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वक्फ कानून के विरोधियों को CM Himanta की नसीहत- जिसे सुप्रीम कोर्ट जाना है जाए, यहां विरोध नहीं चलेगा !

Waqf Amendment Act के विरोध के नाम पर दंगा करने की सोचने वाले को CM Himanta ने दे दी Warning, जिसे इसका विरोध करना है, उसे सुप्रीम कोर्ट जाने की पूरी आजादी है लेकिन असम में वक्फ के नाम पर न तो पत्थरबाजी होगी और न ही कोई हिंसा बर्दाश्त की जाएगी !

18 Apr, 2025
( Updated: 18 Apr, 2025
04:34 PM )
वक्फ कानून के विरोधियों को CM Himanta की नसीहत- जिसे सुप्रीम कोर्ट जाना है जाए, यहां विरोध नहीं चलेगा !
वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर मुसलमानों ने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में किस कदर तांडव मचाया.ये इसी बात से समझ सकते हैं कि सत्ता संभाल रहीं सीएम ममता बनर्जी भी हालात काबू करने में नाकाम रहीं और हाईकोर्ट के आदेश पर मोदी सरकार को पैरामिलिट्री फोर्स भेजनी पड़ गई. लेकिन बात जब बीजेपी शासित राज्यों की आती है तो ना योगी के यूपी में किसी दंगाई ने इस तरह की हरकत करने की हिम्मत दिखाई. और ना ही सीएम हिमंता के असम में. क्योंकि दोनों ही राज्यों के मुख्यिमंत्रियों को दंगाइयों से निपटना अच्छी तरह से आता है. 

योगी राज में दंगाइयों का कैसे इलाज किया जाता है. इसका ट्रेलर योगी सरकार साल 2020 में ही दिखा चुकी है.जब दंगाइयों के पोस्टर चौक चौराहे पर लगवाकर नुकसान की भरपाई भी उन्हीं दंगाइयों से करवाई गई थी. और ये खौफ लगता है आज भी बरकरार है. इसीलिये वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर यूपी में कहीं कोई दंगा नहीं हुआ. 


सीएम योगी की इसी सख्ती की वजह से यूपी में वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर ना तो सड़क घेर कर कोई प्रदर्शन किया गया और ना ही कहीं दंगा हुआ क्योंकि उन्हें पता है योगी सरकार दंगाइयों का इलाज कैसे करती है.और यही इलाज सीएम योगी ने ममता सरकार को भी बताया. लेकिन वो शायद योगी के बताए रास्ते पर नहीं चलने वाली हैं.मगर हां.असम की हिमंता सरकार ने जरूर योगी वाले अंदाज में दंगाइयों का इलाज करने का ऐलान कर दिया है. यही वजह है कि सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने पहले ही सख्ती दिखाते हुए हिदायत दे दी है कि "वक्फ कानून एक सच्चाई है, जिसे इसका विरोध करना है, उसे सुप्रीम कोर्ट जाने की पूरी आजादी है लेकिन असम में वक्फ के नाम पर न तो पत्थरबाजी होगी और न ही कोई हिंसा बर्दाश्त की जाएगी, जो इसका विरोध कर रहे हैं, वो यह बात अच्छी तरह से याद रखें"

सीएम हिमंता का ये बयान बता रहा है कि वो भी कम से कम दंगे के मामले में योगी सरकार की तरह ही सख्त हैं.और अगर किसी ने भी वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम पर सड़क घेरा या फिर दंगे को अंजाम देने की कोशिश की तो उसके खिलाफ हिमंता सरकार भी सख्ती से एक्शन लेगी. और शायद इसी सख्ती का असर रहा कि असम में वक्फ संशोधन कानून के विरोध के नाम कहीं कोई हिंसा और आगजनी नहीं हुई.खुद सीएम हिमंता ने 12 अप्रैल को एक बयान में बताया कि "लगभग 40% मुस्लिम आबादी होने के बावजूद असम में आज शांतिपूर्ण स्थिति बनी हुई है, सिवाय तीन स्थानों पर छिटपुट विरोध प्रदर्शनों के, जिनमें प्रत्येक में वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ 150 से अधिक प्रतिभागी शामिल नहीं थे"

चालीस फीसदी मुस्लिम आबादी होने के बावजूद असम में शांति रही. तो इसकी सबसे बड़ी वजह सरकार की सख्ती है.क्योंकि दंगाइयों को भी पता है कि हिमंता सरकार बुल्डोजर चलवाने में जरा भी देर नहीं करती है. और शायद इसी खौफ की वजह से मुसलमानों ने सड़कों पर उतरकर कहीं कोई हिंसा और अराजकता नहीं की. कुछ ऐसा ही खौफ सीएम योगी के उत्तर प्रदेश में भी देखने को मिला.जहां कहीं कोई दंगा नहीं हुआ और ना ही कोई विरोध प्रदर्शन किया गया  क्योंकि योगी सरकार ने ही तो सबसे पहले दंगाइयों के खिलाफ बुल्डोजर चलवाने की शुरुआत की. यही वजह है कि आज देश की जनता भी सीएम योगी को बंगाल भेजने की मांग कर रही है. 

योगी सरकार जिस सख्ती के साथ दंगाइयों से निपटती है ये उसी का असर है कि पूरा देश योगी को बंगाल भेजने की मांग कर रहा है. क्योंकि ममता राज में पश्चिम बंगाल पिछले कई दिनों से दंगे की आग में झुलस रहा है. जिसमें तीन हिंदुओं की जान भी चली गई और सैकड़ों लोगों ने पलायन भी किया. लेकिन इसके बावजूद सीएम ममता बनर्जी दंगा पीड़ितों से मुलाकात कर उनका दर्द बांटने से कहीं ज्यादा जरूरी मुस्लिमों से मुलाकात करना समझा. और उन्हें ये भरोसा देने में लगी रहीं कि हम वक्फ संशोधन कानून पश्चिम बंगाल में लागू नहीं करेंगे. अब आप बताइये ममता मॉडल सही है या फिर योगी और हिमंता मॉडल. 

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