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रामजी लाल सुमन के विवादित बयान पर BJP का पलटवार ‘राजपूतों का अपमान नहीं सहेंगे’

सपा सांसद रामजी लाल सुमन के संसद में दिए बयान ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। उन्होंने राणा सांगा को ‘गद्दार’ बताया, जिससे राजपूत समाज और हिंदू संगठनों में भारी आक्रोश फैल गया है। BJP ने इस बयान को राजपूत वीरता और राष्ट्रभक्तों का अपमान करार देते हुए बिना शर्त माफी की मांग की है।

22 Mar, 2025
( Updated: 23 Mar, 2025
12:16 AM )
रामजी लाल सुमन के विवादित बयान पर BJP का पलटवार ‘राजपूतों का अपमान नहीं सहेंगे’
संसद में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन के एक बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधते हुए महान योद्धा राणा सांगा को ‘गद्दार’ कह दिया, जिससे राजपूत समाज और समूचे हिंदू समाज में भारी आक्रोश फैल गया है। BJP ने इस बयान को राजपूतों और राष्ट्रभक्तों का अपमान बताया और सपा नेता से बिना शर्त माफी की मांग की।

संसद में क्या बोले रामजी लाल सुमन?

गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा के दौरान सपा सांसद ने BJP नेताओं पर तीखा हमला बोलते हुए कहा,"बीजेपी के लोगों का तकिया कलाम बन गया है कि मुसलमानों में बाबर का डीएनए है। लेकिन मैं पूछना चाहता हूं कि बाबर को हिंदुस्तान में कौन लेकर आया था? बाबर को राणा सांगा लेकर आए थे। तो अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो तुम गद्दार राणा सांगा की औलाद हो।" उनका यह बयान सुनते ही सदन में हंगामा खड़ा हो गया। BJP के सांसदों ने इसे राजपूत वीरता का अपमान करार दिया और स्पीकर से सुमन के बयान को संसद की कार्यवाही से हटाने की मांग की।

सपा सांसद पर BJP का पलटवार

BJP ने इस विवादित टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया दी। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद संजीव बालियान ने कड़ी निंदा करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा,
"धिक्कार है! तुष्टिकरण की सभी हदें पार करते हुए सपा सांसद ने संसद में राणा सांगा को गद्दार कह दिया। यह संपूर्ण राजपूत समाज और हिंदू समाज का घोर अपमान है। सपा को पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए।" राजपूत समाज के संगठनों ने भी विरोध जताया और उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में सपा नेता के खिलाफ प्रदर्शन और विरोध मार्च किए गए।

कौन थे राणा सांगा? 

राणा सांगा, जिनका असली नाम महाराणा संग्राम सिंह था, मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश से थे। उन्होंने 1508 से 1528 तक शासन किया और दिल्ली सल्तनत के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए राजपूत वंशों को एकजुट किया। उनकी राजधानी चित्तौड़ थी और उनका साम्राज्य राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश के बड़े हिस्सों तक फैला हुआ था।

राणा सांगा को भारत का सबसे शक्तिशाली राजपूत योद्धा माना जाता है, जिन्होंने मुगलों और दिल्ली सल्तनत के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ीं। उनकी वीरता इतनी महान थी कि उन्होंने अपनी एक आंख, एक हाथ और कई घाव खोने के बावजूद युद्ध करना जारी रखा।

क्या वाकई राणा सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था?

इतिहासकारों के अनुसार, राणा सांगा ने कभी बाबर को आमंत्रित नहीं किया था। हालांकि, उन्होंने दिल्ली सल्तनत के अफगान शासक इब्राहिम लोदी को हराने के लिए बाबर से मित्रता की थी। लेकिन जब बाबर ने भारत में स्थायी रूप से शासन करने की महत्वाकांक्षा दिखाई, तो राणा सांगा ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया। 1527 में ‘खानवा की लड़ाई’ में राणा सांगा ने मुगलों से वीरता से युद्ध लड़ा, लेकिन बाबर की बेहतर तोपों और युद्धनीति के कारण वे हार गए। हालांकि, वे अंतिम सांस तक स्वतंत्रता और हिंदू धर्म की रक्षा के लिए संघर्ष करते रहे।

BJP और राजपूत संगठनों का कहना है कि सपा सांसद का यह बयान इतिहास की गलत व्याख्या है और वीर राजपूत योद्धाओं का अपमान करता है। सुमन के बयान को लेकर सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त विरोध देखा गया। हालांकि, समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस बयान का बचाव करते हुए कहा कि सुमन का मकसद इतिहास का अपमान करना नहीं, बल्कि BJP की ‘बाबर वाली राजनीति’ का जवाब देना था।

भारतीय राजनीति में बयानबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन जब यह महान स्वतंत्रता सेनानियों और राजाओं के सम्मान से जुड़ी हो, तो जिम्मेदारी से बयान देना जरूरी हो जाता है। राणा सांगा जैसे योद्धा केवल राजपूत समाज ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के गौरव हैं। इतिहास का राजनीतिक फायदे के लिए तोड़-मरोड़कर इस्तेमाल करना सही नहीं। इस विवाद ने देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या हमारे नेताओं को इतिहास का सम्मान करना नहीं आता?
Source-IANS

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