पहलगाम हमले के बाद चारधाम यात्रा पर सुरक्षा का अभेद कवच, उत्तराखंड में तैनात 6000 जवान
चारधाम यात्रा 2024 की शुरुआत से पहले पहलगाम आतंकी हमले ने सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। उत्तराखंड प्रशासन ने इस बार 6000 पुलिसकर्मियों, 17 पीएसी और 10 अर्धसैनिक बल कंपनियों की तैनाती के साथ यात्रा मार्ग को सुरक्षा कवच में तब्दील कर दिया है। श्रद्धालुओं की संख्या इस बार 60 लाख पार करने की उम्मीद है, ऐसे में सुरक्षा और व्यवस्था दोनों पर खास फोकस किया गया है।

उत्तराखंड की पवित्र भूमि एक बार फिर श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयार है. हर साल लाखों भक्तों की आस्था चारधाम यात्रा की कठिन राहों से गुजरती है, लेकिन इस बार माहौल कुछ अलग है. पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने पूरे देश को हिला दिया. इस हमले ने न केवल सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया, बल्कि आम जनता के मन में भी कई सवाल खड़े कर दिए. खासकर जब एक बड़ी धार्मिक यात्रा की शुरुआत महज कुछ ही दिनों में होनी थी.
उत्तराखंड पुलिस और प्रशासन ने इस बार कोई चूक नहीं छोड़ी है. चारधाम यात्रा, जो 1 मई से शुरू हो रही है, को लेकर सुरक्षा इंतजाम इतने मजबूत किए गए हैं कि कोई परिंदा भी पर न मार सके. राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) दीपम सेठ ने खुद मोर्चा संभाल रखा है. उन्होंने बताया कि यात्रा मार्गों पर कुल मिलाकर 6000 पुलिसकर्मी, 17 कंपनियां पीएसी और 10 कंपनियां अर्धसैनिक बलों की तैनाती की जा चुकी है. ये तैनाती सिर्फ औपचारिक नहीं है, बल्कि हर स्तर पर सोची-समझी रणनीति के तहत की गई है.
पहलगाम हमले के बाद अलर्ट मोड पर खुफिया एजेंसियां
22 अप्रैल को पहलगाम में जो हुआ, उसने केंद्र से लेकर राज्य तक की खुफिया मशीनरी को झकझोर कर रख दिया. आतंकियों की साजिश साफ थी—भीड़ वाले धार्मिक स्थानों को निशाना बनाकर दहशत फैलाना. यही कारण है कि इस बार चारधाम यात्रा को लेकर सुरक्षा व्यवस्था केवल दिखाई नहीं जा रही, बल्कि उसे महसूस भी किया जा सकता है.
उत्तराखंड पुलिस के इनपुट के मुताबिक, इस बार 65 से अधिक ऐसे स्थान चिन्हित किए गए हैं जो दुर्घटना या आतंकी हमलों की दृष्टि से संवेदनशील हैं. इन सभी जगहों पर एसडीआरएफ के जवान तैनात किए गए हैं. साथ ही, हाईवे और यात्रा मार्गों पर ट्रैफिक को कंट्रोल करने के लिए एक अलग टास्क फोर्स काम कर रही है. हर ट्रांजिट कैंप पर सुरक्षा बलों की चौकस नजरें होंगी और यात्रियों के बैग, गाड़ियों और आईडी की गहन जांच की जाएगी.
चारधाम यात्रा में 60 लाख श्रद्धालुओं की भीड़
चारधाम यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था और संस्कृति का भी हिस्सा है. इस साल रिकॉर्ड तोड़ 60 लाख श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई जा रही है. पिछले साल जहां 48 लाख श्रद्धालु आए थे, वहीं इस बार संख्या करीब 25 प्रतिशत बढ़ने वाली है. प्रशासन के लिए यह किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है.
पिछले वर्ष भारी बारिश और केदारनाथ के ट्रैक रूट को हुए नुकसान के कारण यात्रा दो हफ्तों तक बाधित रही थी. लेकिन इस बार सबक लेते हुए पहले से ही हर क्षेत्र में तैयारियां मुकम्मल कर ली गई हैं. केदारनाथ के कपाट जहां 2 मई को खुलेंगे, वहीं बद्रीनाथ धाम 4 मई को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए तैयार होगा. गंगोत्री और यमुनोत्री मंदिरों के कपाट 1 मई को ही खोल दिए जाएंगे.
टेक्नोलॉजी का अभूतपूर्व इस्तेमाल
चारधाम यात्रा में इस बार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल अभूतपूर्व स्तर पर किया गया है. पूरे यात्रा क्षेत्र को 15 सुपर जोन में बांटा गया है. हर सुपर जोन में न केवल सुरक्षाबल तैनात हैं, बल्कि वहां आधुनिक उपकरण और निगरानी तंत्र भी लगाया गया है. 2000 से अधिक सीसीटीवी कैमरे हर कोने पर नजर रखेंगे. गढ़वाल रेंज स्तर पर एक इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाया गया है. इस केंद्र से सभी कैमरों की लाइव फीड मिलती रहेगी और किसी भी संदिग्ध गतिविधि पर तत्काल ऐक्शन लिया जाएगा. DGP सेठ ने ऋषिकेश ट्रांजिट कैंप में यात्रियों से सीधा संवाद कर न केवल उनका फीडबैक लिया, बल्कि उन्हें भरोसा भी दिलाया कि वे निडर होकर यात्रा कर सकते हैं.
बद्रीनाथ में नए नियम
इस साल प्रशासन ने बद्रीनाथ धाम को लेकर कुछ नए नियम लागू किए हैं. मंदिर परिसर में अब वीडियो कॉलिंग या सेल्फी लेने की अनुमति नहीं होगी. अगर कोई श्रद्धालु इन नियमों का उल्लंघन करता है तो उसे ₹5000 का जुर्माना भरना होगा. प्रशासन का कहना है कि यह कदम मंदिर की गरिमा बनाए रखने के लिए उठाया गया है. अक्सर देखा गया है कि श्रद्धालु पवित्र स्थल को पर्यटन स्थल समझकर वहाँ फोटो-वीडियो शूट करते हैं, जिससे न केवल भीड़ बढ़ती है बल्कि श्रद्धा का भाव भी कहीं खो जाता है. ऐसे में इस नियम का उद्देश्य धार्मिक अनुभव को विशुद्ध और गंभीर बनाए रखना है.
चारधाम यात्रा इस बार केवल धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा तैयारियों की परीक्षा भी है. पहलगाम में हुए हमले ने यह बता दिया कि आतंकी ताकतें कहीं भी, कभी भी वार कर सकती हैं. लेकिन उत्तराखंड प्रशासन ने जो सुरक्षा कवच खड़ा किया है, वह यह जताता है कि हम अब किसी हमले के लिए तैयार नहीं बैठते, बल्कि सक्रिय होकर सुरक्षा को सुनिश्चित करते हैं.
इस बार की यात्रा में श्रद्धा और सुरक्षा दोनों का संगम देखने को मिलेगा. टेक्नोलॉजी, सतर्कता और संवेदनशीलता का ऐसा मेल शायद ही पहले कभी देखा गया हो. यात्रियों के मन में जो भय या चिंता थी, वह अब प्रशासन के मजबूत इंतजामों के आगे फीकी पड़ती नजर आ रही है.