर से इस पवित्र उत्सव के आयोजन का इंतजार सभी को रहेगा.
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