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'RSS से नहीं तो खुद से सीखोगे...ना अनुशासन का अता, ना रणनीति का पता', अब कांग्रेस की ही सहयोगी पार्टी ने सुनाया

कांग्रेस के इन दिनों बुरे दिन चल रहे हैं. अब तक उसे अपने नेता मसलन दिग्विजय सिंह और शशि थरूर RSS-BJP से सीखने की सलाह दे रहे थे, अब उसके सहयोगी भी यही कुछ नसीहतें देने लगे हैं.

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29 Dec 2025
( Updated: 29 Dec 2025
09:00 PM )
'RSS से नहीं तो खुद से सीखोगे...ना अनुशासन का अता, ना रणनीति का पता', अब कांग्रेस की ही सहयोगी पार्टी ने सुनाया
Rahul Gandhi & Mallikarjun Kharge (File Photo)

महाराष्ट्र में होने वाले BMC चुनाव से पहले महा अघाड़ी में बवाल जारी है. MVA टूट की कगार पर है. अब तक न गठबंधन हो पाया है, न ही कांग्रेस को ठाकरे ब्रदर्स अपने साथ मिलाकर चुनाव लड़ने जा रहे हैं. दूसरी तरफ, जहां कांग्रेस के नेता संगठन में बदलाव को लेकर बीजेपी-संघ से सीखने की सलाह दे रहे हैं, तो अब सहयोगी भी कांग्रेस को ताने कस रहे हैं. यानी अब तक कांग्रेसी ही अपनी पार्टी को संगठन की शक्ति का पाठ पढ़ा रहे थे, तो अब सहयोगी घटक दल भी ऐसी ही नसीहतें दे रहे हैं.

आपको बता दें कि दिग्विजय सिंह के बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) ने कांग्रेस को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से सीखने की सलाह दी है. दरअसल, शिवसेना (यूबीटी) प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि, "आरएसएस पूरे देश में 60-70 लाख से ज्यादा वॉलंटियर्स के जरिए देश की सेवा करता है. हालांकि यह सीधे तौर पर राजनीति में शामिल नहीं है, लेकिन यह पर्दे के पीछे से राजनीतिक पार्टियों को सपोर्ट करता है. आरएसएस इस देश की परंपरा को चलाने वाला सांस्कृतिक और संस्कारी संगठन है. इस संगठन के जैसा कोई नहीं बन सकता है. अगर ऐसे संगठन से कांग्रेस नहीं सीखेगी, तो क्या वह खुद से ही सीखेगी, जिसमें अनुशासन और रणनीति का कोई अता-पता नहीं होता है?"

'RSS जैसा संगठन बन पाना आसान नहीं'

आनंद दुबे ने आगे कहा कि RSS देश की परंपराओं को आगे बढ़ाने वाला, धरोहर को संजोने वाला एक सांस्कृतिक संगठन है. उन्होंने कहा कि RSS जैसा संगठन बन पाना आसान नहीं है. वही संगठन है जिसने नरेंद्र मोदी को उठाकर प्रधानमंत्री बनाया. वही संगठन है जो बड़े-बड़े हिंदुत्व आंदोलनों में हमेशा आगे रहा है. दुबे ने यह भी कहा कि शिवसेना के आंदोलनों में भी RSS हमेशा साथ खड़ी रही है.

'RSS से नहीं तो क्या कांग्रेस से सीखेगी कांग्रेस!'

दुबे ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि अगर कांग्रेस RSS से नहीं सीखेगी, तो क्या कांग्रेस से ही सीखेगी. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की हालत यह है कि उसे खुद नहीं पता कि पार्टी में अनुशासन क्या है, रणनीति क्या है, बैठकें कैसे होती हैं, कौन कहां गठबंधन करेगा और किसे क्या जिम्मेदारी मिलेगी. कुछ भी तय नहीं है. दुबे ने कहा कि कांग्रेस पूरी तरह राम भरोसे चल रही है.

दिग्विजय सिंह ने क्या कहा था?

दिग्विजय सिंह ने बीते दिनों X पर पोस्ट करते हुए लिखा कि Quora site पर मुझे ये तस्वीर मिली. बहुत ही प्रभावशाली है. किस प्रकार RSS का ज़मीनी स्वयंसेवक व जनसंघ @BJP4India का कार्यकर्ता नेताओं की चरणों में फर्श पर बैठकर प्रदेश का मुख्यमंत्री और देश का प्रधानमंत्री बना. यह संगठन की शक्ति है. जय सिया राम. खास बात यह है कि उन्होंने इस तस्वीर और पोस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कांग्रेस पार्टी और बीजेपी को भी टैग किया है. इस पोस्ट को और ज्यादा चर्चा में लाने वाली बात यह है कि दिग्विजय सिंह ने इसमें राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ-साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी टैग किया था.

कांग्रेस ने शिवसेना-यूबीटी की पीठ में छुरा घोंपा: आनंद दुबे

शिवसेना-यूबीटी के प्रवक्ता आनंद दुबे ने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस पार्टी ने महाराष्ट्र में 'उद्धव ठाकरे' के नाम का इस्तेमाल करके फायदा उठाया. बीएमसी चुनाव में अकेले उतरने का फैसला करके कांग्रेस ने शिवसेना-यूबीटी की पीठ में छुरा घोंपा है.

'मुंबई में बीजेपी की B-टीम के तौर पर काम कर रही है कांग्रेस'

आनंद दुबे ने कहा, "2019 से पहले कांग्रेस डूब चुकी थी, जिसे शिवसेना-यूबीटी ने अपने साथ लेकर उसकी मदद की. लेकिन कांग्रेस ने शिवसेना-यूबीटी का नाम छीनने का काम किया. कांग्रेस मुंबई में भारतीय जनता पार्टी की बी-टीम के तौर पर काम कर रही है. जब कांग्रेस को पता है कि बीएमसी चुनाव बहुत ही महत्वपूर्ण है, तो अकेले चुनाव क्यों लड़ा जा रहा है?"

मुंबई में अपना खाता भी नहीं खोल पाएगी कांग्रेस!

उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस मुंबई में अपना खाता भी नहीं खोल पाएगी और सिंगल डिजिट तक सिमट जाएगी. आनंद दुबे ने यह भी कहा कि बृहन्मुंबई महानगरपालिका समेत पूरे महाराष्ट्र में 28 नगर निगमों के चुनाव हैं. कांग्रेस को एक-दो सीटों के अलावा कहीं और जीत नहीं मिलेगी, क्योंकि मुंबई में कांग्रेस की कोई असली ताकत नहीं है.

वहीं AIMIM के नेता वारिस पठान के 'बुर्का वाली मेयर' वाले बयान पर भी आनंद दुबे ने जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जानबूझकर हिंदू-मुस्लिम करना और विवादित बयान देना वारिस पठान की पुरानी आदत है. अगर उनको बुर्का वाली या पठान-खान मेयर बनानी हैं, तो उन्हें पड़ोस के देशों में चले जाना चाहिए.

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शिवसेना-यूबीटी के प्रवक्ता ने कहा कि वारिस पठान भारतीय जनता पार्टी की बी-टीम के तौर पर काम करते हैं. ऐसे समय में उनका बयान बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि पूरी मुंबई में उद्धव ठाकरे की शिवसेना ही मुख्य ताकत बनकर उभरेगी और यहां एक हिंदू और मराठी मेयर होगा.

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