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पाक का हिमायती तुर्की अब खुद जंग में फंसेगा! सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्स ने अल्टीमेटम को दिखाया ठेंगा, हथियार नहीं डालने का ऐलान

तुर्की के अल्टीमेटम को सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF) ने पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया है, जिसके बाद दमिश्क से लेकर अंकारा तक सैन्य गतिविधियां तेज़ हो गई हैं. पर्दे के पीछे से पाकिस्तान जैसे देशों को हथियार आपूर्ति करने वाला तुर्की, लंबे समय से किसी प्रत्यक्ष युद्ध में शामिल नहीं हुआ है. अब बदले हालात में वह खुद युद्ध के मुहाने पर खड़ा दिखाई दे रहा है.

25 Jul, 2025
( Updated: 26 Jul, 2025
10:26 AM )
पाक का हिमायती तुर्की अब खुद जंग में फंसेगा! सीरिया डेमोक्रेटिक फोर्स ने अल्टीमेटम को दिखाया ठेंगा, हथियार नहीं डालने का ऐलान

मध्य पूर्व में एक और युद्ध का नया मोर्चा खुलने की आशंका है, और इस बार जंग की आंच तुर्की तक पहुँचती दिख रही है. माना जा रहा है कि जिस तरह हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं, उसमें तुर्की को चाहकर भी खुद को युद्ध से अलग रख पाना मुश्किल होगा. दरअसल, चार दिन पहले तुर्की ने चेतावनी दी थी कि यदि सीरिया की डेमोक्रेटिक फोर्सेस ने हथियार नहीं डाले, तो उन्हें इसका कड़ा जवाब दिया जाएगा. अब यह चेतावनी सैन्य कार्रवाई की ओर बढ़ती दिख रही है, जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव गहराता जा रहा है.

तुर्की के अल्टीमेटम को सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज (SDF) ने पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया है, जिसके बाद दमिश्क से लेकर अंकारा तक सैन्य गतिविधियां तेज़ हो गई हैं. पर्दे के पीछे से पाकिस्तान जैसे देशों को हथियार आपूर्ति करने वाला तुर्की, लंबे समय से किसी प्रत्यक्ष युद्ध में शामिल नहीं हुआ है. अब बदले हालात में वह खुद युद्ध के मुहाने पर खड़ा दिखाई दे रहा है.

क्या तुर्की को युद्ध में खुद उतरना पड़ेगा?
एसडीएफ के सामने सीरिया की सेना कमजोर- सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स (SDF) के पास इस समय लगभग एक लाख प्रशिक्षित लड़ाके हैं, जबकि अल शरा के नेतृत्व वाली सेना अभी अपेक्षाकृत कमजोर मानी जा रही है. हालांकि अल शरा राष्ट्रपति पद संभाल चुके हैं, लेकिन वे अब तक संगठित सरकार और प्रभावशाली सैन्य ढांचे का निर्माण नहीं कर पाए हैं. अल मायादीन की रिपोर्ट के अनुसार, अल शरा की सुरक्षा वर्तमान में तुर्की की सेना द्वारा सुनिश्चित की जा रही है. हाल के हफ्तों में अल शरा को निशाना बनाने की तीन अलग-अलग कोशिशें की गईं, लेकिन तुर्की की सैन्य मौजूदगी के चलते हर बार उन्हें बचा लिया गया. यह साफ संकेत है कि तुर्की न केवल रणनीतिक रूप से, बल्कि प्रत्यक्ष सैन्य सहयोग के रूप में भी अल शरा के शासन का समर्थन कर रहा है.

सीरिया के इलझने से कई मोर्चे एक साथ खुलेंगे- यदि अल शरा की सेना आधिकारिक रूप से सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्स (SDF) के खिलाफ मोर्चा खोलती है, तो सीरिया में एक साथ कई युद्धक्षेत्र सक्रिय हो सकते हैं. अल शरा पहले से ही ड्रूज और अलावी समुदायों के विरोध का सामना कर रहे हैं, जो उनके खिलाफ अलग मोर्चा खोले हुए हैं. इस जटिल स्थिति को तुर्की भली-भांति समझता है, और यही वजह है कि उसने SDF को सीधे चेतावनी दी है. तुर्की के विदेश मंत्री ने दो दिन पहले पत्रकारों से बातचीत में स्पष्ट रूप से कहा कि यदि SDF ने हथियार नहीं डाले, तो उसे कड़ा सबक सिखाया जाएगा. यह बयान क्षेत्र में बढ़ते तनाव को और हवा दे सकता है और आगामी सैन्य कार्रवाई की संभावना को भी बल देता है.

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आतंक मुक्त तुर्की का सपना अधूरा रहेगा- तुर्की के राष्ट्रपति रैसेप तैयप एर्दोआन ने 'आतंक मुक्त तुर्की' अभियान शुरू किया है, और माना जा रहा है कि यदि इन सीमावर्ती क्षेत्रों में SDF ने हथियार नहीं डाले, तो यह अभियान गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है.
तुर्की ने बीते वर्षों में कई प्रयासों के बाद कुर्द लड़ाकों को देश के भीतर हथियार डालने के लिए राजी किया है.
लेकिन अगर SDF तुर्की के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाता है, तो यह आशंका जताई जा रही है कि PKK (कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी) के कई पूर्व लड़ाके SDF से जुड़ सकते हैं.
ऐसी स्थिति तुर्की के लिए एक बड़ा रणनीतिक झटका साबित हो सकती है, क्योंकि यह आंतरिक सुरक्षा और सीमाई स्थिरता दोनों को खतरे में डाल सकता है.

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