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क्या सुधरेंगे अमेरिका-कनाडा के रिश्ते? PM कार्नी और ट्रंप की अहम बातचीत

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच पहली बार बातचीत हुई, जिसमें व्यापार, टैरिफ और दोनों देशों के रिश्तों पर चर्चा हुई। हाल ही में ट्रंप ने कनाडाई ऑटोमोबाइल उद्योग पर भारी टैरिफ लगा दिया था, जिससे कनाडा की अर्थव्यवस्था को झटका लगा। इसी बीच ट्रंप ने कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात कहकर नया विवाद खड़ा कर दिया।
क्या सुधरेंगे अमेरिका-कनाडा के रिश्ते? PM कार्नी और ट्रंप की अहम बातचीत
अमेरिका और कनाडा के बीच रिश्तों में बीते कुछ वर्षों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। अब जब कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच पहली बार टेलीफोन पर बातचीत हुई है, तो सवाल उठ रहा है कि क्या दोनों देशों के रिश्ते सुधरेंगे या यह केवल राजनीतिक बयानबाज़ी है?

ट्रंप-कार्नी की पहली बातचीत

शुक्रवार, 27 मार्च 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच पहली बार आधिकारिक टेलीफोनिक वार्ता हुई। ट्रंप ने इस बातचीत को 'बेहद उत्पादक' बताया और कहा कि दोनों नेता कई मुद्दों पर सहमत हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कनाडा में आगामी चुनावों के बाद व्यापार और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए वे कार्नी से मिलेंगे।

लेकिन यह सवाल बना हुआ है कि क्या यह बातचीत वास्तव में दोनों देशों के बिगड़ते संबंधों को सुधारने की दिशा में कोई ठोस कदम है या सिर्फ़ कूटनीतिक बयानबाजी? ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर कई तनावपूर्ण परिस्थितियां बनी हुई हैं।

अमेरिका-कनाडा में बढ़ता तनाव

अमेरिका और कनाडा व्यापारिक साझेदार होने के बावजूद हाल ही में कई विवादों से गुजरे हैं। ट्रंप प्रशासन ने कुछ दिन पहले ही कनाडा के ऑटोमोबाइल उद्योग पर 25% टैरिफ लगा दिया था। कनाडा का ऑटोमोबाइल सेक्टर देश का दूसरा सबसे बड़ा निर्यात उद्योग है। कनाडा का 75% से अधिक निर्यात अमेरिका को जाता है। इस टैरिफ से कनाडा की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है, और हजारों नौकरियों पर खतरा मंडराने लगा है।

पीएम कार्नी ने इस चुनौती का जवाब देने के लिए $1.4 बिलियन का "ऑटो नौकरियां सुरक्षा कोष" शुरू करने की घोषणा की है। लेकिन क्या यह योजना कनाडा की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में मदद कर पाएगी?

कनाडा को लेकर ट्रंप की विवादास्पद टिप्पणी

व्यापार विवाद के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने एक और विवादास्पद बयान देकर आग में घी डाल दिया। उन्होंने कहा कि "अगर कनाडा अमेरिका का 51वां राज्य बन जाए, तो व्यापार और सुरक्षा के मुद्दे हल हो जाएंगे।" ट्रंप की इस टिप्पणी के बाद कनाडा में नाराजगी फैल गई। प्रधानमंत्री कार्नी ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "कनाडा की संप्रभुता का सम्मान किया जाना चाहिए। हम एक स्वतंत्र राष्ट्र हैं और रहेंगे।"

हालांकि कनाडा इस समय अपने व्यापारिक साझेदारों का दायरा बढ़ाने की रणनीति बना रहा है। प्रधानमंत्री कार्नी ने कहा है कि उनकी सरकार यूरोप और एशिया के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और अमेरिका से आयात पर निर्भरता कम करने के लिए नए व्यापारिक साझेदार खोजे जा रहे हैं। यह योजना अगर सफल होती है, तो कनाडा को अमेरिका पर कम निर्भर रहना पड़ेगा और उसे अपने आर्थिक फैसले स्वतंत्र रूप से लेने की अधिक शक्ति मिलेगी।

कनाडा की विपक्षी पार्टियों का ट्रंप पर हमला

कनाडा में विपक्षी पार्टियां भी ट्रंप की 'दादागीरी' की आलोचना कर रही हैं। विपक्षी नेता पियरे पोलीवरे ने ट्रंप के बयान को "गैर-जिम्मेदाराना" बताया और कहा कि "अमेरिका को कनाडा के साथ सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए, न कि उसे अपना उपनिवेश समझना चाहिए।"

ऐसे में अब सवाल उठता है कि क्या कनाडा-अमेरिका के रिश्ते सुधर सकते हैं? कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ट्रंप कनाडाई उत्पादों पर लगाए गए टैरिफ को कम करने पर सहमत होते हैं, तो दोनों देशों के संबंध सुधर सकते हैं। वहीं, अगर कनाडा अपनी नई व्यापारिक रणनीति को सफलतापूर्वक लागू करता है, तो उसे अमेरिका से व्यापारिक विवादों में उलझने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि, यह भी संभव है कि अगर ट्रंप आगे और टैरिफ बढ़ाते हैं, तो दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध और तेज़ हो सकता है। साथ ही, अगर ट्रंप की '51वें राज्य' वाली टिप्पणी बनी रहती है, तो कूटनीतिक तनाव और अधिक बढ़ सकता है।

विश्लेषकों के अनुसार, ट्रंप और कार्नी की अगली बैठक इस बात का संकेत देगी कि दोनों देश किस दिशा में आगे बढ़ने वाले हैं। क्या यह बातचीत केवल राजनीतिक बयानबाज़ी थी, या वास्तव में दोनों देश अपने रिश्तों को सुधारने की दिशा में कोई ठोस कदम उठाएंगे? यह देखने वाली बात होगी।

फिलहाल, कनाडा और अमेरिका के रिश्ते नाजुक मोड़ पर हैं। दोनों नेताओं की हालिया बातचीत ने उम्मीदें तो जगाई हैं, लेकिन असली बदलाव भविष्य में लिए जाने वाले फैसलों पर निर्भर करेगा। ट्रंप और कार्नी के अगले कदम ही यह तय करेंगे कि दोनों देशों के संबंध सामान्य होंगे या फिर और अधिक बिगड़ेंगे।
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