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Diplomatic Strike: भारत ने पाक उच्चायोग के अधिकारी को किया निष्कासित, 24 घंटे में देश छोड़ने का दिया आदेश

भारत सरकार ने पाकिस्तान पर बड़ा कूटनीतिक एक्शन लेते हुए उसके उच्चायोग के एक वरिष्ठ अधिकारी को 24 घंटे के भीतर देश छोड़ने का आदेश दे दिया है। यह कदम हाल ही में बढ़े सीमा पार तनाव और ड्रोन गतिविधियों के बाद उठाया गया है। सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत अब किसी भी अस्वीकार्य गतिविधि को नजरअंदाज नहीं करेगा।

13 May, 2025
( Updated: 14 May, 2025
01:33 PM )
Diplomatic Strike: भारत ने पाक उच्चायोग के अधिकारी को किया निष्कासित, 24 घंटे में देश छोड़ने का दिया आदेश
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का ग्राफ एक बार फिर ऊंचाई पर है. भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया है कि अब हर साजिश का जवाब सिर्फ कड़ी कार्रवाई से मिलेगा. इसी क्रम में नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में कार्यरत एक अधिकारी को 'पर्सोना नॉन ग्राटा' घोषित करते हुए 24 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया गया है. भारत सरकार की इस सख्त कार्रवाई ने यह जता दिया है कि अब कोई भी अवांछनीय गतिविधि बर्दाश्त नहीं की जाएगी, चाहे वह राजनयिक दायरे से बाहर ही क्यों न हो.

संदिग्ध गतिविधियों का संदेह, भारत का डिमार्शे

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जिस पाकिस्तानी अधिकारी को निष्कासित किया गया है, वह भारत में अपनी आधिकारिक स्थिति के दायरे से बाहर जाकर ऐसी गतिविधियों में संलिप्त था, जो भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा बन सकती थीं. हालांकि सरकार ने उस अधिकारी की पहचान या उसकी संदिग्ध गतिविधियों की प्रकृति का खुलासा नहीं किया है. लेकिन यह जरूर बताया गया कि पाकिस्तान उच्चायोग के प्रभारी को इस संबंध में एक औपचारिक डिमार्शे सौंपा गया है, जिसमें यह साफ किया गया कि संबंधित अधिकारी को 24 घंटे के भीतर भारत छोड़ना होगा.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान पर कूटनीतिक दबाव

यह कार्रवाई ऐसे समय में की गई है जब भारत ने हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के ज़रिए पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में मौजूद आतंकी ठिकानों पर सटीक और निर्णायक एयरस्ट्राइक की थी. यह ऑपरेशन पहलगाम में हुए उस भीषण आतंकी हमले के बाद अंजाम दिया गया था, जिसमें 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकियों ने 26 निर्दोष पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी थी. भारत ने इस हमले का तुरंत जवाब देने की नीति अपनाई और एक के बाद एक कई आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल जैसे संगठनों के कम से कम 100 आतंकवादी मारे गए.

आपको बता दें कि भारत की प्रतिक्रिया सिर्फ सैन्य स्तर पर ही नहीं रही, बल्कि राजनयिक स्तर पर भी बेहद कड़ी रही. 23 अप्रैल को भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई महत्वपूर्ण कूटनीतिक निर्णय लिए. सबसे पहले तो नई दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग में कार्यरत अधिकारियों की संख्या को 55 से घटाकर 30 कर दिया गया. इसके अलावा सभी पाकिस्तानी रक्षा सलाहकारों को निष्कासित कर एक सप्ताह के भीतर देश छोड़ने का निर्देश दिया गया. यही नहीं, इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से भी भारत ने अपने रक्षा सलाहकारों को तुरंत वापस बुला लिया और वहां भारतीय राजनयिकों की संख्या को भी सीमित कर दिया.

'फिलहाल सैन्य कार्रवाई स्थगित, लेकिन...'

हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए यह भी स्पष्ट किया कि भारत की सैन्य कार्रवाई अभी सिर्फ स्थगित है, समाप्त नहीं। अगर पाकिस्तान या उसके पाले हुए आतंकी समूहों ने फिर से भारत पर हमला करने की जुर्रत की, तो अगली बार जवाब और भी कठोर और व्यापक होगा. उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब आतंकवाद को अलग और आतंक के सरपरस्तों को अलग मानने की भूल नहीं करेगा. ऑपरेशन सिंदूर ने आतंक के खिलाफ भारत की नीति को एक नया आयाम दिया है.

क्या पाकिस्तान सुधरेगा?

भारत की इस सख्त कार्रवाई ने पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से घेरने का काम किया है. ड्रोन घुसपैठ, आतंकी हमले और संदिग्ध राजनयिक गतिविधियाँ इस बात का संकेत हैं कि पाकिस्तान की रणनीति दोहरी है. एक ओर वह सीजफायर की बात करता है, वहीं दूसरी ओर भारतीय सीमा में शांति भंग करने की कोशिशें जारी रखता है. ऐसे में भारत द्वारा उठाए गए ये सख्त कदम यह संदेश देने के लिए पर्याप्त हैं कि अब हर हरकत का जवाब कूटनीति और शक्ति दोनों के मेल से दिया जाएगा.

भारत ने न सिर्फ सैन्य मोर्चे पर, बल्कि कूटनीतिक क्षेत्र में भी पाकिस्तान को कठोरता से जवाब दिया है. उच्चायोग के एक और अधिकारी को 24 घंटे में देश छोड़ने का आदेश देकर यह साफ कर दिया गया है कि अब भारत की विदेश नीति "शून्य सहिष्णुता" की राह पर है, और हर संदिग्ध गतिविधि पर बारीकी से निगरानी रखी जा रही है.

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