सीएम योगी ने डॉ. रामविलास वेदांती महाराज को दी श्रद्धांजलि, बोले- संपूर्ण जीवन अयोध्या धाम के विकास और रामकाज को समर्पित रहा
सीएम योगी ने कहा कि 'वेदांती महाराज का पूरा जीवन ही रामकाज को समर्पित था. यह भी एक संयोग है कि प्रभु श्रीराम की पावन कथा का वाचन करते हुए उन्होंने नश्वर देह का त्यागकर साकेतवास किया.' उन्होंने वेदांती महाराज के योगदान को याद करते हुए कहा कि 'श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के प्रारंभिक दौर से लेकर उसके मूर्त रूप लेने और आंदोलन के सफल परिणाम को देखने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ.'
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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अयोध्या स्थित हिंदू धाम आश्रम पहुंचकर वशिष्ठ भवन के ब्रह्मलीन महंत डॉ. रामविलास वेदांती महाराज के प्रति श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उनके योगदान का स्मरण किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति अभियान के वरिष्ठ सदस्य तथा वशिष्ठ भवन, अयोध्या के महंत डॉ. रामविलास वेदांती महाराज भौतिक रूप से आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका संपूर्ण जीवन अयोध्या धाम के विकास और रामलला के भव्य मंदिर निर्माण को समर्पित रहा.
'पूरा जीवन ही रामकाज को समर्पित था'
सीएम योगी ने कहा कि 'वेदांती महाराज का पूरा जीवन ही रामकाज को समर्पित था. यह भी एक संयोग है कि प्रभु श्रीराम की पावन कथा का वाचन करते हुए उन्होंने नश्वर देह का त्यागकर साकेतवास किया.' उन्होंने वेदांती महाराज के योगदान को याद करते हुए कहा कि 'श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के प्रारंभिक दौर से लेकर उसके मूर्त रूप लेने और आंदोलन के सफल परिणाम को देखने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ.'
'धर्मध्वजा आरोहण समारोह में भी वेदांती जी की उपस्थिति रही'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगे कहा कि '25 नवंबर को श्रीराम जन्मभूमि पर निर्मित भव्य मंदिर पर धर्मध्वजा आरोहण के समारोह में भी वेदांती महाराज की गरिमामयी उपस्थिति रही. यह उनके समर्पण और निरंतर सहभागिता का स्पष्ट प्रमाण है. वर्ष 1983 में श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति अभियान के आरंभ से लेकर अब तक आयोजित प्रत्येक आंदोलन और कार्यक्रम में वेदांती महाराज की सक्रिय भूमिका रही.'
'वेदांती महाराज का अत्यंत निकट और आत्मीय संबंध रहा'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वेदांती महाराज को याद करते हुए कहा कि 'आज भले ही वे भौतिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके साकेतवासी होने पर विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करने और उनके शिष्यों व आश्रमवासियों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए मैं अयोध्या आया हूं.' उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ से वेदांती महाराज का अत्यंत निकट और आत्मीय संबंध रहा.
पूज्य गुरु बाबा अभिराम दास जी को भी किया याद
सीएम योगी ने बताया कि 'वर्ष 1949 में अयोध्या धाम में श्रीराम जन्मभूमि पर प्रभु श्रीराम के विग्रह के प्रकटीकरण के समय गोरक्षपीठ के तत्कालीन पीठाधीश्वर पूज्य महंत श्री दिग्विजयनाथ जी महाराज तथा वेदांती जी महाराज के पूज्य गुरु बाबा अभिराम दास जी उस ऐतिहासिक अभियान का हिस्सा थे.' सीएम योगी ने आगे कहा कि 'वर्ष 1983 में जब श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति का गठन हुआ और उनके पूज्य गुरुदेव, गोरक्षपीठाधीश्वर पूज्य महंत श्री अवेद्यनाथ जी महाराज उस समिति के अध्यक्ष बने, तब से डॉ. रामविलास वेदांती जी महाराज वरिष्ठ सदस्य के रूप में निरंतर इस आंदोलन से जुड़े रहे.'
'प्रभु श्रीराम के मंदिर से जुड़े सभी कार्यक्रमों के साक्षी रहे'
उन्होंने कहा कि 'प्रभु श्रीराम के पवित्र मंदिर से जुड़े सभी ऐतिहासिक कार्यक्रमों, 5 अगस्त 2020 को मंदिर के शिलान्यास, 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा, और 25 नवंबर 2025 को धर्मध्वजा आरोहण के वेदांती जी महाराज साक्षी रहे. यह उनके जीवन की साधना और संकल्प का ही परिणाम था कि वे रामलला को विराजमान होते, भव्य मंदिर का निर्माण होते और दिव्य-भव्य अयोध्या को साकार रूप में देखते हुए तथा रामकथा का गायन करते हुए इस लोक से विदा हुए.'
सीएम योगी ने वेदांती जी महाराज को दी श्रद्धांजलि
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रभु श्रीराम से प्रार्थना की कि वे वेदांती जी महाराज को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें. उन्होंने कहा कि 'वे विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी स्मृतियों को नमन करते हैं और उन्हें पूर्ण विश्वास है कि वेदांती जी महाराज के आदर्शों का अनुसरण करते हुए उनके आश्रम के शिष्य और अनुयायी निरंतर रामकाज के अभियान से जुड़े रहेंगे.'
रामकथा वाचन के दौरान हुआ निधन
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बता दें कि डॉ. रामविलास वेदांती जी महाराज मध्य प्रदेश के लालगांव के समीप स्थित भठवा गांव में रामकथा का वाचन कर रहे थे. कथा का आयोजन 17 दिसंबर तक निर्धारित था, लेकिन शनिवार की रात सीने में दर्द और घबराहट की शिकायत के बाद उन्हें उपचार के लिए रीवा लाया गया. वहां एक सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में इलाज के दौरान सोमवार को उनका साकेतवास हो गया.
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